New

होम -> सियासत

 |  3-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 01 जनवरी, 2018 07:10 PM
प्रियंका ओम
प्रियंका ओम
  @priyanka.om
  • Total Shares

आज के समय में भारत की राजनीति वन मैन शो है! कोई दूसरा विकल्प नहीं है. ऐसे में इस वर्ष मैं राहुल गांधी को एक विकल्प के रूप में उभरते हुए देखना चाहती हूं! किसी भी देश में एक विकल्प पार्टी का होना बहुत ज़रूरी है. जो फ़िलहाल दुर्भाग्य से इस देश के पास नहीं है. ऐसे में सत्तासीन पार्टी को मनमानी करने की खुली छूट मिली हुई है!

इस वक़्त देश को साठ वर्षों तक चलाने वाली कांग्रेस पार्टी अपने सबसे बुरे दौर में है. कई राज्यों में कांग्रेस के सांसद तक नहीं हैं! सच तो यह है कि कांग्रेस अपनी अंतिम सांसें गिन रही है. सफ़ेद बाघों की तरह विलुप्त होती जा रही है और तीसरी कोई पार्टी दूर दूर तक अस्तित्व में नहीं है! भारतीय राजनीति में शुरू से ही वरिष्ठ और अनपढ़ लोगों का बोलबाला रहा है. कांग्रेस में इस वक़्त ज़्यादातर सांसद 60 से ज्यादा उम्र के हैं, जो स्वर्गीय इंदिरा/ राजीव गांधी के समय से ही बने हुए हैं और सोनिया गांधी के समर्थक सलाहकार रहे हैं. वो एक कोर टीम की तरह काम करते हैं जिनका दबदबा और प्रभाव पार्टी पर हमेशा बना रहता है!

Rahul Gandhi, Congress, BJPअब हमें युवा नेतृत्व की जरुरत है

पिछले चुनाव में मोदी जी और आडवाणी जी में मोदी जी चुने गये. ज़ाहिर सी बात है लोग लाठी और चश्मे के बढ़े हुए पावर के हाथों में देश को नही सौंपना चाहते. ऐसे में मैं राहुल गांधी को देश को चलाने वाले उस नेता के रूप में देखती हूं जिसकी आंखों में भारत के सुनहरे भविष्य की बातें नहीं योजना है. बेशक वो भाषण बहुत अच्छा नहीं देते हों, लेकिन उन्हें मैं एक जुझारू नेता के रूप में देखती हूं, जिसके पास योजनाएं हैं! वो अभी यंग है और इतिहास गवाह है कि भारत को यंग प्रधानमंत्री देने वाली एकमात्र पार्टी कांग्रेस ही रही है!

ये वही राहुल गांधी हैं जिनके पिता ने भारत को कंप्यूटर युग बनाने का सपना देखा था. ये वही राहुल गांधी हैं जिनकी दादी और पिता देश के लिये शहीद हुए. ये वही राहुल गांधी हैं जिनकी मां भारत की बहू होने के बाद भी देशवासियों के लिये परायी ही बनी रही. भारतीय वेशभूषा, भाषा अपनाने के बबजूद उन्हें फ़िरंगी ही कहा गया! ये वही राहुल गांधी है जो खूब पढ़े लिखे और बौद्धिक होने के बावजूद पप्पू बना दिये गये! लेकिन बनाने और होने में फ़र्क़ आप समझियेगा!

राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद प्राप्त करना राहुल गांधी के लिये एक सुनहरा मौक़ा है. इस वक़्त उनके माथे से पप्पू जैसी क़ालिख़ को धोकर दूसरे विकल्प के रूप में उभरते हुए देखना चाहती हूं! मैं उनसे यह उम्मीद करती हूं कि वह अपनी पार्टी से बुज़ुर्गों को रिटायरमेंट देकर आराम करने की सलाह दें और नये दृष्टिकोण रखने वाले क्वालिफाइड युवा नेता को पार्टी से जोड़ें. जिनके पास, भविष्य के सपने हैं. जो भारत के सुनहरे कल में नही जीतें हों. बल्कि जिनके पास भारत के भारत के सुनहरे भविष्य की योजनाएं हो! उन्हें अपनी पार्टी का काया पलट करने की ज़रूरत है क्योंकि अब कांग्रेस के पास बुज़ुर्ग नेताओं के अलावा खोने के लिये कुछ भी नहीं है! उन्हें दो साल बाद होने वाले चुनाव के लिये काम नहीं करना चाहिये, बल्कि सात साल बाद वाले चुनाव के लिये तैयार होना चाहिये जिसे वो बहुमत से जीत सकें!

और अंत में उन्हें मुझे अपना सलाहकार नियुक्त करना चाहिये!

ये भी पढ़ें-

नेताओं के वे 10 बयान जिन्होंने 2017 में खूब बवाल कराया

राहुल गांधी के बाद ममता बनर्जी को भी समझ आ गयी हिंदुत्व की चुनावी ताकत

राहुल गांधी की 2019 तक की 'राजनीतिक कुंडली'

लेखक

प्रियंका ओम प्रियंका ओम @priyanka.om

लेखक कहानी संग्रह 'वो अजीब लड़की' की ऑथर हैं

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय