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Updated: 20 जून, 2016 07:25 PM
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दिल्ली और केंद्र सरकार की रोजमर्रा की जंग अब करवट बदल सकती है. बीजेपी के ब्रह्मास्त्र सुब्रमण्यन स्वामी के मोर्चा संभाल लेने के साथ जंग के इस नये कलेवर में तलवार अब दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग की तरफ लटकती दिख रही है.

दिल्ली में धरने पर बैठे बीजेपी सांसद महेश गिरि को समर्थन देने पहुंचे स्वामी ने एक बड़ी बात कही, "अभी तक मैं राजन के पीछे पड़ा था, अब उनकी अंत्येष्टि होने वाली है. अब दिल्ली सरकार को बताऊंगा."

स्वामी की दुधारी तलवार

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आरोपों के विरोध में दिल्ली से बीजेपी सांसद महेश गिरि उनके घर के बाहर धरने पर बैठे हैं. असल में महेश गिरि ने केजरीवाल को बहस की चुनौती दी थी. जब केजरीवाल की ओर से कोई रिस्पॉन्स नहीं मिला तो महेश गिरि धरने पर बैठ गये. महेश गिरि को समर्थन देने बीजेपी नेता स्वामी भी पहुंचे - और अपने अंदाज में गरजे. स्वामी ने अपना इरादा भी साफ कर दिया कि अब वो दिल्ली की केजरीवाल सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले हैं. स्वामी ने बताया कि आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन के खिलाफ उनकी मुहिम का नतीजा लोग देख ही चुके हैं. अब केजरीवाल सरकार की बारी है.

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स्वामी के एक खासियत और भी है कि जब वो मैदान में निकलते हैं तो किसी बात की परवाह नहीं करते. जिस उप राज्यपाल को मोदी सरकार का आदमी बताकर केजरीवाल हमले करते रहते हैं स्वामी ने उन्हें भी नहीं छोड़ा. नजीब जंग को पत्र लिख कर केजरीवाल ने हाल ही में कहा था कि चाहे वो कुछ भी कर लें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन्हें उप राज्यपाल से उपराष्ट्रपति नहीं बनाने वाले.

स्वामी ने कहा कि दिल्ली सरकार को बर्खास्त कर देना चाहिए. उन्होंने कहा कि दिल्ली की बदहाली को लेकर वो गृह मंत्री राजनाथ सिंह से बात करेंगे. स्वामी ने आरबीआई गवर्नर राजन की ही तरह नजीब जंग पर भी तगड़ा हमला बोला, "एलजी को बर्खास्त कर देना चाहिए. ये भी रोज अहमद पटेल की सलाह पर काम करते हैं. संविधान के खि‍लाफ काम कर रहे हैं."

स्वामी के मिशन और अंजाम

किसी दौर पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के मित्र रहे स्वामी एक अरसे से सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं. स्वामी द्वारा कानूनी तौर पर घेरे जाने के कारण ही सोनिया और राहुल को हेराल्ड केस में कोर्ट में हाजिर होकर जमानत लेनी पड़ी. अभी संसद के पिछले सत्र में जब बीजेपी ने उन्हें राज्य सभा पहुंचाया तो वहां भी अपनी छवि के अनुरूप उन्होंने परफॉर्म किया.

कहते हैं कि बीजेपी के सीनियर नेता अरुण जेटली स्वामी को पसंद नहीं करते. स्वामी भी जब तब जेटली को किसी न किसी बहाने निशाना बनाते रहे हैं. एक और चर्चा रही - जेटली और रघुराम राजन के बीच पटरी न होने की. माना जाता रहा कि राजन को प्रधानमंत्री मोदी के पसंद करने के कारण जेटली का अंदरूनी विरोध भी दब जाता रहा. हालांकि, सार्वजनिक तौर पर जेटली हमेशा इस बात से इंकार करते रहे हैं कि राजन के साथ उनके रिश्तों में कोई तल्खी है.

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अबकी बारी...

राज्य सभा में दाखिल होते ही स्वामी का निशाना बदल सा गया. जेटली के मुकाबले स्वामी राजन के खिलाफ सख्त बयान देने लगे. स्वामी ने उनके ऊपर कई तरह के आरोप मढ़ डाले. नतीजा ये हुआ कि राजन ने साफ कर दिया कि कार्यकाल पूरा होने के बाद उन्हें उस दफ्तर नहीं जाना.

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राजन का जाना जेटली को भी अच्छा ही लगा होगा. अब मन की बात तो मन ही जाने - ये सब बातें कोई प्रेस कांफ्रेंस में बताने की थोड़े ही होती हैं. मुमकिन है जेटली को स्वामी के राजन के खिलाफ स्टैंड का अंदाजा हो या फिर उनकी एंट्री के लिए इसे ही बीच का रास्ता बनाया गया हो.

उधर, स्वामी के हमलों को देखते हुए कांग्रेस ने जहां कपिल सिब्बल और पी चिदंबरम जैसे जनरलों को राज्य सभा के मोर्चे पर तैनात किया वहीं, लालू प्रसाद ने कानून के सबसे बड़े धुरंधर राम जेठमलानी को तैनात किया है. जेठमलानी को लालू ने डबल बेनिफिट स्कीम के तहत पॉलिटिकली हायर किया है.

बहरहाल, अब तो स्वामी ने एक मिशन पूरा होने के बाद दूसरे मिशन का एलान कर ही दिया है. हो सकता है अब अरविंद केजरीवाल को भी अपनी तोप का मुहं जंग के मैदान से स्वामी के आश्रम की ओर शिफ्ट करना पड़े.

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