New

होम -> सियासत

 |  4-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 11 मार्च, 2021 11:10 PM
प्रभाष कुमार दत्ता
प्रभाष कुमार दत्ता
  @PrabhashKDutta
  • Total Shares

चुनावी मौसम में भी कांग्रेस की मुश्किलों कम होती नहीं दिख रही है. पूर्व केंद्रीय मंत्री, दिग्गज कांग्रेसी नेता और पार्टी के प्रवक्ताओं में से एक रहे पीसी चाको ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. पीसी चाको के इस्तीफे से पहले से ही दिक्कतों का सामना कर रहे गांधी परिवार की राह में और कांटे बिछा दिए हैं. चुनावी राज्य केरल में चुनाव से ठीक पहले दिया गया पीसी चाको का इस्तीफा इसी प्रदेश से सांसद और कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को शर्म से लाल करने वाला है. पीसी चाको को सोनिया गांधी और राहुल गांधी दोनों का खास माना जाता रहा है. दिल्ली कांग्रेस प्रभारी के रूप में 2014 से 2020 तक उनका कार्यकाल इस विश्वास को आसानी से दर्शाता है. दरअसल, चाको के कार्यकाल के दौरान राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में लोकसभा चुनाव के साथ ही 2015 और 2020 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस एक भी सीट जीतने में नाकाम रही थी.

अब एक बार उन शिकायतों पर नजर डाल लेते हैं, जो पीसी चाको ने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजी अपनी चिठ्ठी में लिखी और मीडिया में टिप्पणी की है. चाको ने कहा कि 'कांग्रेस में लोकतंत्र नहीं बचा है. मैं केरल से आता हूं, जहां कांग्रेस कोई पार्टी नही है. कांग्रेस आलाकमान मूकदर्शक बना रहा है. मैंने कांग्रेस की खातिर जी-23 में शामिल होना सही नहीं समझा, लेकिन उन्होंने (G-23) जो सवाल उठाए वह पार्टी के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं.' कांग्रेस के इस दिग्गज नेता की ऐसी तीखी टिप्पणी उस चुनौतीपूर्ण समय में आई है, जब जी-23 नेताओं द्वारा गांधी परिवार और खासकर राहुल गांधी की कार्यशैली पर सवाल उठाए जा रहे हैं.

राहुल गांधी ने हाल ही में केरल में कई यात्राएं की हैं, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि कांग्रेस के नेतृत्व वाला युनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (UDF) सत्ता में वापसी कर सके. 1980 के दशक से ही राज्य में विधानसभा चुनावों में हर पांचवें साल में सत्ता परिवर्तन होता रहा है. सीपीएम के नेतृत्व वाला सत्तारूढ़ लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (LDF) सत्ता को बनाए रखकर इस परंपरा को तोड़ने की कोशिश कर रहा है. स्थानीय निकाय चुनाव में हाल के अपने मजबूत प्रदर्शन के बाद एलडीएफ विशेष रूप से ऐसा करना चाहेगा.

केरल की हालिया यात्रा में लोगों को खुद से जोड़ने के चक्कर में राहुल गांधी ने एक अटपटा बयान दिया था.केरल की हालिया यात्रा में लोगों को खुद से जोड़ने के चक्कर में राहुल गांधी ने एक अटपटा बयान दिया था.

केरल की अपनी एक यात्रा के दौरान लोगों को खुद से जोड़ने के चक्कर में राहुल गांधी ने एक अटपटा बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि केरल के मतदाता 'सतही नहीं' थे, जिस पर काफी राजनीतिक बवाल मचा था. उन्होंने कहा था कि पहले 15 साल तक मैं उत्तर भारत में सांसद था, वहां मैं एक अलग प्रकार की राजनीति का अभ्यस्त हो गया था. मेरे लिए केरल में आना अचानक से आई ताजी हवा की तरह था. यहां के लोग मुद्दों में दिलचस्पी रखते हैं, केवल सतही तौर पर नहीं, बल्कि मुद्दे की जड़ तक जाते हैं.

दिलचस्प बात यह है कि जब राहुल गांधी विधानसभा चुनाव से पहले केरल के मतदाताओं का दिल जीतने की कोशिश कर रहे थे. तब उनके इस बयान से लंबे समय तक गांधी परिवार के प्रति वफादार रहे पीसी चाको की हताशा बढ़ रही थी. उनकी इस हताशा का कारण यह था कि पार्टी के दो पक्ष हैं- कांग्रेस (आई) और कांग्रेस (ए) का नेतृत्व कर रहे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ओमन चांडी और रमेश चेनिथला कथित तौर पर जीत की संभावनाओं पर चर्चा किए बिना टिकट बांट रहे थे.

चाको ने पार्टी से इस्तीफा देते हुए कहा कि केरल में कांग्रेसी होना बहुत मुश्किल है. केरल में जहां कांग्रेस के पास सत्ता में वापसी का मौका है, वहां राहुल गांधी पार्टी गुटों में फैली जटिलताओं में सुधार करने में नाकाम रहे हैं. पीसी चाको का यह बयान उन्हें कांग्रेस के जी-23 के असंतुष्ट नेताओं के समर्थन में खड़ा करता है. जी-23 कांग्रेस के उन असंतुष्ट नेताओं का समूह है, जिसने बीते साल कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर अध्यक्ष सहित पार्टी के प्रमुख पदों पर चुनाव कराने की मांग की थी. इस समूह का अनौपचारिक रूप से गुलाम नबी आजाद नेतृत्व कर रहे हैं. असंतुष्ट नेताओं ने कांग्रेस नेतृत्व की किसी भी समय आसानी से उपलब्धता की मांग भी की थी.

चाको ने समझाया कि मैं कांग्रेस की खातिर जी-23 में शामिल नहीं हुआ, लेकिन उन्होंने जो सवाल उठाए हैं, पार्टी के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं. जी-23 के असंतुष्ट नेताओं के सवालकांग्रेस नेतृत्व की जवाबदेही तय करने से जुड़े थे. दरअसल, पार्टी लगातार अपने नेताओं को खो रही है, जिन्हें कांग्रेस ने ही राजनीति में आगे बढ़ाया. साथ ही वह राज्य दर राज्य अपना राजनीतिक आधार भी खो रही है. असंतुष्टों का कहना है कि कांग्रेस अपने अस्तित्व को बचाने के संकट का सामना कर रही है. चाको के इस्तीफे ने इसी बात का सबूत पेश किया है.

लेखक

प्रभाष कुमार दत्ता प्रभाष कुमार दत्ता @prabhashkdutta

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में असिस्टेंट एडीटर हैं.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय