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Updated: 12 दिसम्बर, 2018 08:06 PM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
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राजस्थान चुनाव के नतीजे आ चुके हैं. हर बार की तरह इस बार भी राजस्थान में वो ट्रेंड जारी रहा कि एक बार सत्ता भाजपा के हाथ तो दूसरी बार कांग्रेस के पाले में. लेकिन क्या आप जानते हैं कि राजस्थान के नतीजे तय करने वाली तीन फेमस सीटों का क्या हुआ? वही तीन सीटें, जिन पर जो भी पार्टी जीतती है, वही राज्य में सरकार भी बनाती है. पिछले चुनाव में इन सीटों पर भाजपा जीती थी और उसी ने सरकार भी बनाई, लेकिन इस बार तस्वीर कुछ बदल गई है. सटीक नतीजे देने वाली इन सीटों ने इस बार चकमा दे दिया है.

इन तीन सीटों का नाम है केकरी, कपासन और कुंभालगढ़. चलिए जानते हैं इन तीन सीटों पर इस बार कौन जीता है. इससे साफ हो जाएगा कि कौन सी सीट इस बार भी निर्णायक साबित हुई और किसने दिया है चकमा.

1- केकरी (कांग्रेस)

अगर 1967 के राजस्थान विधानसभा चुनाव को छोड़ दिया जाए तो केकरी की जनता ने हर बार जिस पार्टी के उम्मीदवार को विजयी बनाया, वही पार्टी सत्ता में काबिज हुई. 1967 में स्वतंत्र पार्टी के उम्मीदवार ने केकरी में विजय पताका फहराई थी, लेकिन सत्ता में कांग्रेस की सरकार बनी थी. 1990 में केकरी ने जनता दल के उम्मीदवार शंभु दयाल को जिताया और राजस्थान में भाजपा की सरकार बनी. 1993 में भी शंभु दयाल यहां से दोबारा जीते. ये आखिरी बार था, जब केकरी की जनता ने लगातार दो बार एक ही पार्टी के उम्मीदवार को जिताया हो. सिर्फ एक बार को छोड़कर अब तक हमेशा सटीक नतीजे देता रहा केकरी इस बार भी सटीक नतीजे देने वाला साबित हुआ है. कांग्रेस के रघु शर्मा यहां से जीते हैं.

राजस्थान चुनाव 2018, भाजपा, कांग्रेस, चुनाव नतीजेसटीक नतीजे देने वाली 2 सीटों ने इस बार चकमा दे दिया है.

2- कपासन (भाजपा)

1977 तक राजस्थान में लगातार कांग्रेस जीतती रही. 1977 में इंदिरा गाधी के खिलाफ लहर चली थी, जिसके बाद जनता पार्टी के मोहन लाल ने कांग्रेस को हरा दिया. कपासन ने 1951 के बाद से 1977 तक लगातार कांग्रेस के उम्मीदवार को विजयी बनाया, सिर्फ एक बार सबसे पहले चुनाव में कपासन के लोगों ने बीजेएस के उम्मीदवार को जिताया था. 1977 में भारतीय जन संघ (जिससे भाजपा बनी) के नेता भैरों सिंह शेखावत मुख्यमंत्री बने. इस बार कपासन के लोगों ने भाजपा के उम्मीदवार अर्जुन लाल जिंगार को जिताया है. इसी के साथ दूसरी बार इस सीट ने राजस्थान की राजनीति में चकमा देने का काम किया है.

3- कुंभालगढ़ (भाजपा)

1951 से लेकर अब तक कुल 13 में से 10 चुनावों में कुंभालगढ़ में जो जीता, उसी पार्टी की सरकार सत्ता में बनी. पहली बार 1951 में कुंभालगढ़ से बीजेएस के उम्मीदवार ने जीत हासिल की, लेकिन सत्ता में कांग्रेस की सरकार बनी. इसके बाद दूसरी बार 1962 में इस सीट पर स्वतंत्र पार्टी के उम्मीदवार जीते, लेकिन उसकी सरकार नहीं बनी. वहीं तीसरी बार 1990 में इस सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार ने विजय पताका फहराई, लेकिन भाजपा सत्ता में आने में कामयाब रही. तीन बार गलत साबित हो चुकी कुंभालगढ़ सीट इस बार भी गलत ही साबित हुई है. यहां से भाजपा के सुरेंद्र सिंह राठौर जीते हैं, जबकि राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने जा रही है.

इन 6 में से 3 सीटों ने दिया 'धोखा'

इनके अलावा राजस्थान की 6 ऐसी सीटें हैं, जिन्होंने 1990 के बाद से लेकर अब तक जिस पार्टी को चुनाव में जिताया है, वही सत्ता में आई. ये सीटें सूरतगढ़, सुजानगढ़, चामू, शियो, देओली-उनियरा और रानीवाड़ा हैं. लेकिन इस बार के चुनाव में इन 6 सीटों में से भी 3 ने धोखा दे दिया है. यानी इनमें से सिर्फ 3 पर कांग्रेस जीती है. बाकी की तीन सीटों पर भाजपा जीती है, जबकि सरकार कांग्रेस बना रही है. सुजानगढ़, शियो और देओली-उनियरा में तो कांग्रेस के प्रत्याशी ही जीते हैं, लेकिन सूरतगढ़, चामू और रानीवाड़ा सीटों पर भाजपा उम्मीदवार जीत गए हैं.

यानी अगर सभी सीटों को एक साथ देखा जाए तो अधिकतर सीटों ने चकमा ही दिया है. जिन तीन सीटों को बेहद अहम माना जाता था, उनमें से भी 2 ने धोखा दे दिया और बाकी की 6 अतिरिक्त सीटें भी सही नतीजे नहीं दिखा सकीं. भले ही राजस्थान की राजनीति में हर चुनाव में सत्ता बदलने का ट्रेंड जारी रहा हो, लेकिन चुनावी नतीजों के लिए निर्णायक मानी जाने वाली सीटों का रिकॉर्ड टूट गया है.

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