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Updated: 07 दिसम्बर, 2017 06:43 PM
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मणिशंकर अय्यर के बयान को डीएनए ट्विस्ट दे दिया है. ठीक वैसे ही जैसे 2015 में नीतीश कुमार ने अपने डीएनए पर उठे सवाल को बिहार के सम्मान से जोड़ दिया था.

कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने प्रधानमंत्री मोदी के लिए नीच शब्द का इस्तेमाल किया है. इससे पहले दिग्विजय सिंह और मनीष तिवारी ने भी मोदी के खिलाफ अपमान जनक शब्दों का प्रयोग किया था.

'नीची जाति, लेकिन ऊंचे काम'

हार्दिक पटेल के प्रभाव के चलते बीजेपी के लिए सूरत में लड़ाई इतनी मुश्किल हो चली थी कि प्रधानमंत्री मोदी को तीसरी रैली करनी पड़ी. मोदी अभी राहुल गांधी की ताजपोशी और उनके मंदिर दर्शन पर कुछ कहते कि कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने खुद ही एक मुद्दा आगे बढ़ा दिया. बगैर एक पल गंवाये मोदी ने अय्यर के बयान को गुजरात की अस्मिता से जोड़ दिया.

narendra modiमोदी ने अय्यर के बहाने कांग्रेस को लपेटा

मणिशंकर अय्यर वैसे तो हाशिये पर हैं लेकिन जिस हिसाब से उन्होंने मोदी को टारगेट किया है उससे सीधा नुकसान कांग्रेस को ही हो सकता है. देखें तो वोटिंग के ऐन पहले अय्यर ने कांग्रेस अध्यक्ष की कुर्सी संभालने जा रहे राहुल गांधी की अब तक की सारी मेहनत पर पानी ही फेर दिया है. कांग्रेस और राहुल पर मोदी के लगातार हमलों से खफा अय्यर ने कहा, "मुझे लगता है कि ये बहुत नीच किस्म का आदमी है... इसमें कोई सभ्यता नहीं है ... और ऐसे मौके पर इस किस्म की गंदी राजनीति करने की क्या आवश्यकता है?"

मोदी को तो जैसे ऐसे ही मौके की तलाश थी. अय्यर का बयान आने के साथ ही मोदी ने अय्यर सहित पूरी कांग्रेस को लपेटने का फैसला कर लिया. अय्यर को घसीटते हुए रैली में मोदी बोले, ‘‘एक नेता हैं. बड़ी-बड़ी यूनिवर्सिटी से उन्होंने डिग्री ली है... वे भारत के राजदूत रहे हैं... फॉरेन सर्विस के बड़े अफसर रहे हैं... मनमोहन सरकार में वे जवाबदार मंत्री थे... उन्होंने आज एक बात कही... श्रीमान मणिशंकर अय्यर ने कहा कि मोदी नीच जाति का है. मोदी नीच है... भाइयों-बहनों! ये अपमान गुजरात का है.’’

गुजरात चुनाव में जातिवाद में जकड़ी राजनीति से जूझ रही बीजेपी के लिए मोदी ने अय्यर की बातों को संजीवनी की तरह भुनाया, ''क्या ये जातिवाद नहीं है? क्या ये हमारे देश के दलितों का अपमान नहीं है? क्या ये मुगलों की मानसिकता नहीं है? क्या ये सामंतवादी मानसिकता नहीं है? क्या उन्होंने मुझे नीच नहीं कहा? लेकिन, हमारे संस्कार इस तरह की भाषा की इजाजत नहीं देते. आप इसका जवाब वोटिंग मशीन से दीजिए. बताइए उन्हें कि नीच कहने का क्या मतलब होता है? क्या आप देश के किसी नागरिक को नीच कह सकते हैं?"

फिर मोदी ने कहा कि कोई उन्हें कुछ भी कहे, उनके संस्कार ऊंचे हैं. मोदी ने कहा, "तुम्हारी बात तुम्हें मुबारक, मुझे नीच कहने का साहस दिखाया. लेकिन, मैं काम इस देश के लिए और ऊंचे करता हूं और साफ करता हूं. आप जिन्हें नीच कहते हैं, वो आपको कुछ सबक तो सिखा चुके हैं अब आगे और सिखाएंगे. तैयार हो जाइए."

भूल सुधार की कोई गुंजाइश बी नहीं छोड़ी

कांग्रेस को पता है गुजराती अस्मिता बीजेपी का सबसे बड़ा हथियार है. यही वजह है कि कांग्रेस को अपना सबसे कामयाब सोशल मीडिया कैंपेन 'विकास पागल हो गया है' वापस लेने को मजबूर होना पड़ा. कहने को तो राहुल गांधी और कांग्रेस के गुजरात प्रभारी अशोक गहलोत ने समझाया था कि पार्टी ने वो कैंपेन प्रधानमंत्री पद के सम्मान में वापस लिया, लेकिन हकीकत ये नहीं है. दरअसल, कांग्रेस उस कैंपेन को लेकर बीजेपी की चाल में फंस गयी और घुटने उसे टेकने पड़े.

mani shankar aiyarएक बयान और उसका बैकफायर होना

हुआ ये कि कांग्रेस जिस विकास को पागल साबित कर चुकी थी, बीजेपी ने उसे एक रणनीति के तहत गुजराती अस्मिता से जोड़ दिया. जब मोदी गुजरात पहुंचे तो काउंटर स्लोगन को वैसे ही दोहराने लगे जैसे राहुल गांधी अपने गुजरात दौरे में कहा करते थे - विकास पागल हो गया है.

मोदी ने ऐलान कर दिया - मैं ही गुजरात हूं, मैं ही विकास हूं. अब भला कांग्रेस किस मुहं से कह पाती की विकास पागल हो गया है. अगर फिर भी कांग्रेस ऐसा कहती तो मैसेज जाता कि वो गुजरात के बारे में कह रही है.

असल में राहुल गांधी उस गलती से बचना चाह रहे थे जो 2012 में सोनिया गांधी से हो गयी थी. सोनिया गांधी ने तब मोदी को 'मौत का सौदागर' कह दिया था. बाद में माना गया कि कांग्रेस की हार का सबसे बड़ा कारण सोनिया का वो बयान ही बना. यही वजह रही कि 2014 के चुनाव में सोनिया गांधी और दूसरे कांग्रेस नेता भी मोदी पर निजी हमलों से बचते रहे.

सोनिया गांधी से भी बड़ी गलती अय्यर ने ऐसे नाजुक वक्त में कर दी है जब भूल सुधार की भी गुंजाइश कम ही बची है. खुद प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी के सारे नेता अब इसी नोट के साथ पहले चरण के लिए चुनाव प्रचार खत्म करेंगे. ये अय्यर ही थे जिन्होंने मोदी को चायवाला बताया और फिर बीजेपी ने एक मुहिम ही चला दी - चाय पर चर्चा. हाल ये है कि आज भी मोदी और तमाम बीजेपी नेता बड़े गर्व से चायवाला का जिक्र करते हैं.

सियासत में सत्ता सेंटर बदलते वक्त ऐसे हादसों की हरदम आशंका बनी रहती है, जिसमें तमाम सीनियर नेता खुद को फिट करने की कोशिश में लगे रहते हैं. फिलहाल कपिल सिब्बल से लेकर मणिशंकर अय्यर तक सभी खुद को बचाने के लिए कांग्रेस की जड़ें खोद रहे हैं.

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