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Updated: 03 जनवरी, 2019 05:03 PM
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किसानों का कर्ज तेजी से चुनावी मुद्दा बनता चला जा रहा है. हाल ही में हुए मध्‍यप्रदेश, राजस्‍थान और छत्‍तीसगढ़ विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस ने कर्ज माफी का वादा करके किसानों को अपने पाले में खींचा, तो अब मोदी सरकार नहले पर दहला लेकर आई है. खबर है कि मोदी सरकार किसानों के लिए एक बड़ी direct benefit transfer (DBT) योजना का एलान कर सकती है.

किसानों का कर्ज, किसान आत्महत्या और कर्ज माफी भारत में अहम मुद्दा है. ये सिर्फ इलेक्शन के पहले की नहीं बल्कि हर साल हर महीने की जद्दोजहद है. कहीं गर्मी के मौसम में बेमौसम बरसात तो कहीं सर्दी के मौसम में पाला किसानों की फसल बर्बाद कर देते हैं. ऐसे में किसानों को मजबूरी में कर्ज का सहारा लेना पड़ता है ताकि अगली फसल लगा सकें. जब किसान कर्ज नहीं चुका पाता तो सरकार कर्ज माफी का सहारा लेती है. ये पूरा चक्र ऐसे ही चलता रहता है. किसान कर्ज लेकर परेशान हो जाता है और उसे सहारा देने वाली सरकार जब तक कर्ज माफी का ऐलान करती है तब तक बहुत देर हो जाती है.

इस कर्ज, ब्याज और खराब फसल की समस्या से किसानों को परेशानी होती है. भारत के 4 ऐसे राज्य हैं जिन्होंने किसान कर्ज समस्या को निपटाने के लिए पहले ही अपने यहां कई सिस्टम बना रखे हैं, अब लगता है कि मोदी सरकार भी कुछ ऐसा ही सिस्टम लेकर आ रही है.

क्या स्कीम लेकर आ रही है सरकार-

खबर है कि मोदी सरकार 4000 रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से किसानों को फसल लगाने के सीजन से पहले ही दे देगी. इसी के साथ कर्ज 0% ब्याज पर दिया जाएगा. इससे केंद्र सरकार को 2.3 लाख करोड़ का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा. हालांकि, अभी इस स्कीम के बारे में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी हई है, लेकिन सूत्रों की मानें तो जल्द ही इस स्कीम की घोषणा हो सकती है.

कर्ज, किसान, मध्य प्रदेश, कर्ज माफी, नरेंद्र मोदी, कांग्रेस, भाजपामोदी सरकार की ये स्कीम किसानों को भविष्य में बहुत फायदा पहुंचा सकती है, लेकिन मौजूदा कर्ज का कोई उपाय नहीं.

अब यहां स्कीम को थोड़ा समझने की जरूरत है. सूत्रों के मुताबिक 4000 रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से हर सीजन यानी गर्मी और सर्दी की फसलों के लिए डायरेक्ट ट्रांसफर बेनिफिट को दिया ही जाएगा साथ ही, किसानों को 1 लाख तक का ब्याज मुक्त लोन दिया जाएगा. इसका असर ये होगा कि सीधे ट्रांसफर के 2 लाख करोड़ और अन्य ब्याज की वित्तीय सहायता पर 28-30 हज़ार करोड़ रुपए का खर्च होगा. यानी सालाना 2.3 लाख करोड़ का खर्च. इसी के साथ, 70 हज़ार की खाद सब्सिडी स्कीम और कई अन्य छोटी स्कीम भी इसका हिस्सा बन जाएंगी.

आखिर अब क्यों जागी सरकार-

इसका कोई एक उत्तर तो हो नहीं सकता पर मौजूदा समय में अपनी कट्टर प्रतिद्वंद्वी पार्टी कांग्रेस से लगातार इलेक्शन हारने और राहुल गांधी के बढ़ते कद को देखते हुए शायद भाजपा-एनडीए सरकार अब कोई भी कसर नहीं छोड़ना चाहती है. 2019 इलेक्शन से पहले ये फैसला इलेक्शन पर यकीनन असर डाल सकता है. केंद्र सरकार पीएमओ और नीती आयोग के साथ मीटिंग कर लगातार इस फैसले पर मुहर लगाने के लिए जुटी हुई है. इस कड़ी में एग्रीकल्चर, फाइनेंस, एक्सपेंडीचर, कैमिकल एंड फर्टिलाइजर, फूड मिनिस्ट्री के मंत्रियों से लगातार बात की जा रही है. इसी के साथ, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसानों से मिलकर उनकी समस्याएं सुलझाने की कोशिश में लगे हैं.

कैसे काम करेगी ये स्कीम-

जिस समय किसान अपनी फसल के लिए खेती का सामान लेने आएगा उसी समय खरीददार किसान की डिटेल्स जैसे कितनी जमीन है, कितना पैसा है, कितना कर्ज है, आधार कार्ड आदि सब कुछ रख लिया जाएगा. ये प्वाइंट ऑफ सेल मशीन की मदद से होगा. इसके बाद, केंद्र सरकार की तरफ से सीधे किसान के खाते में पैसे ट्रांसफर कर दिए जाएंगे. ये प्रति एकड़ के हिसाब से 4000 रुपए होंगे औऱ ये खेती के दोनों सीजन में ट्रांसफर किया जाएगा.

कुछ-कुछ ऐसा ही मॉडल ओडिशा, तेलंगाना और आंध्रप्रदेश में इस्तेमाल किया जा रहा है. इसी के साथ, DBT जैसी स्कीम खाद और फर्टिलाइजर्स के लिए पहले ही चल रही है.

कर्ज माफी कोई विकल्प नहीं....

साल की पहली तारीख को दिए अपने इंटरव्यू में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ये बात साफ कर दी है कि कर्ज माफी उनके लिए कोई विकल्प नहीं है. उन्हें लगता है कि इसके पहले की गई कर्ज माफी किसी तरह का कोई हल निकाल कर नहीं दे पाई. DBT स्कीम के बाद किसानों को कर्ज लेने और उसके बाद उसे न चुका पाने की समस्या से थोड़ी राहत मिलेगी. मौजूदा समय में किसानों को फसलों पर कर्ज बहुत आसान किश्तों में मिलता है साथ ही उन्हें ब्याज भी बहुत कम देना होता है. सिर्फ 4 प्रतिशत ब्याज पर उन्हें लोन मिल जाता है. अब नई स्कीम उस 4% को भी खत्म कर देगी. 1 लाख रुपए तक का लोन बिना ब्याज के मिलेगा.

2017-18 में केंद्र सरकार ने एग्री लोन का टार्गेट 10 लाख करोड़ रहा था जिसमें से 70 प्रतिशत किसानों को दिया जा चुका है. पर कर्ज माफी की समस्या के चलते कई बैंकों ने किसानों को लोन देना ही कम कर दिया है. अब अगर ये नई स्कीम आती है तो न सिर्फ ये इनपुट कॉस्ट कम करेगी बल्कि इससे किसानों की समस्याओं को थोड़ा आराम मिलेगा.

पर इस स्कीम में एक नुकसान भी है-

इस स्कीम का सबसे बड़ा नुकसान ये है कि इसके आने के बाद भी किसानों को मौजूदा कर्ज से कोई मुक्ति नहीं मिलेगी. जिन किसानों पर लाखों का कर्ज है उन्हें उतनी ही समस्या का सामना करना पड़ेगा. हां, ये भविष्य के लिए अच्छी स्कीम है जो किसानों को फायदा दे सकती है. पर मौजूदा समय में बैंकों पर 3 लाख करोड़ का किसान कर्ज है जो उन्हें वापस मिलने की कोई उम्मीद नहीं जताई जा रही है. जहां भविष्य की स्कीम बेहतरीन रिजल्ट दे सकती है वहीं कुछ ऐसा तरीका निकालना होगा जो किसान कर्ज के इस दानव को मौजूदा समय में भी खत्म कर सके. साथ ही, ये स्कीम उन किसानों को कैसे फायदा दे पाएगी जिनके पास खेती के लिए अपनी जमीन नहीं है. इस स्कीम की मॉनिटरिंग सबसे मुश्किल काम होगा.

हालांकि, DBT स्कीम की मदद से सरकार किसानों को सीधे फायदा पहुंचा सकेगी और इसमें किसी भी तरह का कोई बिचौलिया नहीं होगा.

मौजूदा समय में सिर्फ प्रस्ताव पास कर देने से ही काम नहीं चलेगा. केंद्र सरकार को सभी राज्य सरकारों को भी साथ लेकर चलना होगा. खेती राज्यों से जुड़ा मामला है और हर राज्य सरकार किसी न किसी तरह की स्कीम चलाती है ऐसे में जरूरी नहीं कि हर राज्य इस तरह के अतिरिक्त बोझ वाली स्कीम का हिस्सा बन जाए. राज्य ये चाहेंगे कि केंद्र सरकार इस स्कीम का पूरा भार उठाए. खास तौर पर वो राज्य जहां केंद्र के विपक्षी सरकार है. कई राज्यों में इस तरह की स्कीम पहले ही चल रही है और ऐसे में भाजपा सरकार कितना फायदा अपनी स्कीम से निकाल पाती है वो इस बात पर निर्भर करेगा कि इस स्कीम से किसानों को कितनी जल्दी फायदा मिलता है.

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