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Updated: 25 जनवरी, 2018 01:23 PM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
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पद्मावत फिल्म की रिलीज को लेकर करणी सेना ने यह साफ-साफ कह दिया है कि किसी भी हाल में इसे चलने नहीं दिया जाएगा. डर के मारे कई राज्यों के सिनेमाहॉल मालिकों ने तो यह भी कह दिया है कि वह इसे दिखाएंगे ही नहीं. फिल्म देखने जाने वाले लोग पहले ही डरे हुए हैं. जो कुछ लोग हिम्मत कर के फिल्म देखने जा रहे हैं, उनकी सुरक्षा के लिए सिनेमाहॉल में पुलिस फोर्स तैनात की गई है. यहां बात सिर्फ एक फिल्म की नहीं है, बात है देश के लोगों की सुरक्षा की. देश में इस समय जैसा माहौल करणी सेना ने पैदा कर दिया है, उससे यह समझ नहीं आ रहा कि अगर कोई आतंकी संगठन ऐसा माहौल पैदा कर देता तो क्या तब भी सरकार यूं ही हाथ पर हाथ धरे बैठी रहती? क्या तब भी इंतजार किया जाता कि कोई हिंसा करेगा तो उसे गिरफ्तार करेंगे? क्या तब भी भड़काऊ बयान देने वालों को गिरफ्तार नहीं किया जाता? अजी जरूर किया जाता, क्योंकि तब मामला वोट बैंक का नहीं होता ना, बल्कि अपनी देशभक्ति दिखाने का होता.

पद्मावत, करणी सेना, हिंसा, नरेंद्र मोदी, राहुल गांधी

बच्चों को जिंदा जला देती 'करणी सेना' ?

पद्मावत फिल्म के विरोध में अभी तक तो सिर्फ अलग-अलग राज्यों की संपत्ति को नुकसान पहुंचाया जा रहा था, लेकिन अब तो गुरुग्राम ने ऐसी तस्वीर दिखाई है, जिससे अच्छे-अच्छों का दिल दहल जाए. गुरुग्राम में करणी सेना के कथित कार्यकर्ताओं ने एक स्कूल बस में तोड़-फोड़ की, जिसमें कुछ बच्चों को मामूली चोटें भी आईं. उन उपद्रवियों का इरादा तो बस को आग लगाने का था, उनके पास पेट्रोल बम थे, लेकिन पुलिस और वहां मौजूद कुछ लोगों के विरोध के बाद उपद्रवी फरार हो गए और बच्चों सही सलामत बच गए. आखिर ये कौन लोग थे, जिन्हें बच्चों पर भी तरस नहीं आया और उन्होंने उसमें भी तोड़-फोड़ कर दी? पता नहीं इन लोगों को पुलिस कभी पकड़ भी पाएगी या नहीं.

भाजपा की ओर से न कोई विरोध, न निंदा !

सोशल मीडिया पर लोगों की खरी-खोटी सुनने के बाद आखिरकार राहुल गांधी ने दबे-दबे स्वर में करणी सेना का विरोध कर भी दिया, लेकिन भाजपा टस से मस न हुई. लगता है कि न तो पीएम मोदी को करणी सेना का हंगामा करना कोई बड़ी बात लग रही है ना ही भाजपा के किसी अन्य नेता या मंत्री को. जिन राज्यों में हिंसा की वारदातें हो रही हैं, वो सभी भाजपा शासित ही हैं. इनमें गुजरात, हरियाणा, मध्य प्रदेश और राजस्थान हैं. पूरे देश में फिल्म को रिलीज करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश से पहले तो इन्हीं राज्यों के भाजपा के मंत्रियों ने अपना मत साफ करते हुए कह दिया था कि इस फिल्म को रिलीज नहीं होने देंगे. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी उसके खिलाफ याचिका डाल दी, लेकिन उसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया. अब जब खुद सरकार ही ऐसा चाह रही हो तो किस मुंह से वह करणी सेना का विरोध करेगी. ऐसा लग रहा है कि पीएम मोदी का 56 इंच का सीना भी करणी सेना की दहाड़ से दहल गया है.

यूके जाकर वहां के थिएटर भी जला देगी करणी सेना?

ब्रिटिश बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन ने यूके में पद्मावत फिल्म को रिलीज करने के लिए हरी झंडी दे दी है. करणी सेना के नेता सुखदेव सिंह ने कहा है कि हर वो थिएटर जलेगा, जहां पद्मावत का शो चलेगा. इसे करणी सेना की गुंडागर्दी नहीं तो फिर और क्या कहा जाए? उन्होंने कहा है कि वह खुद यूके जाकर इसके खिलाफ प्रदर्शन करते, लेकिन उनका पासपोर्ट जब्त किया जा चुका है तो वह यूके में मौजूद राजपूतों से फिल्म की रिलीज के विरोध में खड़े होने के लिए कहेंगे. यानी सुखदेव सिंह ये कह रहे हैं कि देश में तो थिएटर जलाएंगे ही और अगर विदेशों में भी किसी ने ये फिल्म लगाई तो उसका थिएटर भी जलेगा. इससे यह बात तो साफ हो जाती है कि क्यों बहुत सारे सिनेमाहॉल के मालिकों ने इस फिल्म को दिखाने से मना कर दिया है.

सुप्रीम कोर्ट को तो कुछ समझते ही नहीं

न्याय की आखिरी उम्मीद होती है सुप्रीम कोर्ट, जिसका आदेश सभी मानते हैं. देश के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से लेकर आम जनता तक को सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करने का अधिकार नहीं है. वहीं दूसरी ओर करणी सेना है जो खुलेआम कह रही है कि वह पद्मावत को किसी भी सिनेमाहॉल में चलने नहीं देगी यानी सुप्रीम कोर्ट के आदेश को करणी सेना कुछ नहीं समझती है. करणी सेना के नेता लोकेंद्र सिंह कल्वी की बातें सुप्रीम कोर्ट के आदेश का साफ-साफ उल्लंघन हैं, लेकिन फिर भी न तो पुलिस उन पर हाथ डाल सकती है न ही सरकार उनका विरोध कर रही है.

सवाल ?

तो क्‍या सारे नियम-कानून सिर्फ आम जनता के लिए ही होते हैं? कोई अगर अपनी गाड़ी का इंश्योरेंस रिन्यू कराने में एक दिन लेट हो जाए और ट्रैफिक पुलिस के हत्थे चढ़ जाए तो उसका चालान कटना पक्का है, या फिर हो सकता है दो-चार सौ में मामला निपटा भी दिया जाए. कोई लड़का अपनी गर्लफ्रेंड के साथ सड़क पर घूमता दिख जाए तो तुरंत पुलिस उसे रोक कर रोमियो करार देने का मौका भी नहीं छोड़ती. वहीं दूसरी ओर करणी सेना के नेता और कार्यकर्ता हैं, जिन्हें देखते ही पुलिसवालों के पैर मानों खुद-ब-खुद पीछे हटने लगते हों. आखिर क्या कारण है कि आए दिन कोई न कोई सेना या दल ऐसे भड़काऊ बयान देते हैं जिनकी मंजिल हिंसा होती है. आखिर क्यों ऐसे लोगों को किसी बड़ी घटना होने से पहले गिरफ्तार नहीं किया जाता? इन सवालों के जवाब देना पीएम मोदी की भी जिम्मेदारी है और राहुल गांधी की भी. विपक्ष में बैठकर सिर्फ सरकार की बुराई करना एकमात्र काम नहीं होता, विपक्ष को सरकार के उदासीन रवैये के खिलाफ आगे बढ़कर जनता की रक्षा के अहम कदम उठाने के लिए सरकार पर दबाव डालना चाहिए.

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