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Updated: 11 सितम्बर, 2019 10:45 PM
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विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी बीजेपी ने ऐसी मुहिम चला रखी है कि विपक्ष लगातार कमजोर पड़ता जा रहा है. सबसे बुरा हाल तो महाराष्ट्र में है. अमित शाह तो अपने भाषण में सिर्फ खिंचाई कर रहे थे कि अगर बीजेपी ने अपने दरवाजे खोल दिये तो NCP में सिर्फ शरद पवार और महाराष्ट्र कांग्रेस में पृथ्वीराज चव्हाण ही बचेंगे - और हाल के एक कार्यक्रम में शरद पवार का गुस्सा इस बात की पुष्टि भी कर रहा है.

महाराष्ट्र के बाद बीजेपी का ज्यादा जोर हरियाणा विधानसभा चुनाव पर है और उसमें भी हुड्डा परिवार को घेरने पर. वैसे विधानसभा चुनाव की तैयारी तो अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी भी कर रही है - लेकिन बीजेपी उसे हरियाणा में हल्के में ले रही है क्योंकि असल चुनौती उसे दिल्ली में लग रही होगी. वैसे भी हरियाणा के बाद नंबर दिल्ली का ही है.

उत्तर प्रदेश के मथुरा से प्रधानमंत्री ने 'गाय' के साथ 'ऊं' को जो सियासी तड़का लगाकर कर पेश किया है - उसकी गूंज दूर तक जानी तय है. दूर तक बोले तो नीतीश कुमार के बिहार से लेकर ममता बनर्जी के पश्चिम बंगाल तक. आखिर चुनाव तो वहां भी होने हैं और ये हथियार चलाने वाले तब तक और भी हुनर हासिल कर चुके होंगे.

विधानसभा चुनावों से पहले गूंजने लगा - 'ऊं' 'गाय' नमः

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष को निशाने पर लेते हुए कहा है - 'ॐ' शब्‍द सुनते ही कुछ लोगों के कान खड़े हो जाते हैं... कुछ लोगों के कान में 'गाय' शब्‍द पड़ता है तो उनके बाल खड़े हो जाते हैं... उनको करंट लग जाता है!

योगी आदित्यनाथ को तो वैसे भी गाय, बछड़ों और गौशाला में खास दिलचस्पी रहती ही है - जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मथुरा में गाय पर भाषण शुरू किया होगा तो यूपी के मुख्यमंत्री की खुशियों का ठिकाना नहीं रहा होगा. जैसे ही गाय के साथ साथ 'ऊं' योगी के कानों में पड़े होंगे, बहुत सुकून मिला होगा - और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी कुछ हद तक राहत की सांस जरूर ली होगी. वैसे भी 'मिलेनियल्स' पर ऑटो-सेक्टर की मायूसी का ठीकरा फोड़ कर वो एक बहस में तो घिर ही चुकी थीं. ऑटो सेक्टर की तबाही के लिए जिस ओल-उबर को वित्त मंत्री कठघरे में खड़ा करने की कोशिश कर रही हैं - वो भी मौजूदा मोदी सरकार की देन है. ये ओला-उबर इस्तेमाल करने वाले ही हैं जिन पर नये ट्रैफिक नियमों का जरा भी असर नहीं हुआ है - वो बेरोक टोक धड़ल्ले से अपना सफर जारी रखे हुए हैं.

pm modi begins cow debateक्या के नाम से करंट सिर्फ चुनावी है?

योगी आदित्यनाथ तो पहले से ही कुलदीप सेंगर को लेकर परेशान थे. ऊपर से चिन्मयानंद का केस भी रोजाना फजीहत कराने लगा है. एक तरफ उन्नाव केस में दिल्ली के एम्स में अदालत लग रही है तो दूसरी तरफ चिन्मयानंद के खिलाफ कभी पेन ड्राइव तो कभी मसाज का वीडियो यूपी की सियासत में धमाल मचाने लग रहा है. यूपी SIT के पुलिसवाले की घंटों की पूछताछ का भी पीड़ित कानून की छात्रा, उसके घरवाले और दोस्त पीछे हटने को तैयार नहीं हैं. ऐसे में मोदी के गाय पर नये सिरे से विमर्श ने योगी आदित्यनाथ के कलेजे पर जो ठंडक पहुंचायी होगी उसकी तासीर को समझने की कोशिश जरूर की जा सकती है.

दरअसल, प्रधानमंत्री मोदी मथुरा में दुधारू पशुओं को गंभीर बीमारियों से मुक्त कराने के लिए तैयार की गई 13,500 करोड़ की टीकाकरण योजना का शुभारम्भ करने मथुरा पहुंचे थे. हाल ही में केंद्रीय पशुपालन मंत्री गिरिराज सिंह भी एक कार्यक्रम में नागपुर में थे - जहां उन्होंने समझाया कि सरकार गायों से जुड़ी अर्थव्यवस्था पर किस तरह और किस हद तक तैयारी कर रही है. गिरिराज सिंह बोले, 'आने वाले समय में देश के अंदर जो भी गर्भाधान होगा, जो भी गायें पैदा होंगी वे केवल बछिया होंगी... ये सॉर्टिंग सेक्स सीमेन के जरिये संभव होगा...' गिरिराज सिंह ने इसके दो बड़े फायदे भी समझाये, एक किसानों की आमदनी बढ़ेगी और दो - मॉब लिंचिंग नहीं होगी.

गाय पर प्रधानमंत्री का बयान आते ही बीजेपी के विरोधी मॉब लिंचिंग की घटनाओं के साथ हमले शुरू कर दिया हैं. कांग्रेस नेता हरीश रावत, सीपीआई नेता डी. राजा और असदुद्दीन ओवैसी ने प्रधानमंत्री मोदी के साथ साथ बीजेपी की राजनीति को टारगेट करने लगे हैं - ये कहते हुए कि विधानसभा चुनाव आते ही बीजेपी की ओर से ध्रुवीकरण की कवायद चालू हो चली है.

'गाय' पर नये विमर्श का असर कहां तक?

गौरक्षकों के हिंसक हमलों को लेकर प्रधानमंत्री मोदी कई बार बयान दे चुके हैं - और राज्यों को इसमें शामिल कुछ असामाजिक तत्वों को लेकर एक डॉजियर तक तैयार करने की सलाह दे चुके हैं. प्रधानमंत्री का ताजा बयान गाय को लेकर है जिसमें उन्होंने कहा कि गोभक्त और गोसेवक में भी फर्क है. ध्यान रहे ये बयान तब आया है जब महाराष्ट्र और हरियाणा के साथ साथ झारखंड में भी विधानसभा के चुनाव होने जा रहे हैं - और हाल फिलहाल झारखंड के तबरेज अंसारी की मौत का मामला भी चर्चा में है. नयी चर्चा तबरेज अंसारी की मौत पर पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट को लेकर हो रही है. पुलिस ने इस केस में 11 आरोपियों के खिलाफ हत्या का केस दर्ज किया था - लेकिन अब उसे हटा लिया गया है.

पुलिस का कहना है कि डॉक्टरों की रिपोर्ट में बताया गया है कि तबरेज की मौत भीड़ की पिटाई से नहीं बल्कि दिल का दौरा पड़ने से हुई. 22 साल के तबरेज की बाइक चोरी के शक में एक भीड़ पर पीट पीट कर मार डालने का आरोप लगा था. तबरेज अंसारी की हत्या को भी पहलू खान और एखलाक के केस से जोड़ कर देखा गया था.

कुछ दिन पहले पुलिस की कार्यप्रणाली पर एक सर्वे आया था जिसमें मुस्लिम समुदाय को लेकर कई पूर्वाग्रह सामने आये. सर्वे में शामिल 50 फीसदी पुलिसवालों का मानना रहा कि मुसलमानों में अपराध करने की प्रवृत्ति होती है - और 35 फीसदी पुलिसवाले गौरक्षा के नाम पर भीड़ के हाथों पिटाई को स्वाभाविक मानते हैं.

गाय पर शुरू हुई इस बहस का असर हरियाणा और झारखंड ही नहीं दिल्ली, बिहार और पश्चिम बंगाल तक भी असर देखने को मिलने वाला है. दरअसल, बीजेपी एक ही हथियार नीतीश कुमार और ममता बनर्जी दोनों के खिलाफ इस्तेमाल करती है. याद कीजिये NDA से बाहर रहने पर बीजेपी के खिलाफ नीतीश और ममता के हमलों की लाइन एक ही होती थी.

नीतीश कुमार एक बार फिर बीजेपी के निशाने पर हैं. बिहार बीजेपी के नेता संजय पासवान ने नीतीश कुमार से बीजेपी के लिए सीएम की कुर्सी छोड़ने की सलाह दे ही डाली है. संजय पासवान की दलील है कि बीजेपी की वजह से डेढ़ दशक तक मुख्यमंत्री रह चुके नीतीश कुमार को ये कुर्सी अब बीजेपी के लिए छोड़ देनी चाहिये. संजय पासवान ने बीजेपी की ओर से कुर्सी के दो दावेदारों के नाम भी बता दिये हैं - मौजूदा डिप्टी सीएम सुशील मोदी और केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय. मोदी कैबिनेट 2.0 से शामिल होने से पहले तक नित्यानंद राय बिहार बीजेपी के अध्यक्ष हुआ करते रहे.

2020 में दिल्ली और बिहार विधानसभा चुनावों साल भर बाद ही बीजेपी पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी को सत्ता से बेदखल करने की कोशिश में है. 2019 के लोक सभा चुनाव में बीजेपी ने पैर तो जमा ही लिया है - ममता बनर्जी भी इस बात खासी चिंतित हैं. आने वाले दिनों में ममता बनर्जी को सिर्फ गाय ही नहीं 'ऊं' से भी टक्कर लेनी होगी - अभी तक तो वो तरीके से 'जय श्रीराम' से भी मुकाबला नहीं कर पाती हैं.

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गाय ही रामबाण है तो सारी मुसीबत हम यूं ही ढो रहे हैं!

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