मध्यप्रदेश में 'वंदे-मातरम' गाने की परंपरा टूटने पर सियासत शुरू
कमलनाथ सरकार के 'वंदे-मातरम' गाने की परंपरा तोड़ने पर राजनीतिक गलियारों में भूचाल आना तो तय था. सो आया. परंपरा शुरु करने वाले मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी मैदान में आ गए हैं.
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शिवराज सिंह चौहान के शासन-काल में महीने की पहली तारीख को मध्यप्रदेश सचिवालय में पारंपरिक रूप से मंत्रालय के सभी कर्मचारी इकट्ठा होकर राष्ट्रगीत 'वंदे मातरम' गाया करते थे. लेकिन साल 2019 के पहले ही दिन, 13 सालों से चली आ रही ये परंपरा तोड़ दी गई. असल में मध्यप्रदेश सरकार के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मंत्रालय में वंदेमातरम गान बंद करवा दिया.
कमलनाथ सरकार के इस फैसले से राजनीतिक गलियारों में भूचाल आना तो तय था. सो आया. इस परंपरा को शुरु करने वाले मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मैदान में आ गए हैं. इस मामले पर शिवराज सिंह चौहान जमकर भड़के हैं.
वंदे मातरम पर मध्यप्रदेश में सियासी घमासान शुरू
वंदे मातरम् ऐसा मंत्र है जिसका उद्घोष करते हुए हज़ारों स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने सीने पर अंग्रेज़ों की गोलियाँ खायी थी।
इसी मंत्र को जपते-जपते लाखों लोगों ने देश को आज़ाद करने में अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया।
— ShivrajSingh Chouhan (@ChouhanShivraj) January 1, 2019
वंदे मातरम् के कारण लोगों के हृदय में प्रज्वलित देशभक्ति की भावनाओं में नयी ऊर्जा का संचार होता था। अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि कांग्रेस की सरकार ने यह परंपरा आज तोड़ दी। आज पहली तारीख़ को वंदे मातरम् नहीं गाया गया!
— ShivrajSingh Chouhan (@ChouhanShivraj) January 1, 2019
निश्चित रूप से भाजपा के लिए राष्ट्रगीत न गाना कोई छोटी-मोटी बात नहीं है. ये सीधे-सीधे देशभक्ति से जुड़ा हुआ मामला था. लिहाजा शिवराज ने कांग्रेस की देशभक्ति पर भी सवाल उठाए.
अगर कांग्रेस को राष्ट्र गीत के शब्द नहीं आते हैं या फिर राष्ट्र गीत के गायन में शर्म आती है, तो मुझे बता दें! हर महीने की पहली तारीख़ को वल्लभ भवन के प्रांगण में जनता के साथ वंदे मातरम् मैं गाऊँगा।
जय हिंद!
— ShivrajSingh Chouhan (@ChouhanShivraj) January 1, 2019
विवाद बढ़ने पर सीएम कमलनाथ की सफाई भी आ गई. उन्होंने कहा कि- 'हर महीने की 1 तारीख को सचिवालय में वंदे मातरम गाने की अनिवार्यता को अस्थाई तौर पर बंद करने का फैसला लिया गया है. यह फैसला ना किसी एजेंडे के तहत लिया गया है और न ही हमारा वंदेमातरम को लेकर कोई विरोध है. वंदेमातरम हमारे दिल की गहराइयों में बसा है. जो लोग वंदेमातरम नहीं गाते हैं तो क्या वे देशभक्त नहीं है?"
मुख्यमंत्री का कहना है कि सचिवालय में वंदे मातरम को दोबारा शुरू किया जाएगा, लेकिन एक अलग रूप में.
Madhya Pradesh CM Kamal Nath: The order to recite Vande Mataram in the Secretariat on first day of month has been put on hold. A decision has been taken to implement the order in a new form. Those who do not recite Vande Mataram are not patriots? (File pic) pic.twitter.com/IT7gdVtnzX
— ANI (@ANI) January 1, 2019
राष्ट्रगीत के मुद्दे पर भाजपा हमेशा ही कांग्रेस को घेरती आई है. इससे पहले भी अमित शाह ने कोलकाता में राष्ट्रगीत के मुद्दे पर कांग्रेस के लिए ये कहा था कि- कांग्रेस तुष्टीकरण की नीति अपनाकर राष्ट्रीय-गीत 'वंदे मातरम्' पर प्रतिबंध नहीं लगाती तो देश का विभाजन टाला जा सकता था. उन्होंने वंदे मातरम् को राष्ट्रीयता की सदियों पुरानी परंपरा की अभिव्यक्ति बताया था और इस बात पर बल दिया था कि इस गीत को किसी धर्म से जोड़कर नहीं देखा जा सकता है. लेकिन कांग्रेस ने गीत पर प्रतिबंध लगाकर इसको धर्म से जोड़ दिया. यह कांग्रेस की तुष्टीकरण की नीति का हिस्सा था.
परंपराएं और उनका पालन करना भाजपा के लिए काफी अहम है. इसका एक उदाहरण तो प्रधानमंत्री मोदी ने भी दिया है. सबरीमला मंदिर मामले पर वो पहली बार बोले और कहा कि सबरीमला मंदिर यानी परंपरा.
Every Temple has their own beliefs.
There are temples where men are not allowed.
We should read minutely what the Respected Lady Judge said on the Sabarimala case: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) January 1, 2019
परंपरा के नाम पर शिवराज सिंह चौहान ने कमलनाथ के इस फैसले को मुद्दा बना लिया है. और इसे बढ़ाने के लिए वो विधायक विधानसभा सत्र के पहले दिन यानी 7 जनवरी को वल्लभ भवन प्रांगण में वंदेमातरम का गान करने वाले हैं. वो इसे मुहिम कह रहे हैं जिससे जुड़ने के लिए उन्होंने लोगों को आमंत्रित भी कर लिया है. अब देखना ये है कि कमलनाथ किस तरह से वंदे मातरम को नए रूप में पेश करने वाले हैं. लेकिन तब तक के लिए विपक्ष को करने के लिए कुछ तो मिल ही गया है.
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