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Updated: 21 मार्च, 2016 09:18 PM
राहुल मिश्र
राहुल मिश्र
  @rmisra
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पाकिस्तान के पूर्व तानाशाह जनरल और राष्ट्रपति रहे परवेज मुशर्रफ ने नवाज शरीफ सरकार के साथ समझौता कर देश को अलविदा कह दिया है. मई 2013 के आम चुनावों के बाद कत्ल और देशद्रोह जैसे गंभीर आरोपों के चलते मुशर्रफ को तीन साल तक देश न छोड़ने का फरमान सर्वोच्च अदालत ने सुनाया था. मुशर्रफ पर पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो के कत्ल की साजिश, 2007 में निजी फायदे के लिए संविधान में में फेरबदल करने जैसे आरोप लगे हैं. संविधान के साथ छेड़छाड़ करने के आरोप में मुशर्रफ पर देशद्रोह का मुकदमा चल रहा है.

पिछले साल जून में पाकिस्तान के सिंध प्रांत की अदालत ने मुशर्रफ के ऊपर लगा देश छोड़ने का प्रतिबंध हटा लिया था. लेकिन नवाज शरीफ सरकार ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई जिसपर बीते बुधवार सिंध की अदालत के फैसले पर मुहर लगा दी गई और गुरूवार को मुशर्रफ ने देश छोड़ दिया.

मुशर्रफ ने कोर्ट से दुबई जाकर इलाज कराने की अपील की थी जिसे कोर्ट ने मान लिया. हालांकि कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि मुशर्रफ को विदेश जाने देने पर फैसला पाकिस्तान की नवाज शरीफ सरकार को करना है.

वहीं पाकिस्तान सरकार ने कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा है कि मुशर्रफ को विदेश में इलाज कराने की इजाजत कोर्ट से मिली है, लिहाजा सरकार यह फैसला ले रही है. साथ ही सरकार दावा कर रही है कि परवेज मुशर्रफ ने तीन-चार हफ्तों में इलाज पूरा कराकर लौटने की गारंटी दी है.

अब कानूनी पैंतरा कुछ भी कहे एक बात साफ है कि पाकिस्तान की अदालत और पाकिस्तान की सरकार ने देशद्रोह के गंभीर आरोपों को नजरअंदाज करते हुए मुशर्रफ को ये गच्चा देने का मौका दिया है. ऐसा पाकिस्तान के एक प्रमुख उर्दू अखबार का दावा है.

पाकिस्तान मीडिया में छप रही खबरों के मुताबिक परवेज मुशर्रफ ने बीमारी का बहाना बना कर देश से भागने में सफल हुए हैं. गौरतलब है कि मुशर्रफ के देश छोड़ने से पहले लाहौर हाईकोर्ट से फरियाद की गई थी कि उनके ऊपर दुबारा प्रतिबंध लगाया जाए लेकिन कोर्ट ने फरियादी पर ही जुर्माना लगा दिया.

 

लेखक

राहुल मिश्र राहुल मिश्र @rmisra

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में असिस्‍टेंट एड‍िटर हैं

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