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Updated: 04 जनवरी, 2018 03:56 PM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
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पुणे में भीमा-कोरेगांव लड़ाई की सालगिरह पर भड़की हिंसा तो अब थम सी गई है, लेकिन इसे लेकर सियासत गरमाती जा रही है. जिस हिंसा को पहले दो पक्षों का विवाद बताया जा रहा था, अब उसमें भड़काऊ भाषण देने के लिए गुजरात चुनाव में चुने गए नेता जिग्नेश मेवानी और छात्र नेता उमर खालिद के खिलाफ एफआईआर तक दर्ज हो चुकी है. इनके अलावा दो हिंदुवादी नेताओं के खिलाफ भी केस दर्ज किया गया है. इनमें से एक हिंदुवादी नेता की पीएम मोदी के साथ तस्वीर भी वायरल हो रही है. इतना ही नहीं, पुणे की जिस हिंसा में सैकड़ों गाड़ियों और संपत्ति को नुकसान हुआ है, उसमें मरने वाले व्यक्ति को दलित बताते हुए हिंसा भड़काने की कोशिश की गई. आइए जानते हैं इन बातों और पीएम मोदी से जुड़ी तस्वीर का सच.

तनाव था, तो मदद क्यों करते थे?

पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार ने कहा कि लोग पिछले 200 सालों से इस जश्न को मना रहे थे. उन्होंने कहा कि पिछले 50 सालों से वह खुद ये सब देखते आ रहे हैं. उनके अनुसार रास्ते में जितने भी गांव हैं, वहां के लोग दलित समुदाय के इन लोगों को सुविधाएं भी देते थे और मदद मुहैया कराते थे. लेकिन... यह बात गले नहीं उतरती कि जिससे तनाव की स्थिति हो वह मदद कैसे कर सकता है? दलितों और हिंदू संगठनों के बीच जिस तनाव की वजह से हिंसा पैदा होने की बात कही जा रही है आखिर वह तनाव पहले भी तो रहा होगा, फिर वो दलितों की मदद कैसे करते थे? और अगर मदद करते थे तो इसका मतलब है कि कोई तनाव था ही नहीं, बल्कि यह हिंसा किसी राजनीतिक साजिश की ओर इशारा करती है.

पुणे हिंसा, वायरल, नरेंद्र मोदी, महाराष्ट्रपीएम मोदी संभाजी भिड़े को गुरूजी कहकर बुलाते हैं और उनके हर आदेश का पालन करते हैं.

मोदी के साथ पुणे हिंसा के आरोपी भिड़े की तस्वीर का सच

पुणे में हुई हिंसा का दो हिंदुवादी नेताओं पर भी आरोप है. श्री शिव प्रतिष्ठान हिंदुस्तान के संस्थापक संभाजी भिड़े और हिंदू एकता अघाड़ी मिलिंद एकबोटे इस हिंसा के आरोपी हैं, जिनके खिलाफ केस भी दर्ज हो चुका है. साधारण से किसान जैसे दिखने वाले संभाजी भिड़े की पीएम मोदी के साथ एक तस्वीर वायरल हो रही है और कहा जा रहा है कि वह पीएम के करीबी हैं, इसी के चलते उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जा रहा है. भीम राव अंबेडकर के पौत्र प्रकाश अंबेडकर भी संभाजी भिड़े की गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं.

पीएम मोदी संभाजी भिड़े को गुरूजी कहकर ही बुलाते हैं और उनके हर आदेश का पालन करते हैं. संभाजी की महाराष्ट्र के कोल्हापुर में शिव प्रतिष्ठान नाम की एक संस्था है. इतना ही नहीं, भिड़े एटॉमिक साइंस में एमएससी कर चुके हैं और पुणे के फर्ग्युसन कॉलेज में प्रोफेसर भी रह चुके हैं. हमेशा नंगे पैर रहने वाले भिड़े को डिग्री पूरी होने पर गोल्ड मेडल से नवाजा भी जा चुका है. पीएम मोदी संभाजी भिड़े को कितना मानते हैं, इसका अंदाजा आपको पीएम मोदी के इस भाषण से ही लग जाएगा. इस तरह यह साफ हो जाता है कि पीएम मोदी और भिड़े की वायरल हो रही तस्वीर सच है.

मरने वाला शख्स दलित या मराठा?

इस तरह की बातें कही जा रही थीं कि जिस शख्स की पुणे हिंसा में मौत हुई है वह दलित था. इस दावे को इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर ने झूठा साबित कर दिया है. उनके मुताबिक मरने वाले शख्स का नाम राहुल बाबाजी फाटांगडे था, जो पुणे के नजदीक चंदन नगर में एक ऑटोमोबाइल गैराज चलाते थे. स्थानीय गांव वालों से मिली जानकारी के मुताबिक राहुल इस हिंसा में शामिल भी नहीं थे. वह तो सिर्फ उस रास्ते से गुजर रहे थे, जिन्हें भीड़ ने टारगेट करते हुए पीट-पीट कर मार डाला. गांव के ही एक शख्स के अनुसार राहुल को इसलिए टारगेट किया गया क्योंकि उन्होंने जो जैकेट पहनी थी, उस पर मराठा राजा शिवाजी महाराज की तस्वीर बनी थी.

दलितों का हो रहा तुष्टिकरण !

पुणे हिंसा से तुष्टिकरण की बू आ रही है. ऐसा लग रहा है कि दलितों के साथ तुष्टिकरण की राजनीति की जा रही है. शिवसेना सांसद संजय राउत ने भी इस ओर इशारा करते हुए कहा है कि पुणे हिंसा अचानक नहीं हुई है. इस हिंसा के पीछे महाराष्ट्र को तोड़ने की एक राजनीतिक साजिश है. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा है कि जब से यह सरकार सत्ता में आई है, तभी से इस तरह की घटनाएं हो रही हैं.

पुणे की हिंसा पर आ रहे बयानों से एक बात तो साफ है कि पुलिस की उचित व्यवस्था नहीं थी. खुद शरद पवार भी यह बात कह चुके हैं कि इस बात का पहले से ही अंदाजा था कि 200वीं सालगिरह पर लाखों लोग आएंगे, तो फिर पहले से ही उचित व्यवस्था क्यों नहीं की गई. वहीं दूसरी ओर, केस दर्ज होने के बावजूद हिंदूवादी संगठनों के नेताओं संभाजी भिड़े और अघाड़ी मिलिंद एकबोटे की गिरफ्तारी न होना भी सवाल खड़े करता है.

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