New

होम -> सियासत

 |  4-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 23 जनवरी, 2021 09:02 PM
मुकेश कुमार गजेंद्र
मुकेश कुमार गजेंद्र
  @mukesh.k.gajendra
  • Total Shares

बंगाल में विरासत पर सियासत जमकर हो रही है. इस सियासी जंग में आमने-सामने हैं बीजेपी और टीएमसी. विरासत है नेताजी सुभाष चंद्र बोस की. बंगाल में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. इसी बीच जब केंद्र सरकार ने 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती को पराक्रम दिवस के तौर पर मनाने का फैसला किया, तो ममता बनर्जी बौखला उठीं. बीजेपी के पराक्रम दिवस के जवाब में उन्होंने नेताजी की जयंती को देश नायक दिवस के रूप में मनाने का फैसला कर लिया. कोलकाता में पदयात्रा करके भारी जनसमूह के साथ मैसेज दिया कि नेताजी की विरासत पर वह इतनी आसानी से बीजेपी को सियासत नहीं करने देंगी.

1_650_012321082106.jpgनेताजी के बहाने ममता के गढ़ में पहुंचे मोदी, लेकिन गुस्से का सामना करना पड़ा

विरासत पर सियासत का इतिहास बहुत पुराना है. कांग्रेस कई दशकों से गांधी की विरासत पर सियासत कर रही है. इसके जवाब में बीजेपी ने सरदार वल्लभ भाई पटेल की विरासत को अपना बना लिया. लौहपुरुष की एक बड़ी मूर्ती गुजरात में लगाई गई. नाम दिया गया स्टैच्यू ऑफ यूनिटी. इस नाम के सहारे पूरे देश को एक सूत्र में पिरोने की कोशिश की गई. चुनावी मौसम बदला तो प्रतीक बदलने की जरूरत पड़ी. बंगाल में नेताजी से बड़ा नाम कोई और नहीं हो सकता था. इसलिए नेताजी की विरासत को अपनाने की जंग शुरू हो गई. आगामी विधानसभा को देखते हुए बीजेपी ने नेताजी के नाम पर ऐसा दांव खेला है कि सूबे की पूरी सियासत उन्हीं के आसपास घूमने लगी है.

प्रधानमंत्री के सामने ही भड़क उठीं ममता बनर्जी

23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती मनाने खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोलकाता पहुंच गए. प्रोग्राम तो सरकारी था, लेकिन राजनीति का बोलबाला दिखा. कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल में जयश्रीराम को नारे लगने लगे. बस फिर क्या था प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंच पर ही ममता बनर्जी नाराज हो गईं. उन्हें जब भाषण देने के लिए बुलाया गया, तो वह उन्होंने कहा, 'सरकार के कार्यक्रम की कोई डिग्निटी होनी चाहिए. ये सरकार का कार्यक्रम है. कोई राजनीतिक दल का कार्यक्रम नहीं. मैं प्रधानमंत्री जी की आभारी हूं कि आपने कोलकाता में कार्यक्रम बनाया. लेकिन, किसी को आमंत्रित कर उसे बेइज्जत करना आपको शोभा नहीं देता. मैं इसका विरोध करती हूं और कुछ नहीं बोलूंगी. जय हिंद, जय बांग्ला.'

'बीजेपी को चुनाव में ही बंगाल की क्यों याद आई'

विक्टोरिया मेमोरियल में प्रधानमंत्री के प्रोग्राम से पहले ममता बनर्जी ने कोलकाता के श्याम बाजार से लेकर रेड रोड तक एक पदयात्रा निकाली. इसके बाद उन्होंने कहा कि जब नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने इंडियन नेशनल आर्मी का गठन किया, तो उसमें सभी लोगों ने भाग लिया था. इसमें गुजरात, बंगाल, तमिलनाडु के लोग भी शामिल थे. वह हमेशा बांटो और राज करो की नीति के खिलाफ थे. बंगाल को और यहां की भावनाओं को बाहर के लोग नहीं समझ सकते हैं. बीजेपी की सरकार इतिहास बदलना चाहती है. नेता वही होता है, जो सबको साथ लेकर चलता है. बीजेपी को चुनाव में ही बंगाल की याद आई है. नेताजी हमारे लिए देश नायक हैं. नई पीढ़ी नेताजी को नहीं जानती है. नेताजी की मौत का सच उजागर होना चाहिए.

चुनाव में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती बीजेपी

इस बार होने वाले बंगाल विधानसभा चुनाव में बीजेपी कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है. बीजेपी ने अपने धुरंधर नेताओं को इस चुनाव की रणनीति बनाने के लिए मैदान में उतारा हुआ है. मध्य प्रदेश के तेज तर्रार नेता कैलाश विजयवर्गीय कई वर्षों से राज्य में डेरा डाले हुए हैं. यूपी के उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य लगातार राज्य का भ्रमण कर रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा पैनी नजर बनाए हुए हैं. लगातार रैली और जनसभाएं हो रही हैं. ऐसे में ममता बनर्जी की बौखलाहट जायज है. उनको पता है कि इस चुनाव में बीजेपी से कड़ी टक्कर मिलने वाली है. इसलिए उनकी पार्टी टीएमसी भी कोई चूक नहीं करना चाहती.

नेताजी के नाम के सहारे पार होगी चुनावी वैतरणी?

भारत के राजनीतिक इतिहास को खंगाले तो पाएंगे कि नाम की राजनीति बहुत अहम रही है. कांग्रेस नेहरू-गांधी के नाम की राजनीति करती रही है, तो बीजेपी राष्ट्रवाद और हिंदुत्व के नाम पर. याद करें बीजेपी की राजनीतिक बुनियाद राम के नाम पर ही मजबूत हुई थी. यूपी से शुरू हुई राम नाम की राजनीति की वजह से ही वह केंद्र में कई बार सत्ता का सुख भोग चुकी है. समय और जगह के साथ बीजेपी के प्रतीक चिह्न भी बदल जाते हैं. यही बंगाल चुनाव में भी देखने को मिल रहा है. गुजरात में श्री राम और सरदार पटेल थे, तो बंगाल में श्री राम और नेताजी. अब देखना दिलचस्प होगा कि नेताजी के नाम के सहारे क्या बंगाल में बीजेपी चुनावी वैतरणी पार कर पाती है या नहीं?

#सुभाष चंद्र बोस, #नरेंद्र मोदी, #ममता बनर्जी, Subhas Chandra Bose Birth Anniversary, Parakram Diwas Politics, Modi Vs Mamata Banerjee

लेखक

मुकेश कुमार गजेंद्र मुकेश कुमार गजेंद्र @mukesh.k.gajendra

लेखक इंडिया टुडे ग्रुप में सीनियर असिस्टेंट एडिटर हैं.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय