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Updated: 28 जुलाई, 2018 04:00 PM
अरविंद मिश्रा
अरविंद मिश्रा
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राहुल गांधी के नेतृत्व में गठित पहले कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में महा-गठबंधन की जरूरत पर जोर दिया गया और इसके लिए राहुल गांधी को अधिकृत भी किया गया. एक तरफ जहां यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने लोकतंत्र बचाने के लिए समान विचारधारा वाली पार्टियों को एक साथ 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ने को आह्वाहन किया तो वहीं दूसरी तरफ पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम 'मिशन 300' का लक्ष्य प्राप्त करने का फार्मूला दिया. यानि चिदंबरम के अनुसार जिस राज्य में कांग्रेस की भाजपा के साथ सीधी टक्कर है. वहां बिना गठबंधन किये 150 सीटें जीत सकती है और बाकी 150 सीटों पर क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन करके जीत हासिल कर सकती है. इस तरह से केंद्र में यूपीए की सरकार 2019 में बन सकती है. ये वो 12 राज्य हैं जहां कांग्रेस की भाजपा से सीधी टक्कर है - गुजरात, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, पंजाब, असम, उत्तराखंड, केरल और गोवा. इन सभी राज्यों में लोकसभा कुल 187 सीटें है.

congressक्या इस बार राहुल बाबा की लोकप्रियता 150 सीटें जिता पाएगी?

लेकिन अहम सवाल ये कि क्या राहुल गांधी प्रधानमंत्री के उम्मीदवार के रूप में इनके सभी सहयोगियों को स्वीकार्य होंगे? क्या कांग्रेस इतनी मजबूत स्थिति में है कि इन राज्यों की 187 लोकसभा सीटों में से 150 पर जीत कायम कर पाएगी? कांग्रेस 2014 के लोकसभा चुनावों में इन राज्यों में मात्र 27 सीटों पर ही जीती थी, तो क्या इस बार राहुल बाबा की लोकप्रियता 150 सीटें जिता पाएगी? 2009 के लोकसभा चुनावों में जब यूपीए की सरकार केंद्र में बनी थी तब इन राज्यों में कांग्रेस को 94 सीटें मिली थी तो इस बार कहां से 150 का आंकड़ा छू पाएगी?

अब बात करते हैं इनके संभावित सहयोगी दलों के बारे में जहां से कांग्रेस को 150 सीटें जीतने की उम्मीद है.

- उत्तर प्रदेश में सपा और बसपा के साथ कांग्रेस का तालमेल हो सकता है, बशर्ते मायावती राहुल गांधी को प्रधानमंत्री के उम्मीदवार के रूप में स्वीकार करें. क्योंकि बसपा पहले ही मायावती को प्रधानमंत्री के उम्मीदवार के रूप में प्रोजेक्ट कर चुकी है. वैसे भी पिछले लोकसभा के चुनावों में कांग्रेस को सिर्फ दो सीटों पर ही जीत हासिल हुई थी.

- बिहार में लालू प्रसाद की पार्टी राजद से कांग्रेस का पुराना गठबंधन है. इस बार और छोटे दल इसमें शामिल हो सकते हैं. हालांकि यहां 2014 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को मात्र 2 सीटें ही मिली थीं.

- महाराष्ट्र में कांग्रेस एनसीपी से तालमेल कर सकती है. पिछले चुनाव में इन दोनों पार्टियों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था, लेकिन इस बार शरद पवार ने कांग्रेस के साथ गठबंधन के संकेत दिए हैं. 2014 में कांग्रेस को यहां 2 सीटें मिली थीं.

- झारखण्ड में राजद और झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के साथ गठबंधन हो सकता है. बाबूलाल मरांडी की जेवीएम ने अभी तक पत्ते नहीं खोले हैं लेकिन हो सकता है कि वो इस गठबंधन का हिस्सा बने. पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का यहां खाता नहीं खुला था.

- कर्नाटक में जेडीएस के साथ गठबंधन हो सकता है. जेडीएस नेता और पूर्व प्रधानमंत्री देवेगौडा ने राहुल गांधी की प्रधानमंत्री पद के लिए उम्मीदवारी का समर्थन भी किया है. 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को यहां 9 सीटें मिली थीं.

- पश्चिम बंगाल में टीएमसी नेता ममता बनर्जी के साथ गठबंधन होगा कि नहीं ये कहना फिलहाल मुश्किल है क्योंकि  ममता बनर्जी ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं. पिछली बार कांग्रेस को यहां 4 सीटें मिली थीं.

इस प्रकार कांग्रेस उपरोक्त राज्यों के अलावा दूसरे राज्यों में भी गठबंधन की अपेक्षा करता है. लेकिन फिर वही सवाल कि क्या इन सहयोगियों के सहारे कांग्रेस इन राज्यों से अपनी झोली में 150 सीटें झपट पाएगी?

वैसे तो राजनीति में कुछ भी असम्भव नहीं होता, लेकिन वर्तमान परिदृश्य में देश की सबसे पुराने पार्टी के लिए 'मिशन 300' इम्पॉसिबल ही लगता है.

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अरविंद मिश्रा अरविंद मिश्रा @arvind.mishra.505523

लेखक आज तक में सीनियर प्रोड्यूसर हैं.

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