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Updated: 26 अगस्त, 2015 03:26 PM
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सुशील कुमार मोदी
सुशील कुमार मोदी
  @modisushilkumar

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार को 1.65 लाख करोड़ का जो मेगा पैकेज दिया है, उसमें मीन-मेख निकलने वाले नीतीश कुमार और लालू प्रसाद इस पैकेज को लागू करने में सक्षम नहीं हैं. अब राज्य में ऐसी सरकार चाहिए जो ईमानदारी से विशेष पैकेज को लागू कर सके.

बिहार में देश का पहला बहुकौशल विश्वविद्यालय (Mega Skill University) स्थापित करने के लिए पैकेज में 1250 करोड़ रुपये दिये गए हैं. ऐतिहासिक विक्रमशिला के निकट केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाने के लिए 500 करोड़ रुपये दिये गए हैं. नीतीश कुमार बतायें कि क्या उच्च शिक्षा के ये प्रोजेक्ट नये नहीं हैं?

नीतीश कुमार यूपीए सरकार के दस साल में बिहार को कुछ नहीं दिला सके, जबकि एनडीए सरकार का मेगा पैकेज राज्य की तकदीर बदल सकता है. इसमें बिहार के पर्यटन उद्योग को नई ऊंचाई देने के लिए 600 करोड़ दिये गए हैं. रामायण सर्किट के लिए 100 करोड़, पावापुरी समेत जैन सर्किट, मंदार पहाड़ी सहित अंग क्षेत्र, सुल्तानगंज में कांवरिया पथ तथा महात्मा गांधी सर्किट के लिए 50-50 करोड़ और वैशाली-बोधगया-विक्रमशिला सहित बौद्ध सर्किट को नई सुविधाओं से लैस करने के लिए 200 करोड़ रुपये दिये गए हैं. पर्यटन प्रशिक्षण प्रबंधन संस्थान (IITPM) खोलने के लिए भी 100 करोड़ का प्रावधान है.

मुख्यमंत्री बतायें कि पर्यटन विकास के ये सारे कार्य क्या यूपीए के जमाने के हैं? क्या राज्य में पहले से IITPM जैसा संस्थान है? पहले केंद्र से पैकेज की मांग करना, फिर उस पर राजनीति करना और पैकेज मिलने पर उसमें कुछ नया नहीं होने का झूठा प्रचार करना नीतीश कुमार की हताशा का सूचक है.

वे बतायें कि भ्रष्ट कांग्रेस और अराजकतावादी लालू प्रसाद की गोद में बैठकर विकास योजनाओं को कैसे लागू कर सकते हैं? बिहार की जनता ने भाजपा के नेतृत्व में ऐसी सरकार बनाने का संकल्प कर लिया है, जो विशेष पैकेज को लागू करने की क्षमता और इच्छाशक्ति, दोनों से भरी हो.

वाकई, मोदीजी ने बिहार के लोगों के समर्थन के साथ साथ उनके भरोसे की भी बोली लगा दी.

अचरज की कोई बात नहीं. वित्त मंत्री अरुण जेटली या उनके मंत्रालय को इस बात से कोई गुरेज नहीं और देखा जा सकता है कि पैकेज के लिए किस तरह आम बजट में हेरफेर पर भी आमादा हैं.

1.25 लाख करोड़ के पैकेज में मुश्किल से 10500 करोड़ रुपये हैं जिसे फायदे के तौर पर देखा जा सकता है.

6000 करोड़ रुपये का पैकेज तो ऐसा है जिसका जमीनी हकीकत से दूर तक कोई नाता नहीं.

सवा लाख करोड़ में 1.08 लाख करोड़ रुपये तो वे हैं जिन्हें पुरानी स्कीम और मौजूदा परियोजनाओं की रीपैकेजिंग करके परोसा गया है.

ये बहुप्रचारित पैकेज ढीठ और निर्लज्ज प्रयास के सिवाय कुछ भी नहीं जिसकी बदौलत बिहार के लोगों को सपने दिखाए जा रहे हैं.

लेखक

आईचौक आईचौक @ichowk

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