New

होम -> सियासत

 |  2-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 09 दिसम्बर, 2015 07:30 PM
आईचौक
आईचौक
  @iChowk
  • Total Shares

भारत और पाकिस्तान की बातचीत चाहे खुल्लम खुल्ला चले या लुक छिप कर - अच्छी बात यही है कि बात करने की बात पर बात आगे बढ़ रही है.

सार्क के साये में

12 साल का वक्त लंबा होता है. 2004 में 12वां सार्क सम्मेलन इस्लामाबाद में हुआ था जिसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने हिस्सा लिया था. और अब 2016 के 19वें सार्क सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल होने जा रहे हैं.

बातचीत का एक सिलसिला दिल्ली में सार्क नेताओं की मौजूदगी में शुरू हुआ. अपने शपथ ग्रहण के मौके पर मोदी ने सभी सार्क नेताओं को बुलाया था जिसमें पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ भी दिल्ली पहुंचे थे.

फिर बातचीत का ये सिलसिला काठमांडू के सार्क सम्मेलन में आगे बढ़ा, जैसा कि एक किताब में दावा किया गया है. किताब में दावा किया गया है कि नेपाल में दोनों मुल्कों के प्रधानमंत्रियों की एक गुपचुप मुलाकात हुई. हालांकि, दोनों ही देशों ने इस मुलाकात से इंकार कर दिया है. अब अगले सार्क सम्मेलन में मोदी और शरीफ की फिर मुलाकात होने जा रही है.

माना जाता है कि सार्क प्लेटफॉर्म को चुने जाने के पीछे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की बड़ी भूमिका है. डोभाल की ही सलाह पर मोदी ने शपथ ग्रहण के मौके पर सार्क नेताओं को बुलाने का फैसला किया. इसी तरह पेरिस में शरीफ और मोदी की मुलाकात से पहले डोभाल और भारत में पाक उच्चायुक्त अब्दुल बासित की भूमिका बताई जाती है.

थाइलैंड में तो खुद डोभाल ने पाकिस्तान के नए सुरक्षा सलाहकार नसीर खान जांजुआ से मुलाकात की है. इस दौरान दोनों देशों के विदेश सचिव एस जयशंकर और एजाज अहमद भी साथ रहे.

आतंकवाद पर बात

इस्लामाबाद में आयोजित हार्ट ऑफ एशिया सम्मेलन वैसे तो अफगानिस्तान को लेकर है, लेकिन भारत के लिए पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय रिश्ता सबसे अहम है.

उफा से आगे दिल्ली में दोनों देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के बीच होने वाली बातचीत रद्द हो गई. इस खराब अंत के एक छोर पर मीडिया के सामने सरताज अजीज थे तो दूसरी छोर पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज. लेकिन गुजरता वक्त कई बार करवटें बदलता है.

हार्ट ऑफ एशिया सम्मेलन में हिस्सा लेने जब सुषमा इस्लामाबाद पहुंचीं तो सरताज अजीज ने ही विदेश मंत्री के सम्मान में डिनर रखा. जिस वक्त दिल्ली की बातचीत टूटी थी उस वक्त सरताज अजीज सुरक्षा सलाहकार थे - और अब पाक प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के विदेश मामलों के सलाहकार. सबसे बड़ी खास बात ये रही कि शरीफ की मौजूदगी में सुषमा ने कहा, ''आतंकवाद को कहीं भी पनाह नहीं मिलनी चाहिए.''

और नवाज शरीफ ने भी सम्मेलन में कहा, "हम अफगानिस्तान में लंबे वक्त तक शांति के लिए कोशिश कर रहे हैं, क्योंकि आतंकवाद तो सबका दुश्मन है."

सुषमा ने ये भी कहा कि वक्त आ गया है कि पाकिस्तान और भारत क्षेत्रीय कारोबार और को-ऑपरेशन में आपसी भरोसा दिखाएं. सही बात है - वक्त की मांग भी यही है.

लेखक

आईचौक आईचौक @ichowk

इंडिया टुडे ग्रुप का ऑनलाइन ओपिनियन प्लेटफॉर्म.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय