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Updated: 01 मार्च, 2018 12:56 PM
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मध्य प्रदेश उपचुनाव के भी नतीजे आ गये. आये तो ओडिशा से भी हैं. सभी जगह बीजेपी का हाल बिल्कुल वैसा ही है जैसा राजस्थान और पश्चिम बंगाल में रहा - हर जगह हार. कहां बीजेपी ओडिशा में अगली सरकार बनाने के ख्वाब संजोये हुए - और कहां वो सीट भी बीजेडी के हाथों गंवा बैठी है जिसके लिए सत्ताधारी पार्टी 15 साल से तरस रही थी.

अब यूपी के उपचुनाव के नतीजों की बारी है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उपचुनावों को 2019 का रिहर्सल बताया है. अगर ये रिहर्सल है और रिजल्ट भी ऐसे ही आते रहे फिर तो 2019 के लिए संकेत बिल्कुल अच्छे नहीं हैं.

ऐसा तो सोचा भी न था

पिछले साल नवंबर में चित्रकूट सीट पर मिली जीत से उत्साहित शिवराज सिंह को ऐसे नतीजों की कतई आशंका नहीं रही होगी. तभी तो मुंगावली और कोलारस उपचुनाव के नतीजे के दिन दिल्ली में बीजेपी के नये दफ्तर में मुख्यमंत्रियों की बैठक में शामिल होने से पहले शिवराज सिंह चौहान ने अखबार में पूरे पेज का विज्ञापन दिया.

shivraj chauhanसारे दाव बेकार गये...

विज्ञापन में मध्य प्रदेश को तेजी से बढ़ते राज्य होने का दावा किया गया. ऊपर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नीचे शिवराज सिंह के फुल साइज फोटो के साथ विज्ञापन में सड़कों को न्यूयार्क से बढ़िया तो नहीं बताया गया, लेकिन कहा गया है लेकिन सब तरह शानदार नेटवर्क बताया गया है. इसी तरह बिजली, कृषि और शिक्षा के बारे में भी अच्छे दिन दिखाये गये हैं.

ये तो शिवराज की ही हार है

राजस्थान से तुलना करें तो मध्य प्रदेश उप चुनाव बिल्कुल अलग नजर आएंगे. राजस्थान में एक सीट पर तो खुद प्रत्याशी ही चुनाव नहीं जीतने के मूड में दिखा, फिर वसुंधरा चाह कर भी क्या करतीं? दरअसल, वो बीजेपी प्रत्याशी सांसद बन कर वसुंधरा कैबिनेट की कुर्सी नहीं गंवाना चाहता था.

jyotiraditya scindiaदावेदारी मजबूत

मध्य प्रदेश की मुंगावली और कोलारस दोनों सीटें कांग्रेस के ही खाते की रहीं - और इलाका भी ज्योतिरादित्य सिंधिया का रहा. असल में दोनों ही विधानसभा सीटें सिंधिया के गुना लोक सभा सीट के अंतर्गत आती हैं. खुद सिंधिया के लिए ये दोनों उप चुनाव आन, बान और शान की लड़ाई रही. यही वो मौका रहा जब सिंधिया मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री उम्मीदवार के रूप में अपनी दावेदारी पेश करते.

ज्योतिरादित्य को घेरने में शिवराज ने कोई कसर बाकी नहीं रखी थी. यहां तक कि काफी दिनों तक परहेज के बाद ज्योतिरादित्य की बुआ यशोधरा राजे को भी चुनाव प्रचार में लगा दिया था.

शिवराज और सिंधिया दोनों के लिए अपने अपने सियासी दुश्मनों को शिकस्त देने के लिए ये बेहतरीन मौका रहा. अब जीत तो किसी एक की ही होती. हां, एक एक सीटें आने पर मैच बराबरी पर छूटा माना जा सकता था. कुछ किस्मत की भी बात होती है और बाजी सिंधिया के हाथ लगी. शिवराज के खिलाफ ये गया कि बीजेपी नेतृत्व को अगले चुनाव के लिए कोई भी फैसले की नैतिक छूट मिल गयी.

2019 के लिए क्या संकेत समझें?

यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीटों के लिए होने वाले उपचुनाव 2019 के लोकसभा चुनाव का रिहर्सल है.

yogi adityanathरिहर्सल में तो अच्छे दिन गायब हैं...

चुनाव प्रचार के लिए गोरखपुर पहुंचे योगी ने एक पब्लिक मीटिंग में कहा, "उपचुनाव 2019 के संसदीय चुनाव का रिहर्सल है. आपको इस उपचुनाव के लिये तो काम करना ही है, साथ ही 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिये भी तैयारी करनी है और प्रदेश की सभी 80 लोकसभा सीटें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिये जीतनी है." वैसे योगी हाल के निकाय चुनाव के दौरान भी कार्यकर्ताओं और लोगों से ऐसी ही अपील किया करते रहे.

गोरखपुर संसदीय सीट योगी के ही इस्तीफे से खाली हुई है, जबकि फूलपुर यूपी के डिप्टी सीएम केशव मौर्या के छोड़ने के चलते. दोनों ही सीटें बीजेपी के लिए नाक का सवाल बनी हुई हैं. वैसे योगी निकाय चुनाव जीत कर पहला इम्तिहान तो पास कर ही चुके हैं.

गुजरात चुनाव में बीजेपी की संघर्षपूर्ण जीत के बाद देखें तो वो पंजाब, राजस्थान, पश्चिम बंगाल और अब मध्य प्रदेश और ओडिशा के उप चुनाव हार चुकी है. योगी आदित्यनाथ की नजर से इन चुनावों को भी 2019 का रिहर्सल मानें, फिर तो संकेत कहीं से भी अच्छे दिन के नहीं हैं..

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