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Updated: 30 मई, 2019 04:24 PM
श्रुति दीक्षित
श्रुति दीक्षित
  @shruti.dixit.31
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Arun Jaitley ने स्वास्थ्य के कारण इस बार NDA 2.0 में कोई मंत्रालय न लेने का फैसला किया है. PM Narendra Modi Oath Taking Ceremony से पहले मोदी और अमित शाह की बैठक भी हुई है. उम्मीद है कि इसमें Modi Government 2.0 की कैबिनेट का फैसला हुआ है. नरेंद्र मोदी अपने शपथ ग्रहण से पहले अरुण जेटली से मिलने भी गए. अरुण जेटली लंबे समय से बीमार हैं, उन्होंने इस बार का अंतरीम बजट भी पेश नहीं किया था. मोदी सरकार में नए मंत्रियों के आने की बात तो चल रही है, लेकिन ये होगा कौन इसके बारे में अभी जानकारी नहीं है. सबसे अहम पद जो भारत की अर्थव्यवस्था के लिए जरूरी है वो है Finance Minister. जहां एक ओर Amit Shah के नाम पर भी जोर दिया जा रहा है कि वो भाजपा अध्यक्ष के बाद अब केंद्र में दूसरे सबसे अहम पद को संभालेंगे वहीं दूसरी ओर मोदी सरकार के अन्य काबिल चेहरों को लेकर बातें चल रही हैं. इसमें पियूष गोयल, निर्मला सीतारमन, नितिन गडकरी का नाम अहम है. 

Challenge: Economy की हालत सुधारना बेहद जरूरी है..

भारत दुनिया की सबसे ज्यादा तेज़ी से आगे बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है. यकीनन है, जीएसटी और नोटबंदी जैसे बदलाव भी भारतीय अर्थव्यवस्था झेल चुकी है, लेकिन फिर भी ये अपनी गति पर बनी हुई है. पर सबसे बड़ी चुनौती है इस अर्थव्यवस्था के हिसाब से भारत की बढ़ती आबादी के लिए नौकरियों का जुगाड़ करना. रोजगार की समस्या बहुत बड़ी है. इसी के साथ, इस गति से आगे बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था को स्थिर बनाए रखने के लिए भी बहुत से कदम उठाने होंगे.

Arun Jaitley की तरह को ऐसा इंसान अर्थव्यवस्था के लिए चाहिए जो न सिर्फ कड़े फैसले लेने की क्षमता रखता हो, बल्कि अर्थव्यवस्था को लेकर आगे बढ़ने की क्षमता भी हो. एक फैसला अगर गलत हो रहा है तो इतने बड़े देश में उसका असर बहुत बड़ा हो सकता है. ऐसे में वित्त मंत्री के साथ समस्या नई होगी. किसी भी वित्त मंत्री को भारत की अर्थव्यवस्था को समझना आना चाहिए. भले ही वो फाइनेंस से हो या न हो. अरुण जेटली और पी चिदंबरम दोनों ही वकील थे पर उन्होंने वित्त मंत्रालय का भार संभाला. आरबीआई गवर्नर शशीकांत दास भी फाइनेंस से नहीं हैं फिर भी वो आरबीआई के सबसे ऊंचे स्थान पर हैं.

नरेंद्र मोदी के पास चुनौती जेटली की जगह भरने से साथ-साथ जेटली की विरासत संभालने वाले व्यक्ति को चुनने की है.नरेंद्र मोदी के पास चुनौती जेटली की जगह भरने से साथ-साथ जेटली की विरासत संभालने वाले व्यक्ति को चुनने की है.

PM expectations: काबिल, भरोसेमंद व्यक्ति चाहिए

वित्त मंत्री ऐसा होना चाहिए जो काबिल होने के साथ-साथ भरोसेमंद भी हो. यहां अरुण जेटली का उदाहरण ही लिया जा सकता है. दो बड़े फैसले एनडीए सरकार में हुए जीएसटी और नोटबंदी. इसमें जेटली जी मोदी के साथ ही खड़े दिखे. नरेंद्र मोदी के सामने सबसे बड़ी चुनौती है अगले वित्त मंत्री के तौर पर एक काबिल, लेकिन भरोसेमंद व्यक्ति को चुनना. भाजपा का हिस्सा कई काबिल व्यक्ति हैं, लेकिन उसमें भरोसेमंद व्यक्ति को ढूंढना मुश्किल है. ऐसा व्यक्ति जो किसी भी बड़े से लेकर छोटे फैसले के समय सरकार के साथ खड़ा रहे. लेकिन उसमें इतनी काबिलियत भी हो कि अर्थव्यवस्था को ढर्रे पर ला सके.

Jaitley की विरासत: दबंग, स्पष्ट, और सरकार का बचाव करने में सक्षम

सबसे बड़ी समस्या जो अगला वित्त मंत्री चुनने में है वो है अरुण जेटली की विरासत को संभालना. इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड, GST, नोटबंदी में सुपरविजन, डिफेंस, फाइनेंस, कॉर्पोरेट अफेयर जैसे मंत्रालयों का कार्यभार संभालने का अनुभव, मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी, बैंक बोर्ड ब्यूरो का गठन जैसे कई काम अरुण जेटली ने पांच सालों में किए हैं.

अरुण जेटली दबंग थे और अपनी बातें स्पष्ट तौर पर कहते थे. नोटबंदी और जीएटी के बाद बहुत साफगोई से पत्रकारों के जवाब देने के साथ-साथ हर स्तर पर अर्थव्यवस्था को सुधारने की कोशिश की है.

सबसे बड़ी बात यही थी कि अरुण जेटली सरकार के बचाव में सक्षम थे. उनके हिसाब से सभी फैसले जरूरी थे और उनकी समझ को लेकर कोई सवाल नहीं उठा सकता था. नए वित्त मंत्री को यही विरासत संभालनी होगी. पिछले पांच सालों में जो काम जेटली ने किए हैं उन्हें निभाना होगा और बेहतर रिजल्ट भी देना होगा.

पर कौन बन सकता है अगला वित्त मंत्री?

वित्त मंत्री के पद के लिए कई नाम आगे आ रहे हैं. इनमें सबसे ऊपर तीन नाम हैं. पियूष गोयल, निर्मला सीतारमन और नितिन गडकरी.

1. Piyush Goyal: काबिल मंत्री, लेकिन अनुभव में कमी...

सबसे ऊपर नाम आ रहा है पियूष गोयल का क्योंकि वो इस साल का अंतरीम बजट पेश कर चुके हैं. पियूष गोयल के साथ सबसे बड़ी खूबी ये रही है कि जब-जब किसी मंत्रालय पर संकट की घड़ी आई है तब वो पालनहार बनकर सामने आए हैं. चाहें रेलवे हो, चाहें वित्त मंत्रालय हो. गोयल पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं और उनके पास किसी भी मंत्रालय को संभालने का अनुभव है. मंत्रालय उन्हें बेहद कम नोटिस के साथ दिया जाता है जैसे रेलवे मंत्रालय सुरेश प्रभु के इस्तीफे के बाद मिला और वित्त मंत्रालय का कार्यभार जेटली जी की तबियत बिगड़ने के बाद संभाला. इन्हें भाजपा का Go-To मिनिस्टर कहा जाता है जो किसी भी मंत्रालय में जाकर परफॉर्म कर सकते हैं. ऐसे में यकीनन पियूष गोयल अगले वित्त मंत्री हो सकते हैं.

समस्या ये है कि उन्हें इतना सीनियर मंत्री नहीं माना जाता. वित्त मंत्रालय के लिए बहुत से नाम सामने हैं और उसमें पियूष गोयल के साथ ये समस्या सामने आ सकती है. इसके अलावा, वो पहले से ही रेल मंत्रालय का कार्यभार संभाल रहे हैं और ये अपने आप में भारत के सबसे जरूरी मंत्रालयों में से एक है.

2. Nirmala Sitharaman: कुशल, काबिल, लेकिन प्रभाव में कमी..

यहां बात ये नहीं हो रही कि निर्मला सीतारमन ने क्या काम नहीं किए. बल्कि ये बात हो रही है कि उन कामों का नाम हुआ या नहीं. फिलहाल वो रक्षा मंत्री हैं. रक्षा मंत्री बनने से पहले वे भारत की वाणिज्य और उद्योग (स्वतंत्र प्रभार) तथा वित्त व कारपोरेट मामलों की राज्य मंत्री रह चुकी हैं. वो बेहद काबिल मंत्री हैं और कड़े फैसले ले सकती हैं, लेकिन यहां समस्या ये है कि उनका प्रभाव आम जनता पर कैसा पड़ रहा है और साथ ही साथ वो सरकार के बचाव के लिए कितनी सफलता से काम कर सकती हैं. संसद में राहुल गांधी ने राफेल पर सवाल उठाया था तब निर्मला सीतारमन ने बाकायदा कागज पर लिखे आंकड़ों को पढ़कर सुनाया था और बहुत ही रौबदार तरीके से वो विपक्ष का जवाब दे रही थीं, लेकिन यहीं आम जनता की बात करें तो सुषमा स्वराज, नितिन गडकरी, पियूष गोयल, अरुण जेटली, अमित शाह वाली छवि नहीं है उनकी.

3. Nitin Gadkari: बन सकते हैं, लेकिन क्यों नहीं बनेंगे?

नितिन गडकरी मोदी सरकार के सबसे काबिल मंत्रियों में से एक हैं. वो सड़क परिवहन और राजमार्ग, शिपिंग एंड वाटर रिसोर्स (जहाज़रानी), जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री हैं. इतना काम संभालने की क्षमता उनमें है. उन्हें अपने मंत्रालय के काम और आंकड़ों को गिनवाने के लिए कागज की जरूरत नहीं होती. गंगा प्यूरिफिकेशन का मामला हो या फिर इलेक्ट्रिक गाड़ियों के लिए FAME स्कीम का मामला, यहां तक की हाईवे और सड़क भी सब कुछ उन्हें याद है, कई स्कीम उनके सामने हैं और वो उन स्कीम का काम भरपूर कर रहे हैं. वो प्रभावशाली भी हैं. उनका नाम वित्त मंत्रालय के लिए सामने लाया जा रहा है पर ऐसा बहुत मुश्किल है कि उन्हें वो मंत्रालय मिले. इसके दो कारण हो सकते हैं.

नितिन गडकरी को भी एक समय के लिए पीएम पद का अहम दावेदार माना जा रहा था.नितिन गडकरी को भी एक समय के लिए पीएम पद का अहम दावेदार माना जा रहा था.

पहला ये कि नितिन गडकरी जो मंत्रालय अभी संभाल रहे हैं उसके कई काम आखिरी चरण पर हैं जैसे गंगा संरक्षण. इंफ्रास्ट्रक्चर उसे लेकर पिछले पांच सालों में बन चुका है, और बस अब काम शुरू होना बाकी है. इलेक्ट्रिक गाड़ियों की स्कीम भी अपने अंतिम चरण में बताई जा रही है. ऐसे में उनका मंत्रालय अगर उनसे छिनता है तो नए मंत्री को शुरू से सब कुछ समझना होगा.

दूसरा कारण थोड़ा अहम है. याद होगा कि कुछ समय पहले जब नरेंद्र मोदी के विकल्प के रूप में नाम सामने आ रहे थे तो भाजपा का ही एक धड़ा नितिन गडकरी का नाम ले रहा था. मोदी के कद के सामने किसी के खड़े होने की गुंजाइश है तो वो है नितिन गडकरी. ऐसे में सबसे अहम मंत्रालय देने से मोदी बच सकते हैं.

ये सारे कयास तो अपनी जगह हैं ही, लेकिन मोदी की आदत चौंकाने वाली रही है और इसके कारण ऐसा भी हो सकता है कि कोई अनोखा नाम वित्त मंत्रालय के लिए चुन लिया जाए. हो सकता है कि इन तीनों की जगह किसी राज्य मंत्री या फिर किसी अन्य को वित्त मंत्रालय की कमान सौंप दी जाए.

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श्रुति दीक्षित श्रुति दीक्षित @shruti.dixit.31

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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