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Updated: 02 जून, 2017 05:50 PM
राहुल लाल
राहुल लाल
  @rahul.lal.3110
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भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति पुतिन की ऐतिहासिक मुलाकात एक ऐसे समय में हुई, जब भारत-रूस संबंधों के विश्वास के रिश्ते में संशय के बादल छा रहे थे. आतंकवाद पर पाकिस्तान से नरमी पूर्ण बर्ताव, पाकिस्तान से निकटता और विशेषकर पाकिस्तान के साथ सैन्य अभ्यास, वन रोड वन बेल्ट पर चीन का समर्थन इत्यादि मुद्दों ने संशय में और भी वृद्धि कर दी थी. ऐसी परिस्थितियों में प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा पर संपूर्ण विश्व की नजरें थीं. साथ ही दुनिया भारत-रूस परमाणु समझौते को लेकर भी उत्सुक थी. परंतु रूसी राष्ट्रपति पुतिन की मुलाकात ने उपरोक्त सभी मामलों से पटाक्षेप कर दिया.

narendra modi, Vladimir Putinपुरी दुनिया की निगाहें नरेंद्र मोदी और वलादिमीर पुतिन की मुलाकात पर थीं

रूस ने पाकिस्तान से घनिष्ठ सैन्य संबंध से इंकार कर पाकितान को दिया झटका-

इस द्विपक्षीय मुलाकात ने रिश्तों में घुल रहे तनाव को काफी हद तक खत्म कर दिया है. रूस के पाकिस्तान के साथ बढ़ रही दोस्ती को लेकर भारत की चिंताओं को भी पुतिन ने खारिज कर दिया. रूसी राष्ट्रपति ने स्पष्ट कहा कि रूस के पाकिस्तान के साथ ‘घनिष्ठ’ सैन्य संबंध नहीं और भारत के साथ उसकी करीबी दोस्ती को हल्के में नहीं लिया जा सकता. रुस ने स्पष्ट किया कि भारत-रुस संबंध कितने गहरे हैं, यह इससे स्पष्ट होता है कि दुनिया में भारत के अतिरिक्त कोई और दूसरा देश नहीं है जिससे मिसाइल जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में रूस की ऐसी गहन साझेदारी हो. रूस ने स्पष्ट किया कि हमें भारत के साथ अपने सैन्य सहयोग में आंकड़ों पर जोर नहीं देना चाहिए, क्योंकि यह आकार और गुणवत्ता में अभूतपूर्व स्तर पर है. यह भारत के साथ हमारे विश्वास पर आधारित रिश्तों से होता है. एक तरह से रूसी राष्ट्रपति ने न केवल पाकिस्तान के सैन्य सहयोग पर स्थिति स्पष्ट की अपितु एक तरह से भारत को स्पष्ट संकेत दिया कि रूस भारत के साथ मिसाइल प्रौद्योगिकी समेत अत्याधुनिक रक्षा प्रौद्योगिकी को साझा करने की दीर्घकालिक आकांक्षा रखता है.

आतंकवाद से मिलकर लड़ेंगे भारत-रूस

भारत और रूस ने दुनिया के सभी देशों से सीमापार आतंकवाद रोकने की अपील करते हुए कहा कि इसे खत्म करने के लिए निर्णायक और सामूहिक प्रयास आवश्यक हैं. दोनों राष्ट्रप्रमुखों ने बातचीत के बाद जारी दृष्टिकोण पत्र में कहा कि दोनों देश आतंकवाद के खिलाफ अपना सहयोग जारी रखेंगे. इसे पीट्सबर्ग से पाकिस्तान को सीधे तौर पर दिए गए कठोर संदेश के रूप में देखा जा सकता है. दृष्टिपत्र में कहा गया है कि आतंकवाद चाहे वैचारिक, धार्मिक, राजनीतिक, नस्लीय, जातीय या किसी अन्य प्रकार क्यों न हो, हम इसके सभी रुपों की निंदा करते हैं. प्रधानमंत्री मोदी इसके पूर्व जर्मनी और स्पेन में आतंकवाद का मुद्दा उठा चुके हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में रूस को भारत का नैसर्गिक साझेदार बताया.

परमाणु, रक्षा सहित कई महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर

भारत और रूस ने तमिलनाडु में कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र की दो इकाइयों को लगाने के लिए एक बहुप्रतीक्षित समझौते पर गुरुवार को हस्ताक्षर किए और दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को भी नई दिशा देने का फैसला किया गया. दोनों देशों ने इस साल ‘इंद्र-2017’ नाम से तीनों सेनाओं का प्रथम युद्धाभ्यास आयोजित करने का फैसला लिया. सेंटपीट्सवर्ग घोषणाषत्र में दोनों देशों ने कुडनकुलम न्यूक्लियर पावर प्लांट की 5वीं और 6ठी यूनिट के जनरल फ्रेमवर्क एग्रीमेंट और कार्बन क्रेडिट प्रोटॉकोल को अंतिम रुप प्रदान किया. परमाणु समझौते सहित दोनों देशों के बीच 5 करार हुए हैं, जिसमें सांस्कृतिक आदान-प्रदान, रेलवे और जूलरी एक्सपोर्ट शामिल हैं.

narendra modi in russia

कुडनकुलम की पहली और दूसरी यूनिटों में उत्पादन शुरू हो चुका है, जबकि तीसरी और चौथी का काम चल रहा है. कुडनकुलम परमाणु संयंत्र की ये दोनों इकाइयां भारत की परमाणु ऊर्जा पीढ़ी को महत्वपूर्ण विकास देंगी. दोनों इकाइयों की क्षमता एक-एक हजार मेगावाट विद्युत उत्पन्न करने की होगी.

रिएक्टरों का निर्माण भारतीय परमाणु ऊर्जा निगम लिमिटेड और रूस के परमाणु संस्थानों की नियामक इकाई रोसाटॉम की सहायक कंपनी ‘एस्टोमस्ट्रॉयेएक्सपोर्ट’ करेंगे.

‘ए विजन फॉर द ट्वेंटी फर्स्ट सेंचुरी’ शीर्षक वाले दस्तावेज में कहा गया है कि भारत और रूस ऊर्जा क्षेत्र में एक दूसरे के पूरक हैं और दोनों देश एक 'ऊर्जा सेतु' बनाने की दिशा में काम करेंगे. इसमें कहा गया है कि परमाणु ऊर्जा, परमाणु ईंधन चक्र और परमाणु विज्ञान और प्रौद्योगिकी समेत व्यापक परिप्रेक्ष्य में भारत-रुस सहयोग का भविष्य उज्ज्वल है.

भारत-रूस द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन के भावुक पल-

प्रधानमंत्री मोदी ने पिस्कारियोवस्कोये सीमेट्री दौरे पर भी गए थे, जहां द्वितीय विश्वयुद्ध और 900 दिन तक लेनिनग्राद पर कब्जे के दौरान मारे गए 5 लाख से अधिक लोगों का स्मारक बनाया गया है. ज्ञात हो इस युद्ध में पुतिन के परिवार ने भी बलिदान दिया था, जिसका प्रधानमंत्री ने संयुक्त वार्ता के दौरान उल्लेख भी किया. पुतिन ने भावुक होकर सीमेट्री जाने पर मोदी का आभार जताया और कहा कि रूस के जनता के दिल में ऐसी जगहों का खास महत्व है.

narendra modi in russiaपिस्कारियोवस्कोये सीमेट्री पर श्रद्धांजलि देते प्रधानमंत्री मोदी

साथ ही प्रधानमंत्री ने संयुक्त वार्ता के दौरान ही घोषणा की कि दिल्ली में एक सड़क का नाम भारत में रूस के पूर्व राजदूत एवं भारत के 'मित्र 'अलेक्जेंडर कदाकिन के नाम पर रखा गया है, जिनका इस वर्ष जनवरी में दिल्ली में निधन हो गया. धारा प्रवाह हिंदी बोलने वाले 67 वर्षीय कदाकिन को भारत का अच्छा मित्र माना जाता है. कदाकिन 2009 से भारत में रूस के राजदूत के तौर पर कार्यरत थे.

रूस भारत को एस-400 त्रिउंफ मिसाइल प्रणाली दे रहा है-

भारत-रूस सैन्य संबंध सदैव घनिष्ठ रहे हैं. रूस ने आश्वासान दिया है कि वह भारत को अत्याधुनिक हथियारों की आपूर्ति जारी रखेगा. भारत अपने सैन्य जरूरतों का 70% अब भी रूस से ही लेता है. रूस भारत को एस-400 त्रिउंफ मिसाइल प्रणाली की आपूर्ति की तैयारी कर रहा है. रूसी उपप्रधानमंत्री दिमित्र रोगोजिन ने कहा कि भारत को विमान भेदी मिसाइल प्रणाली एस-400 की आपूर्ति को लेकर तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं.

यूरेशियाई आर्थिक संघ के साथ मुक्त व्यापार पर गंभीर वार्ता-

मोदी और पुतिन के बीच यह सहमति भी बनी है कि भारत रूस की अगुवाई वाले यूरेशियाई आर्थिक संघ के साथ मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत को गंभीरता से आगे बढ़ाया जाएगा. इस संघ ने हाल ही में वियतनाम के साथ समझौता किया है और माना जा रहा है कि दूसरा समझौता भारत के साथ होगा. इससे रूस व उसके पड़ोसी देशों के साथ भारत का द्विपक्षीय कारोबार तेजी से बढ़ सकता है, जो अभी काफी कम है.

आर्कटिक क्षेत्र में हाइड्रोकार्बन की खोज के लिए मिलकर प्रोजेक्ट चलाने पर सहयोग-

दोनों देशों ने आर्कटिक क्षेत्र में हाइड्रोकार्बन की खोज के लिए मिलकर प्रोजेक्ट चलाने में दिलचस्पी दिखाई है. मोदी की रूस यात्रा के पूर्व एक भारतीय समाचार पत्र में पुतिन ने जिक्र करते हुए कहा था कि आर्कटिक क्षेत्र में हाइड्रोकार्बन मिलकर खोजने और उत्पादन परियोजनाओं में भारतीय कंपनियों की भागीदारी की संभावनाओं पर फिलहाल विचार हो रहा है.

हीरा उद्योग में परस्पर सहयोग -

हीरा उद्योग में सहयोग बढ़ाने के लिए संयुक्त रूप से काम करने के लिए संकल्प लिया गया. माना जाता है कि भारत और रूस के बीच डायमंड व्यापार अपेक्षाओं के अनुरूप नहीं है, जबकि इस क्षेत्र में दोनों परस्पर पूरक हैं. रूस दुनिया में कच्चे हीरे का सबसे बड़ा निर्यातक है, जबकि भारत प्रोसेस्ड अर्थात् संशोधित हीरों का.

इंटरनेशनल नॉर्थ साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर की रूसी प्रतिबद्धता-

इंटरनेशनल नॉर्थ साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करने पर भी रूस ने अपनी प्रतिबद्धता दोहरायी है. भारत को ईरान के रास्ते रूस और यूरोप से जोड़ने वाला प्रस्तावित ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट अटका हुआ है. इसे चीन की ‘वन बेल्ट वन रोड’ पहल के जवाब के रूप में देखा जा रहा है. यह  कॉरिडोर रेल, सड़क और पानी का 7200 किलोमीटर लंबा रुट होगा.

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भारत-रूस मित्रता के ऐतिहासिक 70 वर्ष-

भारत और रूस की मित्रता की कहानी भारत के आजादी के पूर्व 13 अप्रैल 1947 से प्रारंभ हो जाती है. इसी दिन भारत और रूस(तत्कालीन सोवियत संघ) ने आधिकारिक तौर पर दिल्ली और मास्को में मिशन स्थापित करने का फैसला लिया था. इस तरह दोनों देशों के दोस्ती की कहानी के 70 साल पूर्ण हो गए हैं. भले ही वर्तमान में अमेरिका और भारत के बीच मित्रता बढ़ी है, लेकिन वास्तव में रूस ही भारत का सच्चा दोस्त है. पिछले 70 वर्षों में अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य बदल गए, कई देश गृहयुद्ध की चपेट में झुलस गए, स्वयं सोवियत संघ का विघटित होकर रूस का प्रादुर्भाव हुआ, लेकिन भारत-रूस संबंध पूर्ववत बने रहे. रूस ने सदैव शीतयुद्ध के दौरान सुरक्षा परिषद में भारत का सहयोग किया.

अंतरिक्ष हो या औद्योगिकीकरण, रूस ने सभी में ऐतिहासिक रूप से भारत को सहयोग किया है. भारत ने वर्ष 1975 में पहला सैटेलाइट आर्यभट्ट रूस के ही मदद से तैयार किया था. भारत भले ही वर्तमान में अंतरिक्ष क्षेत्र में सुपर पावर है, परंतु अतीत में रूस का सहयोग महत्वपूर्ण रहा है. इसी प्रकार रूस के तकनीकी और आर्थिक मदद ने भारत के औद्योगिकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. बोकारो, भिलाई और विशाखापत्तनम स्थित कारखाने, भाखड़ा नांगल पनबिजली बांध, दुर्गापुर संयंत्र, नेयवेली में थर्मल पावर स्टेशन, कोरबा में विद्युत उपक्रम की स्थापना में रूस ने भारत की मदद की. मुंबई स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान की स्थापना में भी रूस ने सहायता की.

वर्तमान में जी-20, ब्रिक्स और संयुक्त राष्ट्र में दोनों देश भरपूर परस्पर सहयोग कर रहे हैं. शंघाई सहयोग संगठन के अगले सप्ताह कजाकिस्तान के अस्ताना में होने वाले शिखर सम्मेलन में  भारत को पूर्णकालिक सदस्य का दर्जा मिल जाएगा. इस संगठन में भी रूस प्रभावी भूमिका में है और भारत-रूस के सक्रियता में और भी वृद्धि होगी. वास्तव में प्रधानमंत्री के इस रूस यात्रा ने दोनों देशों में पुन: विश्वास बहाली का कार्य किया है. स्पष्ट है कि भारत-रूस के बीच सिर्फ राजनयिक ही नहीं, बल्कि आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक संबंधों को भी इस द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन ने पुन: नई गति प्रदान कर दी है.

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लेखक

राहुल लाल राहुल लाल @rahul.lal.3110

लेखक अंतर्राष्ट्रीय मामलों के जानकार हैं

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