New

होम -> सियासत

 |  6-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 17 जनवरी, 2020 07:46 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
  @msTalkiesHindi
  • Total Shares

दिल्‍ली चुनाव (Delhi election 2020) में अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) के खिलाफ जिन नामों की चर्चा खबरों में चल रही है, उनके साथ एक सरप्राइज नाम भी जुड़ चुका है - निर्भया की मां आशा देवी (Nirbhaya Mother Asha Devi) का. आशा देवी पर चर्चा की वजह दिल्ली में कांग्रेस की चुनाव अभियान समिति के प्रभारी कीर्ति आजाद (Kirti Azad) का एक ट्वीट है. निर्भया केस (Nirbhaya case) में अपडेट ये है कि दरिदों की फांसी को लेकर अब नया डेथ वारंट जारी हो चुका है - और फांसी दिल्ली में चुनाव की तारीख से पहले ही दे दी जाएगी. वैसे पूछे जाने पर आशा देवी का कहना है कि इस बारे में उनकी किसी भी पार्टी से कोई भी बात नहीं हुई है. अब सवाल ये है कि कीर्ति आजाद के ट्वीट करने का क्या मतलब हो सकता है?

फिलहाल, नई दिल्ली सीट पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को चैलेंज करने वालों में अभी एक ही नाम सामने आया है. उम्मीदवार है तो कोई स्वामी है जिसे दीपक के नाम से भी जाना जाता है, लेकिन चर्चा में आने की वजह उसके पास 9 रुपये कैश होना है. दरअसल, हलफनामे में ऐसा ही दावा किया गया है. स्वामी का कहना है कि बीजेपी चाहे तो उसे केजरीवाल के खिलाफ टिकट दे सकती है - और चूंकि बीजेपी के 57 उम्मीदवारों की सूची में नई दिल्ली से कोई नहीं है, संभावना खत्म नहीं समझी जानी चाहिये.

कीर्ति आजाद ने ऐसा ट्वीट क्यों किया?

अंत भला तो सब भला. निर्भया के दरिंदों की फांसी की नयी तारीख 1 फरवरी आयी है. पहले 22 जनवरी को फांसी होनी थी, लेकिन अपीलों के चलते इसमें रुकावट आ गयी. दिल्ली में चुनाव 8 फरवरी को है और उम्मीद है कि उससे हफ्ता भर पहले ही फांसी दे दी जाएगी.

निर्भया की मां आशा देवी ने भी बोल दिया - 'जब 2012 में ये घटना हुई थी तो... हाथ में तिरंगा लिया, काली पट्टी बांधी और महिलाओं की सुरक्षा के लिए खूब रैलियां कीं... खूब नारे लगाये. आज यही लोग उस बच्ची की मौत के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. कोई कह रहा है कि आपने रोक दिया, कोई कह रहा है कि हमें पुलिस दे दीजिए मैं दो दिन में दिखाऊंगा. अब मैं जरूर कहना चाहूंगी कि ये अपने फायदे के लिए उनकी फांसी को रोके हैं.'

निर्भया की मां के बयान के बाद फांसी टलने का मामला राजनीतिक तब हुआ जब दिल्ली चुनाव के लिए बीजेपी के प्रभारी और केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कह दिया, 'दिल्ली सरकार की देरी के कारण ये नहीं हो पाया... दिल्ली सरकार को जवाब देना चाहिये कि क्यों देर की गई?'

फिर निर्भया के पिता ने सवाल कर दिया, 'दिल्ली सरकार तब तक सोई रही, जब तक हम लोग नहीं आगे बढ़े. आखिर दिल्ली सरकार ने जेल अथॉरिटी से पहले क्यों नहीं कहा था कि आप फांसी के लिए नोटिस जारी करो.' कहते कहते वो यहां तक कह गये कि चुनाव से पहले फांसी पर कोई फैसला नहीं आता तो इसके जिम्मेदार केजरीवाल होंगे.

जब ये सवाल अरविंद केजरीवाल के सामने आया तो उनका कहना रहा कि निर्भया की मां को इस बयान के लिए किसी और ने प्रेरित किया है. केजरीवाल ने कहा, 'निर्भया केस में दिल्ली सरकार के अधीन सभी काम हमने घंटों में पूरे कर दिये. इस मामले से संबंधित किसी भी काम में हमने देरी नहीं की. हम चाहते हैं कि दोषियों को जल्द से जल्द फांसी दी जाये.'

अभी ये बहस चल ही रही थी कि दिल्ली कांग्रेस की चुनाव अभियान समिति के प्रभारी कीर्ति आजाद ने एक ट्वीट कर नयी बहस छेड़ दी - प्रश्नवाचक चिह्न के साथ मीडिया में खबर चलने लगी कि क्या अरविंद केजरीवाल के खिलाफ आशा देवी कांग्रेस की उम्मीदवार होंगी?

kirti azad, asha deviकीर्ति आजाद ने ये ट्वीट क्यों किया?

जब इस बाबत आशा देवी से पूछ गया तो साफ तौर पर कहा कि वो न तो राजनीति में आ रही हैं और न ही चुनाव लड़ने से कोई लेना-देना है. आशा देवी ने ये भी कहा कि इस बारे में उनकी किसी से कोई बात नहीं हुई है.

फिर तो सबसे बड़ा सवाल यही है कि कीर्ति आजाद ने ऐसा ट्वीट क्यों किया?

कीर्ति आजाद के ट्वीट में क्या इशारा है?

नयी दिल्ली सीट से चुनाव लड़ने में तो आम आदमी पार्टी से बगावत करने वाले कपिल मिश्रा की भी रही, लेकिन मॉडल टाउन से टिकट देकर बीजेपी ने ये किस्सा ही खत्म कर दिया. बीजेपी ने उनके इलाके करावल नगर से भी टिकट नहीं दिया.

वैसे बीजेपी की तरफ से अब तक एक नाम जो चर्चा में है वो है सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी का. ठीक वैसे ही कांग्रेस की ओर से शीला दीक्षित की बेटी लतिका का भी नाम लिया जा रहा था, लेकिन तभी एक ट्वीट कर कीर्ति आजाद ने ऐसी चर्चाओं को नयी हवा दे दी.

कीर्ति आजाद अगर कांग्रेस के चुनाव प्रभारी नहीं होते तो उनके ट्वीट पर कोई न तो ध्यान देता और न ही उसे जरा भी गंभीरता से लेने के कोशिश करता. कीर्ति आजाद का ट्विटर पर आशा देवी का स्वागत किया जाना यूं ही तो नहीं लगता.

हो सकता है ये कांग्रेस की किसी रणनीति का हिस्सा हो? ये भी हो सकता है ये फीडबैक लेने का कोई तरीका हो? तकरीबन ऐसा ही तरीका आम चुनाव में प्रियंका गांधी वाड्रा ने अपनाया था. कार्यकर्ताओं से सवाल जवाब में खुद ही बोला कि चुनाव लड़ना ही है तो बनारस से कैसा रहेगा - और फिर मामला CWC पर छोड़ कर खामोश हो गयीं.

करीब दो साल पहले एक बार निर्भया की मां आशा देवी ने बताया था कि राहुल गांधी की बदौलत ही उनका बेटा पायलट बन पाया.

2012 में जब निर्भया दरिंदों की शिकार हुई, तब उसका भाई 12वीं क्लास में था. जब राहुल गांधी को बताया गया कि निर्भया का भाई आर्मी में जाना चाहता है तो उन्होंने उसे पायलट की ट्रेनिंग लेने की सलाह दी. 2013 में CBSE की परीक्षा के बाद उसका एडमिशन हुआ और वो ट्रेनिंग लेने लगा. निर्भया की मां ने बताया था कि राहुल गांधी ने न सिर्फ उसकी ट्रेनिंग का खर्च उठाया बल्कि वो फोन करके लगातार उसकी हौसलाअफजाई भी करते रहे.

राहुल गांधी ने निर्भया के परिवार के लिए जो किया वो बहुत ही सराहनीय काम है - लेकिन कीर्ति आजाद ने जिस चर्चा को हवा दी है उसके बारे में भला क्या कहा जाये? क्या कीर्ति आजाद निर्भया की मां का राजनीतिक इस्तेमाल करके राहुल गांधी के एहसानों का बदला वसूलना चाहते हैं? अगर ऐसी वाकई कोई मंशा है तो बहुत ही घटिया है.

इन्हें भी पढ़ें :

Nirbhaya Case के दोषी मुकेश ने किस मुंह से दया की बात की है!

Nirbhaya के दोषियों को तो फांसी हो जाएगी, लेकिन किस-किस को दें मौत की सजा?

Nirbhaya Case Timeline: 'तारीख पर तारीख', और इस तरह टलती गई निर्भया के दोषियों की फांसी !

लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय