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Updated: 19 फरवरी, 2019 12:34 PM
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पुलवामा आतंकी हमले के मास्टर माइंड अब्दुल रशीद गाजी को आज एक एनकाउंटर में सेना ने मार गिराया. इस ऑपरेशन में सेना के चार जवान भी शहीद हो गए. इस एनकाउंटर को पुलवामा आतंकी हमले का पहला बदला माना जा रहा है. एक रिपोर्ट बताती है कि अभी भी कश्मीर में 60 जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी छुपे हुए हैं और एक-एक कर उनके खिलाफ ऑपरेशन चलाया जाएगा.

जैश-ए-मोहम्मद आतंकी संगठन काफी समय से कश्मीर के हालात बिगाड़ने में लगा हुआ है और इस संगठन के सरगना मौलाना मसूद अजहर ने भारत के खिलाफ साजिश करने में कोई भी कमी नहीं छोड़ी है. चौंकाने वाली बात ये है कि ये एक समय भारत की हिरासत में था और इतना खूंखार आतंकी जिसने न जाने कितने बेगुनाहों की हत्या की है उस आतंकी को भारत ने अपने ही कुछ लोगों की जान बचाने के लिए रिहा किया था.

इस आतंकी ने भारत की कैद से रिहा होकर पाकिस्तान में जैश-ए-मोहम्मद संगठन बनाया था. ये खतरनाक आतंकी भारतीय जवान के एक थप्पड़ का सामना नहीं कर पाया था.

एक थप्पड़ में खोल दिए थे कई राज़

जो पुलिस ऑफिसर अजहर से पूछताछ कर रहा था वो बताता है कि अजहर आर्मी जवान के एक थप्पड़ से ही हिल गया था. मसूद अजहर को 'आसान' कहा गया था. कारण ये है कि उसने आसानी से सभी सवालों का जवाब देना शुरू कर दिया था. कस्टडी में अजहर की तरफ से कोई दिक्कत नहीं आई क्योंकि वो एक थप्पड़ में ही सब बोलने लगा था. 1994 में मसूद अजहर अनंतनाग कश्मीर में ही गिरफ्तार किया गया था.

सिक्किम पुलिस के पूर्व डायरेक्टर जनरल अविनाश मोहनाने का कहना था कि सिर्फ एक तमाचे में ही अजहर हिल गया था. कस्टडी के दौरान अजहर ने बताया कि कैसे पाकिस्तान में उस समय आतंकी संगठन काम करते हैं और कैसे कश्मीर में आतंक फैलाया जाता है. उस समय मोहनाने कश्मीर डेस्क के चीफ हुआ करते थे.

मसूद अजहर, पुलवामा आतंकी हमला, जैश ए मोहम्मद, पाकिस्तान, ISIभारत के खिलाफ कई आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने वाले मसूद अजहर को 1999 में रिहा किया गया था.

मोहनाने ने बताया कि वो कई मौकों पर कोट बिलावल जेल में मसूद अजहर से मिले थे. उनकी टीम को किसी भी तरह की कोई सख्ती नहीं करनी पड़ी थी क्योंकि अजहर हर तरह से जानकारी दे रहा था. उस जानकारी का एक हिस्सा ये भी था कि कैसे अफगानी आतंकियों को कश्मीर घाटी में पहुंचाया जाता है. अजहर ने बताया कि हरकत-उल-मुजाहिद्दीन और हरकतृउल जेहाद-ए-इस्लामी (HUJI) को एक आतंकी संगठन हरकत-उल-अंसर में बदला जा रहा है और वो इसका जनरल सेक्रेटरी है.

कैसे भारत पहुंचा था अजहर

1994 में अजहर बंगलादेश के रास्ते कश्मीर पहुंचा था. अजहर को पहले सहारनपुर जाना था क्योंकि वहां पर HuM और HuJI की कई टुकड़ियों के साथ बात करनी थी और एक आम पॉलिसी बनानी थी. अजहर पुर्तगाली पासपोर्ट लेकर भारत में बंगलादेश के रास्ते दाखिल हुआ था क्योंकि उसके लिए LoC जमीन के रास्ते पार करना नामुमकिन था.

मोहनाने बताते हैं कि अजहर कायदे और शिष्टाचार वाला इंसान था, कम से कम कस्टडी में तो ऐसे ही रहता था. अजहर ने कस्टडी के दौरान हर सवाल का बहुत आसानी से जवाब दिया.

अजहर कराची के अखबार 'सदा-ए-मुजाहिद' के एक पत्रकार की तरह कई देशों में गया और अन्य पत्रकारों के साथ कश्मीर मुद्दे पर बात करता था. ये 1993 का समय था.

'ज्यादा दिन ISI मुझे यहां रहने नहीं देगा'

मोहनाने ने एक और चौंकाने वाली बात बताई थी. अजहर अक्सर पुलिस वालों को अपनी लोकप्रियता की बात बताता था. अजहर कहता था कि, 'तुम लोग मेरी लोकप्रियता का अंदाजा नहीं लगा रहे हो, ISI यकीनन मुझे वापस पाकिस्तान बुला लेगा.'

अजहर की गिरफ्तारी के 10 महीने बाद ही दिल्ली से कुछ विदेशियों को अगवा कर लिया गया था और अजहर की रिहाई की मांग की जा रही थी. ओमार शेख की गिरफ्तारी के साथ ही ये प्लान फेल हो गया.

खैर, अजहर को छुड़वाने की एक और कोशिश की गई. जुलाई 1995 में पांच विदेशियों को कश्मीर से अगवा कर लिया गया था. लेकिन इस बार भी अजहर को आतंकी नहीं छुड़वा पाए थे.

मोहनाने का कहना है कि वो 1997 में फिर अजहर से जेल में मिले थे और अजहर को उन्होंने बताया था कि वो नई पोस्टिंग के लिए जा रहे हैं.

मोहनाने जब नई पोस्टिंग में थे तब उन्हें पता चला कि 31 दिसंबर 1999 को अजहर और ओमार शेख को रिहा कर दिया गया है क्योंकि आतंकियों ने फ्लाइट IC-814 हाईजैक कर ली है. तत्कालीन भाजपा सरकार ने अजहर और ओमार शेख और मुश्ताक अहमद को रिहा किया था क्योंकि भारतीय एयरलाइन की फ्लाइट IC-814 जिसे काठमांडू से नई दिल्ली आना था उसे हाईजैक कर अफ्गानिस्तान ले जाया गया था.

आतंकियों के सामने आखिर सरकार को घुटने टेकने पड़े और कई यात्रियों की जान बची.

रिहाई के बाद बनाया जैश-ए-मोहम्मद

रिहाई के बाद मसूद अजहर ने जैश-ए-मोहम्मद संगठन बनाया और पठानकोट अटैक सहित कई आतंकी हमले प्लान किए गए. दिल्ली विधानसभा पर हमला भी जैश-ए-मोहम्मद ने ही प्लान किया था. इसके अलावा, जम्मू और उरी हमले भी जैश-ए-मोहम्मद द्वारा ही करवाए गए थे. हाल ही में हुआ पुलवामा आतंकी हमला भी जैश-ए-मोहम्मद द्वारा करवाया गया है.

ओमार शेख को भी 1999 में अजहर के साथ छोड़ना पड़ा था. ओमार शेख उसके बाद वॉल स्ट्रीट जर्नल के रिपोर्टर डैनियल पर्ल की निर्मम हत्या के लिए जिम्मेदार ठहराया गया. और जैश के साथ मिलकर कई आतंकवादी गतिविधियों का हिस्सा बना.

अजहर को पता था कि पाकिस्तान उसे ज्यादा दिन जेल में नहीं रहने देगा और ऐसा हुआ भी. अजहर आतंक फैलाने आया था और उसने आतंक फैला भी दिया. इतना सब होने के बाद भी पाकिस्तान को लगता है कि उसपर आरोप लगाए जा रहे हैं और वो सबूत मांगता है अटैक उसकी जमीन से हुआ इसका सबूत दीजिए.

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