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Updated: 15 मार्च, 2019 06:37 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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न्यूजीलैंड के क्राइस्ट चर्च में बड़ा हमला हुआ है. हमलावर ने क्राइस्ट चर्च की दो मस्जिदों को निशाना बनाया है और 49 बेगुनाह लोगों को मौत के घाट उतार दिया है. जबकि 30 से ऊपर लोग इस हमले में घायल हुए हैं. न्यूज़ीलैंड की प्रधानमंत्री ने इसे आतंकवादी हमला क़रार दिया है. न्यूज़ीलैंड की पीएम जैसिंडा अर्डर्न ने मरने वालों की संख्या की पुष्टि करते हुए 'शुक्रवार' को अपने देश के लिए 'काला दिन' बताया है.

घटना दिल दहला देने वाली है और घटना के बाद से ही इसपर प्रतिक्रियाओं का दौर शुरू हो गया है. न्यूजीलैंड में हुए इस गोलीकांड का संज्ञान पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी ली. लिया है. मामले पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उन्होंने मस्जिद में हुए इस गोलीकांड की कड़े शब्दों में निंदा की है.

न्यूजीलैंड, मस्जिद, गोलीबारी, आतंकवाद, कट्टरपंथ     न्यूजीलैंड की मस्जिदों में हुए हमले को आतंकी हमला माना जा रहा है

इमरान खान ने ट्वीट करते हुए वही रटा रटाया पुराना जवाब दिया है और तमाम बातों के बीच कहा है कि - 'आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता है.' पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान यहीं रुक जाते फिर भी ठीक था. उन्होंने घटना को इस्लामोफोबिया से जोड़ दिया. इमरान ने कहा कि 9/11 हमलों के बाद हो रहे इन हमलों के लिए मैं इस्लामोफोबिया को जिम्मेदार ठहरता हूं जिसमें लगातार 1.3 बिलियन मुसलमानों को किसी एक मुसलमान द्वारा की गयी आतंकी वारदात के लिए दोषी ठहराया जाता रहा है. यह जानबूझकर वैध मुस्लिम राजनीतिक संघर्षों को प्रदर्शित करने के लिए किया गया है.

न्यूजीलैंड, मस्जिद, गोलीबारी, आतंकवाद, कट्टरपंथ     पाक पीएम ने अपने ट्वीट में इस्लामोफोबिया का मुद्दा उठाया है

सवाल है कि आखिर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री किस मुंह से ऐसी बातें कर रहे हैं? इस घटना के बाद इमरान का उस बात को दोहराना कि 'आतंकवाद का कोई धर्म नहीं है.' उनके चाल, चरित्र और चेहरे का सही सही अवलोकन दुनिया को करा देता है. कह सकते हैं कि कि आज जो हालात पाकिस्तान के हैं वहां लगातार इस्लाम के नाम पर बेगुनाहों को मारा जा रहा है. जगह-जगह आतंकी हमले हो रहे हैं और देश के प्रधानमंत्री के रूप में इमरान खान हाथ पर हाथ धरे बैठे और मामलों को लेकर एकदम चुप हैं.

आखिर क्यों नहीं इमरान खुल कर इस्लामी आतंकवाद का नाम लेते हैं? आखिर क्यों नहीं इमरान खान कट्टरपंथियों पर नकेल कसते हैं? कैसे पाकिस्‍तान में ही पैगंबर मोहम्‍मद के पवित्र नाम पर मसूद अजहर जैसा आतंकी 'जैश ए मोहम्‍मद' आतंकी संगठन बना लेता है? और इस्‍लामी कट्टरपंथ की दलीलें देकर लोगों को आत्‍मघाती हमले करने के लिए प्रेरित करता है? इसी जैश-ए-मोहम्‍मद का सदस्‍य आदिल अहमद डार खुलेतौर पर वीडियो में इस्‍लाम का हवाला देकर 'काफिर' हिंदुओं के खिलाफ हमला करने की बात करता है, और खुद को सेना की गाड़ी से टकराकर मर जाता है? यदि इन सवालों का जवाब तलाश करें तो मिलता है कि पाकिस्‍तान में आतंकवाद को इस्लाम से जोड़ने का इतिहास रहा है, और इस गुनाह में वहां की सरकारों और सेना ने बढ़-चढ़कर हिस्‍सा लिया है. आज भी पाकिस्‍तान के नेता ये बात अच्‍छी तरह जानते हैं कि यदि उन्‍होंने आतंकवाद के रास्‍ते अपनी रोटी सेंक रहे कट्टरपंथियों के खिलाफ ईमानदारी से कार्रवाई की, तो उनका सत्‍ता में बना रहना मुश्किल हो जाएगा. और यदि बात बिगड़ी तो जान भी जा सकती है. पाकिस्‍तान के पूर्व विदेश मंत्री ख्‍वाजा मेहमूद आसिफ खुद स्‍वीकार कर चुके हैं, कि पाकिस्‍तान में आतंकियों को सरकारों ने ही खड़ा किया, और अब वे उनके लिए सिरदर्द बन गए हैं.

अच्छा चूंकि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान,न्यूजीलैंड में हुई इस गोलीबारी का जिम्मेदार इस्लामोफोबिया को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. तो यहां हमारे लिए भी जरूरी हो जाता है कि हम उन्हें कुछ बातें बताएं और कुछ जरूरी और अहम सवाल उनसे पूछें. ये वाकई अपने आप में हास्यापद है कि जिस देश का आधार ही हिंदूफोबिया हो, वो दुनिया को इस्लामोफोबिया पर ज्ञान बांच रहा है. इमरान को याद रखना चाहिए कि पाकिस्तान का निर्माण ही हिंदूफोबिया को आधार बनाकर किया गया था. उन्‍हें जिन्‍ना की दलीलें नहीं भूलनी चाहिए, जिसमें पाकिस्‍तान की मांग करते हुए उन्‍होंने भारत में हिंदुओं के बीच मुसलमानों को असुरक्षित बताया था.

न्यूजीलैंड, मस्जिद, गोलीबारी, आतंकवाद, कट्टरपंथ     बड़ा सवाल ये है कि इमरान खान किस मुंह से नैतिकता की बात कर रहे हैं

पूर्व से लेकर आजतक हम पाकिस्तान में ऐसे मामलों की भरमार देख चुके हैं जिसमें वहां की आम जनता के दिल में भारत को लेकर नकारात्मक छवि बनाई जा रही है. यदि इस बात को बिल्कुल ताजे उदाहरण के रूप में समझना हो तो हम भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर पाकिस्तान और वहां की जनता का रुख देख सकते हैं. चाहे पाकिस्तान की सरकार हो या फिर वहां की मीडिया, दोनों ही के द्वारा इस बात के भरपूर प्रयास किये जा रहे हैं कि कैसे भी करके पाकिस्तान की आवाम के सामने पीएम मोदी की छवि को धूमिल किया जाए.

यदि पाकिस्तान और इमरान खान वाकई आतंकवाद पर नियंत्रण के लिए गंभीर होते, तो शायद हम उन्हें ये कहते हुए सुन लेते कि पुलवामा में किये गए हमले के लिए जिम्मेदार आतंकवाद है. यदि पाकिस्तान और इमरान सही होते तो हम पुलवामा हमले को अंजाम देने वाले आदिल अहमद डार के मुंह से हिंदुओं के खिलाफ उगली जा रही बातें नहीं सुनते. पुलवामा हमले के फौरन बाद आए जैश आतंकी आदिल अहमद डार के उस वीडियो का यदि अवलोकन किया जाए तो मिल रहा है कि जहां एक तरफ हमला पाकिस्तान प्रायोजित था. तो वहीं दूसरी तरफ साफ पता चल रहा था कि पाकिस्तान के दिल में भारत, खासकर हिंदुओं के प्रति किस हद तक नफरत है.

इमरान ने बातें तो बहुत बड़ी-बड़ी की हैं मगर जैश-ए-मोहम्मद के मुखिया मसूद अजहर और हाफिज सईद जैसे लोगों पर उसका जो स्टैंड है, वो हमारे सामने हैं. ये कहना हमारे लिए अतिश्योक्ति नहीं है कि पाकिस्तान जैसा देश कभी आतंकवाद पर गंभीर था ही नहीं. यदि वो गंभीर होता तो हम कबका हाफिज सईद और मसूद अजहर जैसे लोगों को सलाखों के पीछे देख चुके होते. इमरान को याद रखना चाहिए कि जो आग उन्होंने लगाई है वो आज नहीं तो कल उन्हें भी अपनी चपेट में लेगी.

बहरहाल, न्यूजीलैंड के इस हमले के बाद दुनिया को नैतिकता का पाठ पढ़ाने वाले इमरान खान को इस हमले को एक सबक की तरह देखना चाहिए. इमरान को आज ही उस ताकतों पर नकेल कसनी शुरू कर देनी चाहिए जो उनके देश में कट्टरपंथ की जनक हैं और जो अपने राजनीतिक हित के लिए जनता विशेषकर युवाओं को बरगलाने का काम कर रही हैं.

अब वो वक़्त आ गया है जब दुनिया को दिखाने के लिए ही सही मगर इमरान कट्टरपंथ पर प्रहार करें. अंग्रेजी में कहावत है कि, 'Charity begins at home' अतः इमरान को शुरुआत अपने घर से करनी चाहिए. यदि इमरान ये कर ले गए तब उनके मुंह से ये सुनना वाकई अच्छा लगेगा कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता है. वरना दुनिया पाकिस्तान के दोगले रवैये को अच्छे से जानती है और समझ जाएगी कि हमेशा ही तरह पाकिस्तान और इमरान फिर अपनी गलती छुपाने के लिए झूठ का सहारा ले रहे हैं.

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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