New

होम -> सियासत

 |  7-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 21 अक्टूबर, 2018 05:16 PM
आईचौक
आईचौक
  @iChowk
  • Total Shares

लगता है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रिकॉर्ड कायम करने के मामले में जल्द ही सबको पीछे छोड़ देंगे. एक साल के भीतर ही लाल किले से तिरंगा फहरा कर पीएम मोदी ने अपने नाम से नया रिकॉर्ड बना लिया है. पिछले सत्तर साल में अब तक कोई भी प्रधानमंत्री ऐसा नहीं कर पाया था. 'आजाद हिंद सरकार' की 75वीं जयंती के मौके पर मोदी ने लाल किले पर करीब दो महीने बाद ही दोबारा झंडा फहरा लिया. हमेशा की तरह 15 को भी प्रधानमंत्री मोदी ने लाल किले की प्राचीर से झंडा फहराया था.

नेताजी सुभाष चंद्र बोस को लेकर प्रधानमंत्री मोदी ने अब वैसी ही थ्योरी दे डाली है जैसा अब तक सिर्फ सरदार पटेल और अंबेडकर के बारे में सुनने को मिलता रहा है. देखा जाए तो 2019 के लिए बीजेपी राष्ट्रवाद का जो एजेंडा लेकर चल रही है - नेताजी की शख्सियत पूरी तरह सूट भी करती है.

...और अब नेताजी!

चुनावी रैलियों से लेकर खास मौकों पर भी कांग्रेस प्रधानमंत्री मोदी के निशाने पर डिफॉल्ट मोड में रखी हुई नजर आती है. जिस तरह सरदार पटेल और बाबा साहब भीम राव अंबेडकर को लेकर प्रधानमंत्री मोदी कांग्रेस सरकारों को टारगेट करते रहते हैं - नेताजी सुभाष चंद्र बोस के मामले में भी बातें बिलकुल उसी दिशा में आगे बढ़ रही हैं.

एक बार प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि जवाहर लाल नेहरू की जगह अगर सरदार वल्लभ भाई पटेल देश के प्रधानमंत्री बने होते तो देश की तस्वीर पूरी तरह अलग होती. संसद में तो मोदी सीधे सीधे कह चुके हैं बीजेपी सरकार पिछली कांग्रेस सरकारों के पाप ढो रही है, वरना - देश तेजी से तरक्की की राह तय कर रहा होता.

narendra modiदो महीने बाद दोबारा मोदी ने फहराया तिरंगा...

21 अक्टूबर को लाल किले से प्रधानमंत्री ने कैंब्रिज के दिनों में नेताजी की लिखी बातों का जिक्र करते हुए कहा, "हम भारतीयों को ये सिखाया जाता है कि यूरोप, ग्रेट ब्रिटेन का ही बड़ा स्वरूप है. इसलिए हमारी आदत यूरोप को इंग्लैंड के चश्मे से देखने की हो गई है."

नेताजी की लिखी बात को अपने शब्दों में समझाते हुए मोदी ने बताया कि आजादी मिलने के बाद अगर देश को सुभाष बाबू, सरदार पटेल जैसे व्यक्तित्वों का मार्गदर्शन मिला होता और भारत को देखने के लिए वो विदेशी चश्मे की जरूरत हरगिज नहीं होती. सब कुछ बिलकुल अलग होता.

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘‘जिन नेताओं ने देश की सेवा की, भाजपा उन सबका सम्मान करती है... हमारी सरकार ने कई ऐसे महान लोगों का देश के प्रति योगदान याद किया जिसे कांग्रेस की सरकार ने कई सालों तक भुलाकर रखा था...’’

मोदी ने बताया, "मैंने पुलिस मेमोरियल में नेताजी के नाम पर एक सम्मान देने की घोषणा की है... अब हमारे जवानों को हर साल वीरता के लिए यह सम्मान दिया जाएगा...''

भारतीयता का पाठ पढ़ाते कैसे हैं

प्रधानमंत्री मोदी ने नेताजी से जुड़े वाकयों के साथ साथ आजाद हिंद फौज के सेनानी शाहनवाज खान की चर्चा कर देश में राष्ट्रवाद पर जारी बहस को बीजेपी के हिसाब से आगे बढ़ाने की भी कोशिश की. कुछ उसी तरह जिस तरीके से कभी खुद मोदी मस्जिदों में जाकर संदेश देने की कोशिश करते हैं या फिर संघ प्रमुख मोहन भागवत अपने भाषणों में.

प्रधानमंत्री मोदी ने याद दिलाया, ''इसी लालकिले में मुकदमें की सुनवाई के दौरान आजाद हिंद फौज के सेनानी शाहनवाज खान ने कहा था कि सुभाष चंद्र बोस ने उनके अंदर भारतीय होने का एहसास जगाया."

खुद प्रधानमंत्री मोदी या कोई और बीजेपी नेता जब भी किस प्रसंग में किसी मुस्लिम नाम का खास तौर पर उल्लेख करता है उसे राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में विशेष रूप से देखने और समझने की जरूरत होती है. हर ऐसी बात में बीजेपी नेता अपने समर्थकों को खास मैसेज देने की कोशिश करते हैं - चुनावों में श्मशान और कब्रिस्तान का फर्क समझाया जाना भी इसी नजरिये के दायरे में आता है.

शाहनवाज खान का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने पूछा भी - "आखिर वो कौनसे हालात थे, जिस वजह से शहनवाज खान ने ऐसी बात कही थी?" नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने 1943 में सिंगापुर में आजाद हिंद सरकार की स्थापना की थी. तभी 11 देशों की सरकारों ने आजाद हिंद सरकार को मान्यता भी दे डाली थी. आजाद हिंद सरकार ने तब कुछ देशों में अपने दूतावास भी खोले थे.

नेताजी से बीजेपी को कितना फायदा

नेताजी की चर्चा के साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ने कहा - "आज मैं कह सकता हूं कि भारत अब एक ऐसी सेना के निर्माण की तरफ बढ़ रहा है, जिसका सपना नेताजी ने देखा था. जोश, जुनून और जज्बा तो हमारी सैन्य परंपरा का हिस्सा रहा ही है, अब तकनीक और आधुनिक हथियारों की शक्ति भी जुड़ रही है."

केंद्र की बीजेपी सरकार की उपलब्धियां पेश करते हुए प्रधानमंत्री का कहना रहा, "हमारी सरकार ने सीमा पार सर्जिकल स्ट्राइक और नेताजी से जुड़ी गोपनीय फाइलों को सार्वजनिक करने जैसे कड़े फैसले लिए हैं."

लगे हाथ प्रधानमंत्री मोदी ने 2019 के आम चुनाव के बाद सत्ता में लौटने का भी दावा पेश किया, "इस सरकार में बड़े और कठिन फैसले लेने का साहस है और ये जारी रहेगा..."

narendra modiपटेल और अंबेडकर वाली चुनावी कतार में नेताजी को भी खड़ा करेगी बीेजेपी

प्रधानमंत्री मोदी का अक्सर ये आरोप रहा है कि कांग्रेस की नीति बांटो और राज करो की रही है. यही पॉलिसी अंग्रेजी हुकूमत की भी रही. अब नेताजी के बहाने मोदी यही समझाने की कोशिश है कि कांग्रेस शासन देश को अंग्रेजों की नीति से आगे बढ़ने ही नहीं दिया.

मोदी ने कहा कि नेताजी ने एक ऐसे भारत का वादा किया था जिसमें सभी बराबर हों और हर किसी को बराबरी का मौका मिले. मोदी समझाना चाह रहे थे कि किस तरह नेताजी ने एक खुशहाल देश की कल्पना की थी जो अपनी परंपराओं की वजह से जाना जाये - और हर फील्ड में विकास की वजह से पहचान बनाये.

नेताजी के सपनों के भारत को लेकर मोदी बोले, "नेताजी ने बांटो और शासन करो की नीति को जड़ से उखाड़ने का वादा किया था." प्रधानमंत्री मोदी नेताजी का नाम लेकर यही समझा रहे हैं कि अगर 'एक परिवार को खुश' की जरूरत न रहती तो देश आज अपनी वजह से दुनिया भर में जाना जाता. विदेशों में भी मोदी इस बात को कुछ ऐसे समझा चुके हैं कि पहले भारत को लेकर लोगों के मन में हिचक होती थी लेकिन जब से वो कुर्सी पर बैठे हैं बड़े गौरव के साथ भारत का नाम लिया जाता है. मोदी को अपने इस दावे पर विपक्ष के तीर भी सहने पड़े हैं.

2015 के विधानसभा चुनावों से पहले केंद्र की बीजेपी सरकार और ममता बनर्जी दोनों ने ही नेताजी से जुड़ी सीक्रेट फाइलें रिलीज की थी - ममता दोबारा सत्ता में जरूर लौटीं लेकिन बीजेपी को कोई फायदा नहीं मिला - यहां तक कि नेताजी के रिश्तेदार चंद्र बोस भी बीजेपी के टिकट पर अपनी सीट नहीं बचा सके.

दरअसल, पश्चिम बंगाल अब भी बीजेपी की हिट लिस्ट में सबसे महत्वपूर्ण टास्क है. बीजेपी को अब भी उम्मीद है कि नेताजी का नाम उसमें काम आ सकता है. पश्चिम बंगाल में नेताजी बिलकुल अंबेडकर की भूमिका में जैसे गुजरात और उस मूड के मतदाताओं के लिए सरदार पटेल अहम होते हैं. हाल ही में अंबेडकर के साथ साथ कबीर को भी आजमाया गया और आगे भी बीजेपी के एजेंडे का हिस्सा रहेगा - नेताजी को भी अब बीजेपी ने अपने लेटेस्ट वर्जन में नये ऐडऑन फीचर के रूप में जोड़ लिया है. वैसे ये जरूरी भी तो नहीं कि हर नया फीचर चमत्कार की करे.

इन्हें भी पढ़ें :

आखिर नेताजी से डरते क्यों थे जवाहर लाल नेहरु ?

ऐसे हुई थी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत! अंग्रेजों ने की थी साजिश...

लाल किले पर पहला तिरंगा जनरल शाहनवाज खान ने ही फहराया था

लेखक

आईचौक आईचौक @ichowk

इंडिया टुडे ग्रुप का ऑनलाइन ओपिनियन प्लेटफॉर्म.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय