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Updated: 11 अगस्त, 2019 03:40 PM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
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कश्मीर से धारा 370 को हटाने का फैसला भले ही पूरे देश को पसंद आ रहा हो, आप-बसपा जैसी पार्टियां भी समर्थन कर रही हैं, लेकिन कांग्रेस को ये फैसला बिल्कुल पसंद नहीं आया है. राजनीतिक स्तर पर विरोध तक को बात समझ आती थी. ये माना जा सकता था कि कांग्रेस राजनीतिक फायदा उठाने के लिए इस तरह की बातें कर रही है. लेकिन कल शाम कांग्रेस ने जो किया है, उसे सिर्फ राजनीति कहना ठीक नहीं होगा. राहुल गांधी और मणिशंकर जो भाषा बोल रहे थे, ये वही बातें हैं जो धारा 370 लागू होने के बाद पाकिस्तान लगातार कहता आ रहा है.

भले ही कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने भाजपा का विरोध करने के लिए कश्मीर पर बयान दिया है, लेकिन उनके बयानों का सच्चाई से दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं. खासकर उस स्थिति में जब मामला इतना संवेदनशील हो. उनकी बातें सुनकर ये कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि जाने या अनजाने में वह सिर्फ पाकिस्तान की मदद करने के काम कर रहे हैं. अगर विरोध ही करना है तो वहां के नेताओं को हिरासत में लेने के मुद्दों को कांग्रेस उठा सकती है, लेकिन उन्होंने तो सेना पर ही सवाल खड़ा कर दिया है. ठीक वैसे ही, जैसे सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक के दौरान किया था.

धारा 370, राहुल गांधी, मणिशंकर अय्यर, पाकिस्तानराहुल गांधी ने कह दिया है कि कश्मीर में खून-खराबा हो रहा है.

राहुल गांधी ने कह दी खून-खराबे की बात

रविवार शाम को कांग्रेस की कार्यकारी कमेटी की बैठक खत्म होने से पहले ही राहुल गांधी ने मीडिया के सामने आकर एक विवादित बयान दे दिया. उन्होंने कह दिया कि कश्मीर में खून-खराबा हो रहा है, वहां से हिंसा की खबरें आ रही हैं, लोग मर रहे हैं. उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में ये जरूरी है कि खुद मोदी सरकार और पीएम मोदी सामने आएं और ये साफ करें कि कश्मीर में दरअसल हो क्या रहा है. राहुल गांधी ने ये बातें कहते समय कोई सोर्स तक नहीं दिया कि उन्हें ये कहां से पता चली हैं. बस कहते रहे कि रिपोर्ट है, खबरें आ रही हैं. मुमकिन है कि वह उस वीडियो की बात कर रहे हैं, जो बीबीसी ने शेयर किया था, जिसे सेना पहले ही खारिज कर चुकी है. अब ये कहना गलत नहीं होगा कि राहुल गांधी को अपनी सेना पर भी भरोसा नहीं है.

मणिशंकर तो राहुल से चार कदम आगे निकले

विवादित बयानों का पुलिंदा अगर खोला जाए मणिशंकर उन चुनिंदा लोगों में हैं, जो अपने काम से नहीं, बल्कि अपने विवादित बयाने से चर्चा में रहते हैं. एक बार फिर उन्होंने कश्मीर को लेकर ऐसा बयान दिया है कि उनकी चर्चा शुरू हो गई है या यूं कहें कि आलोचना होने लगी है. राहुल गांधी के बयान के बाद मणिशंकर अय्यर ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि एक ओर मोदी सरकार प्रोपेगेंडा कर रही है कि कश्मीर में सब कुछ सामान्य हो रहा है, लेकिन उनकी पार्टी कांग्रेस बिल्कुल उल्टी तस्वीर दिखा रही है. उन्होंने मोदी सरकार के दावों को खारिज करते हुए कहा कि जो उनकी पार्टी कह रही है वही सही है.

मणिशंकर अय्यर बोले कि उनके पास अलजजीरा की रिपोर्ट है कि घाटी में हजारों प्रदर्शनकारी विरोध कर रहे हैं. उन्होंने यूट्यूब के वीडियोज का हवाला देते हुए कहा कि कश्मीर की सारी दिक्कत ये वीडियो बयां कर रहे हैं. वह तो सेना के अधिकारी की बात तक को नहीं मान रहे हैं. यानी मोदी सरकार पर तो भरोसा नहीं है, राजनीतिक रूप से सही ठहराया भी जा सकता है, लेकिन सेना का भरोसा ना करने को कैसे सही कहें. वह तो बस यही कह रहे हैं कि जो उनकी पार्टी कह रही है वही सच है. खैर, अपनी पार्टी के लिए ईमानदार रहना अच्छा है, लेकिन पार्टी से पहले देश के लिए ईमानदार रहना ज्यादा जरूरी है.

कहीं राहुल का बयान भटकाने के लिए तो नहीं?

काफी दिनों ने कांग्रेस में अंदरखाने कुछ भी सही नहीं है. राहुल गांधी इस्तीफे पर अड़े हुए हैं. वह तो यहां तक जिद पर अड़े हैं कि गांधी परिवार में से कोई अगला अध्यक्ष नहीं होगा. इसी बीच रविवार देर रात कांग्रेस की कार्यकारी कमेटी ने ये तय किया कि फिलहाल कुछ समय के लिए सोनिया गांधी अंतरिम अध्यक्ष रहेंगी. अब सवाल ये भी उठ रहे हैं कि जब राहुल गांधी बार-बार ये कह रहे थे कि गांधी परिवार का कोई अब पार्टी का अध्यक्ष नहीं होगा तो फिर सोनिया को वापस आकर पार्टी का नेतृत्व क्यों संभालना पड़ गया. साथ ही, सवाल ये भी उठ रहे हैं कि क्या पार्टी में अंदरखाने कोई दरार आ रही है? अब जो बड़ा सवाल है वह ये है कि कहीं राहुल गांधी इन सब सवालों से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए तो इस तरह की बातें नहीं कर रहे हैं? हो भी सकता है, लेकिन अगर ऐसा है, तब तो उन्होंने और भी ज्यादा गलत किया है. क्योंकि उन्होंने सिर्फ कुछ सवालों से बचने के लिए एक संवेदनशील मुद्दे को छेड़ दिया है.

सेना ने खारिज किए हैं सभी दावे

बता दें कि हाल ही में बीबीसी ने एक वीडियो जारी करते हुए दावा किया है कि घाटी में प्रदर्शन हो रहे हैं और वहां सेना की ओर से फायरिंग और आंसू गैस के गोले दागे जा रहे हैं. हालांकि, कश्मीर के आईजीपी एसपी सैनी ने बीबीसी के दावे को खारिज करते हुए कहा कि घाटी में छुटपुट प्रदर्शन जरूर हो रहे हैं, लेकिन ना तो कहीं फायरिंग की गई है, ना ही किसी व्यक्ति की मौत हुई है. जम्मू-कश्मीर पुलिस ने एक ट्वीट के जरिए भी ये साफ कर दिया है कि घाटी में सब कुछ सामान्य है, कोई हिंसा नहीं हो रही है, लेकिन राहुल गांधी के कानों तक किसी ने खून-खराबे की अफवाह पहुंचा दी है. मोदी सरकार ने तो इस तरह की गलत सूचना देने वाला वीडियो फैलाने पर मीडिया की आलोचना भी की है. आपको बता दें कि बीबीसी के इसी वीडियो ने पहले पाकिस्तान को बोलने के लिए मसाला दिया और उसी की आड़ लेकर कांग्रेस भी मोदी सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद कर रही है. वैसे देखा जाए तो कांग्रेस का विरोध भी पाकिस्तान को मसाला देने जैसा ही है, जिसका इस्तेमाल वह भारत के खिलाफ बोलने और कश्मीर की जनता को गुमराह करने में करेगा.

राहुल गांधी और मणिशंकर अय्यर ने बीबीसी के वीडियो को सच तो मान लिया, लेकिन ये नहीं सोचा कि इस पर दिए गए उनके बयानों से कितना नुकसान हो सकता है. इससे ना सिर्फ देश की नजर में वह सेना पर भरोसा ना करने वाले बन गए हैं, बल्कि वह पाकिस्तान की मदद करने वाली बातें कह गए हैं. आज नहीं तो कल पाकिस्तान इनके बयानों का हवाला देते हुए ये बातें जरूर फैलाएगा कि भारत के दिग्गज नेता भी मान रहे हैं कि मोदी सरकार ने कश्मीर में खून-खराबे को न्योता दिया है. वैसे भी, जब बात होती स्थिति को सामान्य करने की तो बयान ऐसे होने चाहिए तो स्थिति को सामान्य बनाएं, ना कि लोगों का गुस्सा और भड़काएं.

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