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Updated: 23 दिसम्बर, 2019 04:38 PM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
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झारखंड चुनाव के नतीजे (Jharkhand Election Results) काफी दिलचस्प आंकड़े दिखा रहे हैं. भाजपा (BJP) और जेएमएम-कांग्रेस-आरजेडी (JMM-Congress-RJD) के गठबंधन के बीच तगड़ी टक्कर हो रही है. कभी भाजपा आगे होती है तो कभी जेएमएम. इसी बीच ये चर्चा भी शुरू हो गई है कि क्या रघुवर दास इस बार फिर मुख्यमंत्री बन पाएंगे? लोग पुराने रिकॉर्ड और आंकड़े शेयर कर रहे हैं कि झारखंड में कोई भी मुख्यमंत्री दोबारा नहीं जीता है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या रघुवर दास (Raghubar Das) उस श्राप से मुक्ति पा सकेंगे. कम से कम मौजूदा हालात देखकर तो ऐसा नहीं लगता. झारखंड चुनाव (Jharkhand Election) में भाजपा के जीतने की बात तो अभी छोड़ दीजिए, रघुवर दास के लिए तो अपनी ही सीट बचाना मुश्किल पड़ रहा है. ये सीट भी उससे बचाना मुश्किल हो रहा है, जो खुद कभी रघुवर दास की सरकार में ही मंत्री हुआ करते थे. यहां बात हो रही है सरयू राय (Saryu Rai) की, जो जमशेदपुर ईस्ट (Jamshedpur East) सीट पर रघुवर दास को पीछे करते हुए आगे चल रहे हैं. शाम 4 बजे तक के आंकड़ों के अनुसार सरयू राय 7856 वोटों से रघुवर दास से आगे चल रहे हैं.

Jharkhand Election Results Saryu Rai vs Raghubar Das झारखंड चुनाव में रघुवर दास को कभी उनकी ही सरकार में मंत्री रहे सरयू राय ने हरा दिया है !

कभी रघुवर सरकार में थे मंत्री

रघुवर सरकार को जिस सरयू राय ने कांटे की टक्कर दी हुई है और हराते हुए दिख रहे हैं, वह कभी उन्हीं की सरकार में खाद्य एवं पूर्ति विभाग के मंत्री थे. इस बार झारखंड चुनाव में भाजपा ने उन्हें टिकट नहीं दिया, जिससे नाराज होकर उन्होंने मंत्रीपद और विधायक पद से इस्तीफा दे दिया. तल्खी इतनी बढ़ गई है कि बागी हो चुके सरयू राय ने उसी पद से चुनाव लड़ने का फैसला किया, जहां से रघुवर दास चुनाव लड़ रहे हैं. इस तरह जमशेदपुर ईस्ट सीट पर रघुवर दास को भाजपा के बागी नेता सरयू राय कांटे की टक्कर दे रहे हैं और यूं लग रहा है कि रघुवर दास का यहां से हारना तय है.

सरयू राय की ये लड़ाई वर्चस्व की है

सबसे पहली चीज जो सरयू को निर्दलीय लड़कर मिलेगी, वो है वर्चस्व. उनकी ताकत में इजाफा होगा. भाजपा को छोड़कर उन्होंने उसी सीट से चुनाव लड़ा, जहां से मुख्यमंत्री लड़ रहे हैं और उल्टा उन्हें हराने की कुव्वत भी दिखा दी है. ये उनकी ताकत का ही एक नमूना है. इसके अलावा भाजपा के ही गोड्डा से सांसद निशिकांत दुबे भी सरयू राय के पक्ष में दिख रहे हैं. सरयू राय के इस्तीफा के बाद उन्होंने एक तस्वीर पोस्ट की थी और मनीर नियाजी का एक शेर भी लिखा था- 'जानता हूं एक ऐसे शख्स को मैं भी मुनीर, गम से पत्थर हो गया मगर रोया नहीं.' यानी कहीं ना कहीं उन्होंने बागी हुए सरयू राय को अपना समर्थन तो दे ही दिया है. वैसे भी, ये दोनों लोग काफी अच्छे दोस्त हैं तो एक दूसरे का साथ देना लाजमी भी है.

विरोधी खेमा हुआ सक्रिय, लेकिन सरयू का साथ शायद ही मिले

जैसे ही सरयू राय ने इस्तीफा दिया था, वैसे ही जेएमएम यानी झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नेता और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सरयू राय के इस कदम का स्वागत किया. उन्होंने तो ये बयान भी दिया कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में वह सरयू के साथ हैं. हालांकि, निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरे सरयू राय का साथ सरकार बनाने में शायद ही जेएमएम को मिले. दरअसल, जेएमएम इस बार कांग्रेस और आरजेडी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ रहा है और सरयू राय वही शख्स हैं जो चारा घोटाले के विसलब्लोअर हैं. ऐसे में आरजेडी प्रमुख को सलाखों के पीछे पहुंचाने वाले शख्स से हाथ मिलाने पर गठबंधन में आरजेडी विरोध दर्ज जरूर करेगी. हां अगर उन्हें भाजपा के अलावा किसी और के साथ जाने का मन हुआ तो वह जेडीयू के साथ जा सकते हैं, क्योंकि नीतीश कुमार उनके अच्छे दोस्त हैं.

क्यों रघुवर दास के लिए खतरा हैं सरयू राय?

सरयू राय ताकतवर नेता होने के साथ-साथ खतरनाक नेता भी हैं. इन्होंने ही बिहार-झारखंड में हुए चारा घोटाले को जनता के सामने लाने का काम किया था. यहां तक कि अदालती कार्रवाई करवाते हुए इस मामले को अंजाम तक पहुंचाने का श्रेय भी उन्हें ही जाता है. झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा को भी जेल भिजवाने के पीछे सरयू राय ही थे और लालू यादव भी जेल की सलाखों के पीछे सरयू राय की वजह से ही पहुंचे हैं. ऐसे में चुनाव में जब उन्होंने रघुवर दास के खिलाफ मोर्चा संभाला तो जनता ने इसे एक अलग संदेश की तरह लिया. ऊपर से जेएमएम के हेमंत सोरेने ने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में वह सरयू के साथ हैं. रघुवर सरकार में रहते हुए भी वह विरोधी स्वर बुलंद कर चुके हैं. हो सकता है कि इन सबकी वजह से लोगों के बीच ये संदेश गया हो कि रघुवर दास भ्रष्टाचार कर रहे हैं, जिसका सीधा फायदा सरयू राय को हुआ. ताकत भी बढ़ी और लोगों का भरोसा भी. अब तो आप समझ ही गए होंगे कि सरयू राय खतरनाक नेता क्यों हैं?

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