क्यों मेनका गांधी, अनंत हेगड़े नहीं बन पाए Modi Cabinet 2.0 का हिस्सा?
Maneka Gandhi और Anant Kumar Hegde को मोदी सरकार 2.0 में मंत्रीमंडल में जगह नहीं मिली है. इसके पीछे उनके विवाद हो सकते हैं.
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Modi Cabinet 2.0 अब पूरी तरह से बन गई है और Narendra Modi के साथ 57 अन्य कैबिनेट मंत्रियों ने 30 मई को शपथ ली थी. नई सरकार की पहली बैठक भी हो गई है. Nirmala Sitharaman, Amit Shah, Rajnath Singh के साथ-साथ S jaishankar जो अहम जिम्मेदारी मिली है उसपर अब उन्हें एक्शन लेना होगा. सरकार का 100 दिन का रिपोर्ट कार्ड आए उससे पहले इन दिग्गज मंत्रियों को अपने-अपने पद पर परफॉर्म करना होगा. जहां नए मंत्रियों से बेहद उम्मीदें लगाई जा रही हैं वहीं दूसरी ओर Suresh Prabhu, Maneka Gandhi और Anant Hegde जैसे मंत्रियों को कैबिनेट में जगह नहीं दी गई है. जहां सुरेश प्रभु को मंत्रालय न देने के कई कारण हो सकते हैं, उनका रेल मंत्रालय का रिकॉर्ड कुछ अच्छा नहीं रहा है. वहीं मेनका गांधी और अनंत हेगड़े को मंत्रालय न देने का फैसला मोदी सरकार के लिए एक तरह से विवादों से बचने का तरीका हो सकता है. मेनका गांधी और अनंत हेगड़े दोनों को ही एक तरह से विवादों में फंसने की वजह से हटाया गया है ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है. नरेंद्र मोदी ने भी सेंट्रल हॉल से अपने सांसदों और मंत्रियों को ये चेतावनी दे दी थी कि अब किसी भी तरह का बड़बोलापन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. बहुत सधे हुए शब्दों में मोदी ने इस बात का संदेश दे दिया था. और लगता है कि पिछली मोदी सरकार के इन दो मंत्रियों को उसी बड़बोलेपन की सजा मिली है.
मेनका गांधी जिन्हें पिछली बार महिला एवं बाल विकास मंत्रालय दिया गया था वो इस बार चुनाव प्रचार के समय विवादों में घिर गई थीं. मेनका गांधी को वैसे भी उनके विवादित बयानों के लिए जाना जाता है, लेकिन इस बार उन्हें चुनाव आयोग द्वारा मुसलमानों के खिलाफ बयान देने के लिए सज़ा भी दी गई थी. वहीं अनंत कुमार हेग्ड़े को नाथूराम गोडसे का समर्थन कर ट्वीट करने की सजा मिली है.
मेनका गांधी और अनंत कुमार हेगड़े को सरकार में हिस्सा न मिलने का बड़ा कारण उनके हैं.
Maneka Gandhi की सुल्तानपुर रैली ही उनकी समस्या बन गई..
मेनका गांधी, वरुण गांधी और संजय गांधी का सुल्तानपुर सीट से गहरा नाता है. मेनका गांधी ने यहां चुनाव प्रचार में कोई कमी नहीं छोड़ी. पर एक रैली में जिस तरह उन्होंने मुस्लिम समुदाय के लोगों से बात की ऐसा लगा जैसे मेनका मंच पर खड़े होकर सभी को धमका रही हैं.
मेनका ने अपनी रैली में मुसलमानों के लिए कहा था कि, 'वोट देना वर्ना मुश्किल में फंस जाओगे. उन्होंने कहा था कि ये जीत आपके बिना भी होगी और आपके साथ भी होगी, लेकिन आपके बिना जीती तो मन खट्टा हो जाएगा. उस रिजल्ट में 50 वोट निकलेंगे तो उसके बाद मेरे पास आप काम के लिए आएंगे तो फिर मेरे साथ भी वही होगा. जब आप लोग मदद के लिए आते हो तो भाजपा को वोट क्यों नहीं देते. हमारा दिल भी टूटता है.'
मेनका के इस बयान पर विपक्ष की तीखी प्रतिक्रिया के साथ-साथ चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया भी आई थी और उन्हें इसके लिए सज़ा भी दी गई थी. सांप्रदायिक होकर एक जाति विशेष को धमकाने को लेकर मेनका गांधी घिर गई थीं.
चुनाव आयोग ने मेनका गांधी पर अस्थाई तौर पर प्रचार बैन लगा दिया था. इसके बाद भी सुल्तानपुर सीट के जीतीं तो मेनका गांधी ही, लेकिन फिर उन्हें इस गलती की सज़ा भी भुगतनी पड़ी. राजनीतिक विशेषज्ञ यही मान रहे हैं कि मेनका गांधी के विवाद उनके मंत्रीपद के आड़े आ गए. यहां तक कि नरेंद्र मोदी ने अपने संदेश में ये भी कहा था कि हमें उनकी भी जरूरत है जो हमें वोट देते हैं, उनकी भी जो नहीं देते और उनकी भी जो आगे देंगे. इसलिए सभी को साथ लेकर चलना चाहिए. नरेंद्र मोदी की इस बात को मेनका गांधी से नाराजगी माना जा रहा था.
साध्वी प्रज्ञा ठाकुर का साथ देने में फंस गए Anantkumar Hegde!
अनंत कुमार हेगड़े जिनका skill development portfolio हुआ करता था उन्हें भी इस मंत्रीमंडल में जगह नहीं मिली है. वो उत्तर कन्नड लोकसभा सीट से 4 लाख से भी ज्यादा वोटों के मार्जिन से जीते थे.
हाल ही में हेगड़े एक ऐसे विवाद में घिर गए थे जिससे उन्हें काफी नुकसान हुआ. भाजपा के सबसे विवादित प्रत्याशियों में से एक साध्वी प्रज्ञा ने जब ये बयान दिया कि नाथूराम गोडसे एक देशभक्त थे तब अनंत कुमार हेगड़े ने उस बयान का समर्थन किया था और इसको लेकर ट्वीट भी की थी. इसे बाद में उन्होंने डिलीट कर दिया था. उस ट्वीट में गोडसे द्वारा किए गए कृत्य का समर्थन किया गया था.
हेगड़े ने ट्वीट में लिखा था कि, 'मैं खुश हूं कि 70 साल बाद आज के लोग इस बारे में बहस कर रहे हैं. ये एक एक बदला हुआ वैचारिक माहौल है. यहां निंदा करने का स्कोप भी है. #NathuramGodse आखिर इस बहस के बाद खुश हुए होंगे.'
इसके अलावा, एक और कमेंट में हेगड़े ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को 'हाइब्रिड नमूना' बताया था. जो एक मुस्लिम पिता और एक ईसाई मां की संतान हैं और खुद को ब्राह्मण कहते हैं. साथ ही, हेगड़े ने राहुल गांधी को बेवकूफ भी कहा था.
हालांकि, ये सारे विवाद हेगड़े को भारी पड़ गए.
मेनका गांधी और अनंत कुमार हेगड़े के साथ यही हुआ है. भाजपा को इनके बयानों के कारण निंदा का सामना करना पड़ा है. साध्वी प्रज्ञा और गोडसे वाले बयान पर तो खुद मोदी ने कहा था कि उन्हें शर्मिंदगी है और वो प्रज्ञा को कभी माफ नहीं करेंगे. यही कारण है कि विवादों से घिरे दोनों मंत्रियों को मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया.
(ये स्टोरी सबसे पहले IndiaToday.com के लिए की गई थी.)
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