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Updated: 23 अगस्त, 2018 05:25 PM
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कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी है लेकिन कांग्रेस मुख्यालय में जो हालिया बदलाव किये गए हैं उनमें सोनिया गांधी के वफादारों को ही जगह मिली है. मोतीलाल वोरा  सोनिया गांधी के किचन कैबिनेट के मेंबर हैं. उन्हें एआईसीसी (AICC) का प्रशासनिक महासचिव नियुक्त किया गया है. मोतीलाल वोरा एक ऐसे राजनेता रहे हैं जिनकी कभी किसी नेता के साथ राजनीतिक प्रतियोगिता नहीं रही, लेकिन 90 की उम्र में भी कांग्रेस पार्टी में इतने अहम पद की जिम्मेदारी मिलने से कइयों के कलेजे पर सांप लोटना लाजिमी है.

मध्यप्रदेश कांग्रेस से आने वाले दो कद्दावर नेता, दोनों गांधी परिवार के नजदीकी. मोतीलाल वोरा जहां एआईसीसी के कोषाध्यक्ष और प्रशासनिक महासचिव जैसे पदों को सुशोभित करते रहे वहीँ कमलनाथ को ज्यादातर मध्यप्रदेश कांग्रेस की हीं जिम्मेदारियां दी गईं. जिस उम्र में नेताओं को हार्दिक विदाई दी जाती है उस उम्र में मोतीलाल वोरा को कांग्रेस पार्टी का उच्चस्तरीय अधिकारी बनाना दिखाता है कि सोनिया गांधी आज भी अपने किचन कैबिनेट के सदस्यों का खास ख्याल रख रहीं हैं. एक अन्य खास सदस्य अहमद पटेल को एआईसीसी का कोषाध्यक्ष नियुक्त किया है.

मोतीलाल वोरा,कमलनाथ, कांग्रेस, प्रमोशन कमलनाथ की गिनती भी गांधी परिवार के नजदीकी नेताओं में होती है.

कांग्रेस पार्टी ने हाल ही में कमलनाथ को मध्यप्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त किया है. इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले ये अहम जिम्मेवारी उनको दी गई. कमलनाथ पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं कांग्रेस के कार्यकाल में पर्यावरण मंत्रालय और सड़क परिवहन की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं. गांधी परिवार से नजदीकी के बावजूद उन्हें पार्टी में वो जगह नहीं मिल रही है जिसके वो वास्तव में हकदार हैं. छिंदवाड़ा से 9 बार सांसद रह चुके कमलनाथ केन्दीय नेतृत्व की लालसा लिए बैठे हुए हैं और पार्टी है कि उन्हें मध्यप्रदेश से बाहर निकलने ही नहीं देना चाहती.

मध्यप्रदेश में भी ऐसा नहीं है कि कांग्रेस पार्टी ने कमलनाथ को सर्वेसर्वा बना दिया है. राहुल गांधी ने युवा चेहरों को प्रमोट करने के नाम पर ज्योतिरादित्य सिंधिया को लगातार बढ़ावा दिया है. हाल के दिनों में राज्य की राजनीति में कमलनाथ और सिंधिया के समर्थकों में मुख्यमंत्री पद के चेहरे के लिए भी घमासान मचा हुआ है. कमलनाथ को जहां दिग्विजय सिंह जैसे वरिष्ठ नेताओं का समर्थन हासिल है वही ज्योतिरादित्य सिंधिया राहुल गांधी के दुलारे बने हुए हैं.

पिछले दिनों दो मौके ऐसे आए, जब कमलनाथ ने अपनी छटपटाहट जाहिर की. एक बार तब जब राहुल गांधी ने AICC के गठन में कमलनाथ को जगह नहीं दी. और दूसरी तब जब नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ अविश्‍वास प्रस्‍ताव के दौरान उनको पार्टी ने दूर रखा. पत्रकारों से बातचीत में उन्‍होंने अपनी सबसे सीनियर कांग्रेस सांसद होने की बात भी कही थी.

खैर कांग्रेस पार्टी में मोतीलाल वोरा और अहमद पटेल का दबदबा कायम है और होना भी चाहिए. भारतीय राजनीति में स्वामीभक्ति का उदाहरण अगर खोजा जाये तो इन दोनों नेताओं का नाम सबसे ऊपर होना चाहिए. बिना किसी जनाधार के पार्टी हाईकमान का दुलारा बने रहने का गुर नेताओं को इनसे सीखना चाहिए. मोतीलाल वोरा के प्रमोशन से कमलनाथ को कोई शिकायत नहीं है लेकिन हाईकमान का उनके प्रति रुखसाई से उन्हें दर्द जरूर हो रहा होगा.

कंटेंट- विकास कुमार (इंटर्न- आईचौक)

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