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Updated: 02 जनवरी, 2019 10:23 PM
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शिवराज सिंह चौहान के शासन-काल में महीने की पहली तारीख को मध्यप्रदेश सचिवालय में पारंपरिक रूप से मंत्रालय के सभी कर्मचारी इकट्ठा होकर राष्ट्रगीत 'वंदे मातरम' गाया करते थे. लेकिन साल 2019 के पहले ही दिन, 13 सालों से चली आ रही ये परंपरा तोड़ दी गई. असल में मध्यप्रदेश सरकार के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मंत्रालय में वंदेमातरम गान बंद करवा दिया.

कमलनाथ सरकार के इस फैसले से राजनीतिक गलियारों में भूचाल आना तो तय था. सो आया. इस परंपरा को शुरु करने वाले मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मैदान में आ गए हैं. इस मामले पर शिवराज सिंह चौहान जमकर भड़के हैं.

vande matram disputeवंदे मातरम पर मध्यप्रदेश में सियासी घमासान शुरू

निश्चित रूप से भाजपा के लिए राष्ट्रगीत न गाना कोई छोटी-मोटी बात नहीं है. ये सीधे-सीधे देशभक्ति से जुड़ा हुआ मामला था. लिहाजा शिवराज ने कांग्रेस की देशभक्ति पर भी सवाल उठाए.

विवाद बढ़ने पर सीएम कमलनाथ की सफाई भी आ गई. उन्होंने कहा कि- 'हर महीने की 1 तारीख को सचिवालय में वंदे मातरम गाने की अनिवार्यता को अस्थाई तौर पर बंद करने का फैसला लिया गया है. यह फैसला ना किसी एजेंडे के तहत लिया गया है और न ही हमारा वंदेमातरम को लेकर कोई विरोध है. वंदेमातरम हमारे दिल की गहराइयों में बसा है. जो लोग वंदेमातरम नहीं गाते हैं तो क्या वे देशभक्त नहीं है?"

मुख्यमंत्री का कहना है कि सचिवालय में वंदे मातरम को दोबारा शुरू किया जाएगा, लेकिन एक अलग रूप में.

राष्ट्रगीत के मुद्दे पर भाजपा हमेशा ही कांग्रेस को घेरती आई है. इससे पहले भी अमित शाह ने कोलकाता में राष्ट्रगीत के मुद्दे पर कांग्रेस के लिए ये कहा था कि- कांग्रेस तुष्टीकरण की नीति अपनाकर राष्ट्रीय-गीत 'वंदे मातरम्' पर प्रतिबंध नहीं लगाती तो देश का विभाजन टाला जा सकता था. उन्होंने वंदे मातरम् को राष्ट्रीयता की सदियों पुरानी परंपरा की अभिव्यक्ति बताया था और इस बात पर बल दिया था कि इस गीत को किसी धर्म से जोड़कर नहीं देखा जा सकता है. लेकिन कांग्रेस ने गीत पर प्रतिबंध लगाकर इसको धर्म से जोड़ दिया. यह कांग्रेस की तुष्टीकरण की नीति का हिस्सा था.

परंपराएं और उनका पालन करना भाजपा के लिए काफी अहम है. इसका एक उदाहरण तो प्रधानमंत्री मोदी ने भी दिया है. सबरीमला मंदिर मामले पर वो पहली बार बोले और कहा कि सबरीमला मंदिर यानी परंपरा.

परंपरा के नाम पर शिवराज सिंह चौहान ने कमलनाथ के इस फैसले को मुद्दा बना लिया है. और इसे बढ़ाने के लिए वो विधायक विधानसभा सत्र के पहले दिन यानी 7 जनवरी को वल्लभ भवन प्रांगण में वंदेमातरम का गान करने वाले हैं. वो इसे मुहिम कह रहे हैं जिससे जुड़ने के लिए उन्होंने लोगों को आमंत्रित भी कर लिया है. अब देखना ये है कि कमलनाथ किस तरह से वंदे मातरम को नए रूप में पेश करने वाले हैं. लेकिन तब तक के लिए विपक्ष को करने के लिए कुछ तो मिल ही गया है.

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