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Updated: 06 अक्टूबर, 2016 12:39 PM
राहुल मिश्र
राहुल मिश्र
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29 सितंबर को भारतीय सेना द्वारा की गई सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पद पर बैठे नवाज शरीफ ने पाकिस्तानी संसद का विशेष सत्र बुलाते हुए दावा किया कि पाकिस्तान की रक्षा क्षमता पर भारत किसी तरह की गलतफहमी में न रहे. विशेष सत्र में भारत को चुनौती देते हुए नवाज शरीफ ने कहा कि वह अपनी रक्षा के साथ-साथ भारत के किसी भी हमले पर पलटवार करने में सक्षम है. नवाज शरीफ पाकिस्तान को सर्जिकल स्ट्राइक में सक्षम बता रहे हैं जबकि 1947 में मिली आजादी के बाद पाकिस्तान ने पूरी दुनिया को यह सुबूत दे दिया है कि ऐसी सर्जिकल स्ट्राइक में वह एक्सपर्ट ही नहीं बल्कि इस क्षेत्र में वह अपने आप में हार्वर्ड और ऑक्सफोर्ड युनिवर्सिटी जैसी दक्षता से लैस है. यकीन नहीं आता. गौर करें कुछ तथ्यों और आकंड़ों पर.

कब और क्यों पाकिस्तान में शुरू हुई सर्जिकल स्ट्राइक

ब्रिटिश हुकूमत की गुलामी से आजादी इस शर्त पर मिली कि ‘इंडिया’ के दो टुकड़े कर दिए जाएं. एक मुस्लिम बाहुल पाकिस्तान और बचा हुआ हिस्सा भारत. पाकिस्तान बनाने का श्रेय लेने वाले कायदे आजम मोहम्मद अली जिन्ना चाहते थे कि बंटवारे के बाद पाकिस्तान एक लोकतांत्रिक संविधान बनाए जहां सरकार का मजहब से कोई लेना देना न हो. सभी धर्म और समुदाय के लोग ठीक उसी तरह रहें जैसा कि गुलामी के दिनों में वह ‘इंडिया’ में रहते थे. लेकिन जिन्ना ने पाकिस्तान बनाने के लिए जिस मजहब के मुल्ला-मौलवियों को अपने साथ करने के लिए यह कहकर डराया था कि हिंदू बहुल भारत में उनके अधिकार सुरक्षित नहीं रहेंगे, आजाद पाकिस्तान बनते ही उन्हें ये गंवारा न हुआ. उनका फैसला पाकिस्तान को इस्लामिक राष्ट्र बनाने का हुआ और एक ऐसा इस्लामिक राष्ट्र जहां गैर-मुसलमान के लिए कोई जगह न हो. यहीं से शुरुआत होती है पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक की. जी, पहला सर्जिकल स्ट्राइक आजादी के साथ पाकिस्तान ने शुरू किया बंटवारे के दौरान जहां उसकी कोशिश रही कि ज्यादा से ज्यादा गैर-मुसलमानों को या तो पाक जमीं से भगा दिया जाए नहीं तो कत्ले-आम कर दिया जाए.

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 प्रधानमंत्री नवाज शरीफ

गैर-मुसलमान की गिनती से परेशान हो गया पाकिस्तान

बंटवारे में हुए कत्लेआम की बू आना बंद हुई तो पाकिस्तान ने घोषित कर दिया कि वह इस्लामिक मुल्क है. जहां गैर-मुसलमानों के लिए कोई जगह नहीं. लिहाजा, सत्ता पर काबिज हुक्मरानों ने कोशिश की कि वह पाकिस्तान में गैर-मुसलमानों की गिनती कर ले. इस गिनती को शुरू करने के लिए जरूरी हो गया कि वह पहले मुसलमान की परिभाषा दे जिससे गैर-मुसलमानों को पहचानने में आसानी हो. ये परिभाषा दी गई और इस परिभाषा के मुताबिक पाकिस्तान में रहने वाले हिंदू, इसाई, जैन, बौद्ध, अहमदिया, शिया जैसे तमाम समुदायों को गैर-मुसलमान घोषित कर दिया गया. हद तो तब हो गई जब मुल्ला-मौलवियों के दबाव में आकर पाकिस्तान की हुकूमत ने उन सुन्नी मुसलमानों को भी गैर-मुसलमान घोषित करने की ठान ली जो परिभाषा से गैर-मुसलमानों के पक्ष में खड़ा होगा. कह सकते हैं कि पाकिस्तान की यह कोशिश मुसलमानों को अपने इस्लामिक राष्ट्र में ही अल्पसंख्यक बनाने की हो गई. बहरहाल, इस परिभाषा के बाद सर्जिकल स्ट्राइक का दूसरा, सबसे लंबा और सबसे घिनौना दौर शुरू हुआ. भारत में उपजे अहमदिया समुदाय को गैर-मुसलमान घोषित कर दिया गया और शुरू हुआ पूरे पाकिस्तान में उनका कत्लेआम. साथ ही सुन्नी मुसलमानों का कत्ल और हिंदूओं का कत्ल. अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने पाकिस्तान की पश्चिमी देशों के लिए अहमियत को देखते हुए उल्लंघन के मामलों को दर्ज तो किया लेकिन कभी कोई रिपोर्ट नहीं तैयार की. गौरतलब है कि इस किस्म की सर्जिकल स्ट्राइक पूरे पाकिस्तान में बदस्तूर जारी है. इस सर्जिकल स्ट्राइक को कानूनी जामा भी खुद नवाज शरीफ की पहली सरकार में बने ईशनिंदा कानून से पहना दिया गया जिसे आज तक पाकिस्तान में हिलाया नहीं जा सका है. 

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छह दशकों से जारी इस सर्जिकल स्ट्राइक का नतीजा

आजादी के वक्त 1947 में पाकिस्तान में कुल गैर-मुसलमानों की संख्या लगभग 23 फीसदी के आसपास थी. आज पाकिस्तान में गैर-मुसलमान की संख्या घटकर 3 फीसदी के नीचे पहुंच रही है. शायद यह जानकर आपको हैरानी भी हो कि आज पाकिस्तान में हिंदू से ज्यादा इसाई जनसंख्या है (वह भी शायद इसलिए कि पाकिस्तान में इसाइयों ने मुस्लिम नाम रखना शुरू कर दिया और पाकिस्तान पर कुछ दबाव पश्चिमी देशों का था कि इसाइयों पर सर्जिकल स्ट्राइक को कुछ संभालकर अंजाम दिया गया). पाकिस्तान की कुल जनसंख्या में लगभग 20-25 फीसदी शिया मुसलमान हैं और इनके खिलाफ बीते कई वर्षों में सर्जिकल स्ट्राइक को तेज कर दिया गया है. पाकिस्तान में आए दिन शिया मस्जिदों में आतंकी धमाका या एक47 से फायरिंग की वारदात होती है लेकिन इसके खिलाफ पाकिस्तान का लगभग 70 फीसदी मुसलमान कुछ इसलिए नहीं बोलता कि कहीं वह खुद गैरमुसलमान न करार दिए जाएं. वहीं अहमदिया मुसलमान, जिन्हें पाकिस्तान का कानून मुसलमान नहीं मानता, उनकी गिनती तो एक फीसदी के नीचे दशमलव में पहुंच चुकी है.

अब आप ही बताइए, क्या ये आंकड़े दुनिया को यह साबित करने के लिए काफी नहीं है कि नवाज शरीफ पाकिस्तान को सर्जिकल स्ट्राइक के लिए महज सक्षम देश बता रहे हैं. जबकि पाकिस्तान तो अपने आप में सर्जिकल स्ट्राइक की पूरी की पूरी युनिवर्सिटी है और वह भी हार्वड और ऑक्सफोर्ड जैसी दक्षता वाली.

लेखक

राहुल मिश्र राहुल मिश्र @rmisra

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में असिस्‍टेंट एड‍िटर हैं

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