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Updated: 05 दिसम्बर, 2017 09:25 PM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
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राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई. इस विवादित मामले में अब दो बड़े वकील आमने-सामने हैं. एक ओर हरीश साल्वे हैं, जो राम जन्मभूमि के पक्ष में खड़े हैं. तो दूसरी ओर कपिल सिब्बल हैं जो सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से केस लड़ रहे हैं. देश के हिंदू-मुसलमानों के बीच बहस का विषय बनी ये 25 साल पुरानी जंग अब नए सिरे से सोशल मीडिया पर भी सुलग गई है. ट्विटर पर कपिल सिब्बल को हिंदू-विरोधी करार दिया जा रहा है. और उनके पुराने केस निकालकर यह साबित करने की कोशिश की जा रही है कि कैसे उन्‍होंने हमेशा हिंदुओं के विरोध में केस लड़े हैं.

एक ट्विटर यूजर ने कपिल सिब्बल के खिलाफ अपनी नाराजगी जताते हुए लिखा है कि सबसे सेक्युलर पार्टी के सबसे सेक्युलर नेता अयोध्या में राम मंदिर बनाने के विरोध में केस लड़ रहे हैं.

कपिल सिब्बल ने सुन्नी वक्फ बोर्ड की तरफ से सुप्रीम कोर्ट से अपील की थी कि इस मामले पर सुनवाई को 2019 के लोकसभा चुनावों तक के लिए टाल दिया जाए. उनका तर्क है कि राम मंदिर का निर्माण भाजपा के घोषणापत्र में शामिल है, ऐसे में इस मुद्दे पर सुनवाई करना ठीक नहीं होगा. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया है. एक ट्विटर यूजर ने कपिल सिब्बल की इस याचिका पर लिखा है- कांग्रेस धर्म को चुनावों के साथ क्यों मिला रही है?

कपिल सिब्बल की तरफ से इस विवादित मुद्दे पर सुनवाई को 2019 लोकसभा चुनावों तक टालने की याचिका पर भाजपा ने उन्हें आड़े हाथों लेना भी शुरू कर दिया है. भाजपा के प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा है कि सुन्नी वक्फ बोर्ड का 2019 के चुनावों से क्या लेना-देना है? सुनवाई को टालने की बात कहकर कपिल सिब्बल पूरी तरह से एक्सपोज हो गए हैं. उन्होंने राहुल गांधी से जवाब भी मांगा है कि आखिर वह राम मंदिर के पक्ष में हैं या नहीं? इतना ही नहीं, इस मौके को भुनाने के लिए भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह ने भी अपना दांव चल दिया है. उन्होंने भी कपिल सिब्बल पर निशाना साधते हुए कहा कि आखिर वह इस मामले की सुनवाई क्यों नहीं होने देना चाहते हैं, यह साफ करना चाहिए.

विवादित मुद्दे की सुनवाई में कैसे हिंदू लोग कपिल सिब्बल के विरोध में आ गए हैं, उसका पता आपको इस ट्विटर यूजर के ट्वीट से लग ही जाएगा. इन्होंने ट्वीट करते हुए कहा है- कन्हैया कुमार से लेकर हार्दिक पटेल तक का बचाव करने वाले, तीन तलाक और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से सुन्नी वक्फ बोर्ड तक को समर्थन करने वाले कपिल सिब्बल के ऐसे बहुत सारे क्लाइंट हैं.

ट्विटर पर कुछ लोग गुस्सा भी हैं, जिसका पता उनके ट्वीट के अंदाज से ही लग जा रहा है. एक ट्विटर यूजर ने लिखा है कि जो कल तक हिंदूवादी होने के सर्टिफिकेट बांट रहे थे अब वह सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले में श्रीराम के अस्तिव का सबूत मांग रहे हैं.

कपिल सिब्बल द्वारा अयोध्या में राम मंदिर बनाए जाने के विरोध में केस लड़ने को लेकर लोग कितने खफा हैं, इसका गुस्सा उनके ट्विटर अकाउंट पर देखा जा सकता है. एक ट्विटर यूजर ने लिखा है कि कांग्रेस का असली चेहरा अब सामने आ गया है. साथ ही उसने एक इंफोग्राफिक भी शेयर किया है.

जहां एक ओर कपिल सिब्बल का सोशल मीडिया पर खूब विरोध हो रहा है, वहीं दूसरी ओर हरीश साल्वे इस केस के हीरो की तरह सामने आए हैं. इससे पहले कुलभूषण यादव का केस लड़ने के दौरान भी हरीश साल्वे को देशभक्ति और हिंदूवाद के साथ जोड़ा था. राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में राम मंदिर बनवाने के पक्ष में केस लड़ने से उनकी देशभक्ति वाली छवि और भी अधिक प्रबल हो गई है. एक यूजर ने ट्विटर पर लिखा है कि हरीश साल्वे और मोहन परासर रामलला के पक्ष में हैं. महादेव उन्हें शक्ति प्रदान करें. हजारों करोड़ हिंदुओं की दुआएं उनके साथ हैं.

हरीश साल्वे की तुलना एक ट्विटर यूजर ने उस गिलहरी से की है, जिसने राम सेतु बनाने में मदद की थी. उन्होंने लिखा है कि उसी गिलहरी की तरह ही हरीश साल्वे राम मंदिर बनाने में मदद कर रहे हैं.

हरीश साल्वे पर लोगों को इतना भरोसा है कि वह मानते हैं अब राम मंदिर सुरक्षित हाथों में है. खुद ही पढ़िए ये ट्वीट.

इस केस में सियासत ढूंढने वाले तो यहां तक मान रहे हैं कि कपिल सिब्‍बल जिस तरह से राम मंदिर के विरोध में केस लड़ रहे हैं, वह कांग्रेस की चाल है. एक ओर राहुल गांधी खुद को ब्राह्मण बताकर हिंदू वोट अपने से जोड़ रहे हैं तो दूसरी ओर कपिल सिब्‍बल कोर्ट में सुन्‍नी वक्‍फ बोर्ड का पक्ष लेकर मुस्लिम वोट बैंक कांग्रेस से छिटकने से रोक रहे हैं.

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