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Updated: 03 दिसम्बर, 2016 03:56 PM
अशोक उपाध्याय
अशोक उपाध्याय
  @ashok.upadhyay.12
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आज प्रधानमंत्री मोदी ने उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में परिवर्तन यात्रा के नाम से भाजपा के चुनावी रैली को संबोधित किया. रविवार 27 नवम्बर को उन्होंने कुशीनगर में रैली को संबोधित किया था. यहां प्रधानमंत्री मोदी ने विपक्ष पर जोरदार हमला करते हुए कहा कि हम भ्रष्टाचार और कालाधन बंद करने में लगे हैं और कुछ लोग भारत बंद करने में लगे हैं. पीएम मोदी ने कहा कि 70 साल से जो लूटा है, उसे निकालना है और गरीबों का घर बनाना है. जो लूटा है उसे वापस लेना है, बिजली का कनेक्शन देना है, बच्चों की शिक्षा की और गरीबों के इलाज की व्यवस्था भी करनी है.

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 प्रधानमंत्री अपने भाषण में अकसर 70 साल की लूट का जिक्र करते हैं

ये पहली बार नहीं है कि प्रधानमंत्री ने 70 साल तक लूट की बात कही है. पिछले महीने के 13 तारीख को गोवा में और 5 अप्रील 2016 के अपने 'मन की बात' कार्यक्रम में भी नरेंद्र मोदी मोदी ने 70 साल की बीमारी का जिक्र किया था. पर क्या प्रधानमंत्री के बार-बार 70 साल के लूट की बात करने के पीछे का गणित सही है?

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कुशीनगर में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 70 साल की लूट का जिक्र कर रहे थे, उस दिन भारत को आजाद हुए 69 साल 3 महीने व 12 दिन पूरे हुए थे. यानी की 70 साल पूरा होने में 8 महीने और 18 दिन शेष थे. अतः शायद 69 साल कहना ज्यादा उचित  होता. पर बोलचाल में कभी कभी लोग 69 को 70 बोल देते हैं. और वैसे भी हम अपनी आजादी के 70वें वर्ष में प्रवेश कर चुके हैं. पर इन 70 सालों में से 2 साल 6 महीने एवं 1 दिन से नरेंद्र मोदी खुद भारत के प्रधान मंत्री हैं. स्वाभाविक है कि वो अपने इस कार्यकाल को लूट के 70 वर्षों में सम्मिलित नहीं करेंगे.

अगर अटल बिहारी वाजपेयी के 13 दिन के 1996 के प्रधानमंत्रित्व वाले कार्यकाल को न भी जोड़ें तो वो 19 मार्च 1998 से लेकर 22 मई 2004 तक यानि 6 वर्ष 64 दिनों तक भारत के प्रधानमंत्री थे. क्योंकि वो नरेंद्र मोदी के दल भाजपा के पहले प्रधनमंत्री थे इस कारण से भी उनके कार्यकाल को लूट काल में जोड़ना उचित नहीं होगा.  2 दिसम्बर 1989 से 10 नवम्बर 1990 तक, यानि की 11 महीने एवं 8 दिन के लिये विश्वनाथ प्रताप सिंह भी भारत के प्रधामंत्री थे जो की एक भाजपा समर्थित सरकार थी. अतः उनके कार्यकाल को भी लूट काल में सम्मिलित करने का मतलब यह होगा की भाजपा ने भी लूटपाट का समर्थन किया था. यानि की इस काल को भी उस 70 साल की परिधि से बाहर ही रखा जायेगा.

24 मार्च 1977 से लेकर 28 जुलाई 1979 तक भारत के प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई थे. जिनका कार्यकाल 2 साल, 4 महीने एवं 4 दिन का था. ये जनता पार्टी की सरकार थी और भाजपा भी इस दल में शामिल थी. स्वाभाविक है की इस काल भी लूट-पाट वाला नहीं माना जायेगा.

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अब अगर इन चारों प्रधानमंत्रियों, जो की या तो भाजपा के थे या इसके समर्थित थे, के कार्यकाल को जोड़ा जाये तो ये होगा 11 साल 11 महीना 16 दिन. यानि की 57 साल 3 महीने एवं 26 दिनों तक भाजपा या उसका पूर्वर्ती जनसंघ विरोधी खेमे में थे. यानी की इस कार्यकाल को, प्रधान मंत्री की परिभाषा के अनुसार, लूटपाट का काल माना जा सकता है. और ये 70 साल नहीं है.

नरेंद्र मोदी प्रारम्भ से ही लाल बहादुर शास्त्री के प्रसंशक रहे हैं. वो मानते हैं कि कांग्रेस की वजह से नहीं लाल बहादुर शास्त्री की कोशिश से देश में अन्न का भंडार भरा है. प्रधानमंत्री ने एक बार कहा है की लाल बहादुर शास्त्री का जीवन हर भारतीय को प्रेरित करता है. भाजपा अध्यक्ष अमित शाह मानते हैं की मोदी लाल बहादुर शास्त्री के जैसे हैं, तो रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा है कि लालबहादुर शास्त्री के बाद नरेंद्र मोदी ही हैं जिन्होंने लोगों की सोच बदली है. अर्थात उनका कार्यकाल भी भाजपा लूटपाट का काल नहीं मान सकती. वो 1 साल, 7 महीने, और 2 दिन तक भारत के प्रधान मंत्री थे.

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अब अगर 57 साल 3 महीने एवं 26 दिनों में से इसको भी घटा देंगे तो कुल बचेगा 55 साल 8 महीने 24 दिन.

अर्थात प्रधानमंत्री मोदी या तो ये बोलें कि उनका, उनकी पार्टी, उनकी पार्टी समर्थित एवं उनकी सहानुभति वाली सरकारों का कार्यकाल भी इस लूट खसोट में शामिल है या फिर 70 साल की सीमा को थोड़ा घटा के 55-56 के आस पास ले जाएं!

लेखक

अशोक उपाध्याय अशोक उपाध्याय @ashok.upadhyay.12

लेखक इंडिया टुडे चैनल में एडिटर हैं.

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