New

होम -> सियासत

 |  6-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 02 जनवरी, 2021 07:46 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
  @msTalkiesHindi
  • Total Shares

देशभक्त और देशद्रोही होने को लेकर जारी बहस के बीच RSS प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) का एक महत्वपूर्ण बयान आया है. वैसे तो मोहन भागवत का बयान राहुल गांधी (Rahul Ganghi) के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) पर उनका नाम लेकर हमलों का जवाब लगता है, लेकिन सबसे पहले AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी रिएक्ट किया है - और सवाल खड़े किये हैं.

राहुल गांधी ने कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग के साथ राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिले थे - और उसके बाद कहा था कि अगर मोहन भागवत भी कुछ बोलते हैं तो प्रधानमंत्री मोदी उनको आतंकवादी करार देंगे. मोहन भागवत ने आतंकवादी शब्द का इस्तेमाल तो नहीं किया है, लेकिन देशद्रोही कौन ये है बताकर राहुल गांधी को ही संदेश देने की कोशिश की है.

मोहन भागवत ने देशभक्ति और हिंदुत्व को गांधीवाद के संदर्भ में अपनी राय रखी है किया है, जो स्वाभाविक तौर पर नाथूराम गोडसे पर संघ और बीजेपी के विचार से कनेक्ट हो जाता है - और असदुद्दीन ओवैसी का भी सवाल उसी संदर्भ में है.

अगर मोहन भागवत के बयान की प्रासंगिकता को मौके के हिसाब से देखें तो इसके दायरे में पश्चिम बंगाल चुनाव अपनेआप चला आता है, जहां बीजेपी नेता अमित शाह मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर मुस्लिम तुष्टिकरण के आरोप अरसे से लगाते रहे हैं. मोहन भागवत भी तो पश्चिम बंगाल का करीब साल भर ले लगातार दौरा करते आ रहे हैं.

राहुल गांधी को मोहन भागवत का जवाब

दिसंबर, 2020 में किसानों के मुद्दे पर प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार को घेरते हुए राहुल गांधी ने कहा था, 'भारत में अब लोकतंत्र नहीं रह गया और जो लोग भी PM के खिलाफ खड़े होंगे... उन्हें आतंकवादी बता दिया जाएगा - चाहे वो संघ प्रमुख मोहन भागवत ही क्यों न हों.'

राहुल गांधी एक निजी विदेश दौरे पर हैं, लेकिन ट्विटर पर लगातार एक्टिव हैं और कभी किसानों के नाम पर तो कभी किसी और बहाने मोदी सरकार को टारगेट करते आ रहे हैं. अपने काउंटर अटैक में बीजेपी नेता उनके कांग्रेस के 136वें स्थापना दिवस समारोह के ठीक पहले चले जाने को लेकर सवाल पूछ रहे हैं.

मोहन भागवत ने 'मेकिंग ऑफ अ हिंदू पेट्रिएट- बैकग्राउंड ऑफ गांधीजीज हिंद स्वराज' (The Making of a True Patriot: Background of Gandhiji’s Hind Swaraj) के विमोचन के मौके पर कहा कि अगर कोई हिंदू है तो उसे देशभक्त होना ही पड़ेगा - क्योंकि वही उसका मूल चरित्र और स्वभाव भी है.

हिंदू समाज के बारे में मोहन भागवत ने कहा कि कभी-कभी उसकी देशभक्ति को जागृत करना पड़ा सकता है - लेकिन वो कभी भी भारत विरोधी नहीं हो सकता.

राजनीतिक विरोधियों की आशंकाएं पहले ही भांपते हुए मोहन भागवत ने ये भी बोल दिया कि 'किताब के नाम और मेरे द्वारा उसका विमोचन करने से अटकलें लग सकती हैं कि ये गांधी जी को अपने हिसाब से परिभाषित करने की कोशिश है.

गांधी जी पर किताब को एक प्रामाणिक शोध ग्रंथ मानते हुए मोहन भागवत बोले, 'इसके विमोचन कार्यक्रम में संघ के स्वयंसेवक हों, इसको लेकर लोग चर्चा कर सकते हैं. लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए.'

rahul gandhi, mohan bhagwat, narendra modiराहुल गांधी को नसीहत देते देते मोहन भागवत ने ममता बनर्जी तक संदेश भेज दिया है

महात्मा गांधी को याद करते हुए मोहन भागवत का कहना रहा कि स्वराज्य को आप तब तक नहीं समझ सकते जब तक स्वधर्म को नहीं समझ पाते. फिर महात्मा गांधी का हवाल देते हुए बोले, 'गांधी जी ने एक बार कहा था कि मेरी देशभक्ति मेरे धर्म से निकलती है. एक बात साफ है कि हिंदू है तो उसके मूल में देशभक्त होना ही पड़ेगा,' साथ ही साथ ये भी जोड़ा कि 'यहां पर कोई भी देशद्रोही नहीं है.'

हैदराबाद से AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने मोहन भागवत के हिंदुत्व, गांधी और देशभक्ति पर नजरिये के रिएक्शन में दो ट्वीट किया है. एक ट्वीट में ओवैसी ने महात्मा गांधी की हत्या, नेल्ली नरसंहार, 1984 का सिख विरोधी दंगा और 2002 के गुजरात दंगे की तरफ ध्यान दिलाया है. दूसरे ट्वीट में असदुद्दीन ओवैसी पूछते हैं, 'एक धर्म के अनुयायियों को अपनेआप देशभक्ति का प्रमाण जारी किया जा रहा है और दूसरे को अपनी पूरी जिंदगी ये साबित करने में बितानी पड़ती है कि उसे यहां रहने और खुद को भारतीय कहलाने का अधिकार है.'

क्या भागवत ने गोडसे को देशभक्त बताने की कोशिश की है?

महात्मा गांधी, हिंदुत्व और देशभक्ति को लेकर मोहन भागवत के बयान में समझने के लिए बहुत सारी बातें हैं - और सबसे बड़ी बात प्रसंग विशेष में कुछ खास शब्दों के जरिये गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को लेकर संघ का नजरिया भी निहित है. महात्मा गांधी पर बीजेपी नेता अमित शाह और गोडसे पर भोपाल से बीजेपी सांसद साध्वी प्रज्ञा के बयानों से जोड़ते हुए मोहन भागवत की राय को समझने की कोशिश करें तो बहुत कुछ निकल कर आ सकता है.

साध्वी प्रज्ञा को नवंबर, 2019 में लोक सभा में तीन घंटे के भीतर ही दो बार माफी मांगनी पड़ी थी. दरअसल, लोकसभा में साध्वी प्रज्ञा ने नाथूराम गोडसे को देशभक्त बताया था जिस पर केंद्र सरकार ने एक्शन लेते हुए साध्वी प्रज्ञा को रक्षा मंत्रालय की कमेटी से निष्कासित कर दिया गया - साथ ही, बीजेपी ने संसदीय दल की बैठक में भी उनके आने से रोक लगा दी थी.

जून, 2017 में रायपुर के मेडिकल कॉलेज में आयोजित बुद्धिजीवियों की एक बैठक में अमित शाह ने महात्मा गांधी को 'चतुर बनिया' करार दिया था. अमित शाह का कहना था कि महात्मा गांधी चतुर बनिया थे और इसीलिए आजादी के तुरंत बाद कांग्रेस को खत्म करने की बात कही थी. अमित शाह के इस बयान पर भी काफी बवाल हुआ था, लेकिन उन्होंने माफी नहीं मांगी थी. शायद इसलिए भी कि अमित शाह ने ये बयान संसद के बाहर दिया था.

साध्वी प्रज्ञा उसी विचारधारी की राजनीति का प्रतिनिधित्व करती हैं जिसका पितृ संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ है और मोहन भागवत उसके प्रमुख हैं. मोहन भागवत ने हिंदुत्व को देशभक्ति से जोड़ने में महात्मा गांधी नाम के सेतु का इस्तेमाल किया है. कानून की नजर में भले ही नाथूराम गोडसे को हत्यारा माना गया, लेकिन हिंदू होने के नाते वो शख्स भला देशद्रोही कैसे हो सकता है - मोहन भागवत की बातों से निष्कर्ष तो यही निकलता है.

अब तो सवाल यही उठेगा कि क्या मोहन भागवत ने हिंदुत्व को देशभक्ति से जोड़ कर नाथूराम गोडसे को देशभक्त कहने वाली साध्वी प्रज्ञा जैसे नेताओं के बयानों के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी कर दिया है?

महात्मा गांधी की हत्या को लेकर संघ पर टिप्पणी के लिए राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा भी चल रहा है. एक चुनावी रैली में राहुल गांधी ने आरएसएस पर महात्मा गांधी की हत्या में शामिल होने का इल्जाम लगाया था. बयान को RSS की प्रतिष्ठा पर चोट पहुंचाने की कोशिश बताते हुए संघ की भिवंडी इकाई के सचिव राजेश कुंटे ने राहुल के खिलाफ मानहानि का केस दाखिल किया था.

6 मार्च, 2014 को महाराष्ट्र के भिवंडी की चुनावी रैली में राहुल गांधी ने कहा था, "आरएसएस के लोगों ने गांधीजी को गोली मारी - और आज उनके लोग गांधीजी की बात करते हैं."

इन्हें भी पढ़ें :

Ram Mandir भूमि पूजन हिंदुत्व के राजनीतिक प्रभाव का महज एक पड़ाव है, मंजिल तो आगे है

बंगाल ही क्यों मोदी-शाह के मिशन-2021 में केरल से तमिलमाडु तक हैं

कांग्रेस की समस्या पूर्णकालिक अध्यक्ष नहीं, राहुल गांधी की प्रधानमंत्री पद पर दावेदारी है

लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय