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Updated: 22 नवम्बर, 2018 12:47 PM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
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मध्य प्रदेश में चुनाव प्रचार जोरों पर है. पिछले 15 सालों से सत्ता पर भाजपा का कब्जा है, लेकिन उम्मीद जताई जा रही थी कि इस बार कांग्रेस का वनवास खत्म हो सकता है. भोपाल का सट्टा बाजार भी इसी ओर इशारा कर रहा है. 3 हफ्ते पहले तक इसी सट्टा बाजार में उम्मीद की जा रही थी कि भाजपा ही दोबारा सत्ता में लौटेगी, लेकिन अब ऐसा लग रहा है जैसे भाजपा का विजय रथ कांग्रेस रोक देगी. अब सट्टा बाजार में कांग्रेस के जीतने की उम्मीद जताई जा रही है. यूं तो सट्टा बाजार के ट्रेंड बदलते रहते हैं, लेकिन कल तक जो भाजपा की जीत की बात कर रहे थे, आज उनका कांग्रेस को जीतता हुआ बताना मोदी सरकार को थोड़ा टेंशन में जरूर डाल सकता है.

मध्य प्रदेश चुनाव, सट्टा बाजार, भाजपा, कांग्रेसअब सट्टा बाजार में कांग्रेस के जीतने की उम्मीद जताई जा रही है.

सट्टा बाजार में लग रहे हैं ये दाव

कुछ दिन पहले तक सट्टा बाजार में इस बात को लेकर दाव लगाए जा रहे थे कि कौन जीतेगा. अगर कोई शख्स भाजपा की जीत पर 10,000 रुपए का सट्टा लगा रहा था जो उसे 11,000 रुपए मिलने थे, जबकि अगर कोई शख्स कांग्रेस की जीत पर 4,400 रुपए का सट्टा लगा रहा था तो उसे 10,000 रुपए मिलने थे. लेकिन अब ट्रेंड बदल गया है. अब सट्टा हार-जीत पर नहीं, बल्कि सीटों के हिसाब से लगाया जा रहा है. बुकीज का मानना है कि इस बार किसी भी पार्टी को बहुमत मिलना मुश्किल है, कांटे की टक्कर होगी. भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला देखते हुए सट्टा इस बात पर लगाया जा रहा है कि भाजपा को 102 से अधिक सीटें मिलेंगी या फिर कांग्रेस को 116 से अधिक सीटें मिलेंगी. इन दोनों ही दाव पर पैसा डबल हो रहा है.

सट्टा बाजार में कितना दम?

सट्टा बाजार में पैसे लगाने वालों की बात तो छोड़िए. उनका फायदा-नुकसान जानने से अधिक जरूरी ये जानना है कि सट्टा बाजार के दावों में कितना दम होता है? क्या वाकई जिस ओर सट्टा बाजार झुकता है, उसी पार्टी की जीत होती है? आइए एक नजर डालते हैं पुराने आंकड़ों पर और जानते हैं सट्टा बाजार के अनुमान सही साबित हुए या गलत-

- अगर सट्टा बाजार के पुराने आंकड़ों को देखा जाए तो यूपी चुनाव में भी सट्टा बाजार का अनुमान सही साबित हुआ था. सट्टा बाजार में उस वक्त भाजपा पर पैसे लगाए गए थे और भाजपा जीती भी.

- वहीं बिहार चुनाव में सटोरियों को मुंह की खानी पड़ी. सट्टा लगाया था भाजपा पर, लेकिन जीत गए नीतीश कुमार, जो उस वक्त महागठबंधन का नेतृत्व कर रहे थे.

- इतना ही नहीं, पंजाब में भी सटोरियों का अनुमान था कि आम आदमी पार्टी जीतेगी और कांग्रेस दूसरे नंबर रहेगी. इसके उलट कांग्रेस ने पंजाब में जीत हासिल की.

- सटोरियों की सबसे बुरी हालत हुई थी दिल्ली चुनाव में. सट्टा बाजार के हिसाब से यह अनुमान था कि भाजपा की जीत होगी, जबकि आम आदमी पार्टी को सिर्फ 3-4 सीटें ही मिलेंगी. वहीं इसके उलट, आम आदमी पार्टी प्रचंड बहुमत से जीती और भाजपा को सिर्फ 3 सीटें मिलीं.

- उत्तराखंड चुनाव में सट्टा बाजार ने यह अनुमान लगाया था कि भाजपा जीतेगी और वहां पर भाजपा की सरकार बनी. यानी उत्तराखंड में सट्टा बाजार का अनुमान सही बैठा.

- गुजरात चुनाव में सट्टा बाजार ने अनुमान लगाया था कि भाजपा जीतेगी और हुआ भी वैसा ही. हां, कांग्रेस की तगड़ी तैयारी को देखते हुए एक बार तो सटोरिए भी घबरा गए थे कि कहीं कांग्रेस ना जीत जाए.

अगर अभी तक के आंकड़ों को देखा जाए तो यह साफ हो जाता है कि सट्टा बाजार द्वारा किया गया आकलन सटीक नहीं होता है. सट्टा बाजार का आकलन भी एग्जिट पोल की तरह है, जो कभी सही हो जाता है तो कभी बाजी उल्टी पड़ जाती है. पहले कहा जाता था कि सट्टा बाजार के अनुमान एग्जिट पोल से भी अधिक विश्वसनीय होते हैं, क्योंकि उसमें लोग जमीनी स्तर पर रिसर्च कर के दाव खेलते हैं, लेकिन पिछले कुछ सालों के आंकड़ों ने ये भ्रम भी दूर कर दिया है. कभी सट्टा बाजार का आकलन सही निकला, तो कभी उन्हें मुंह की खानी पड़ी. अब इस बार मध्य प्रदेश चुनाव में ये देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस का वनवास खत्म होगा या फिर भाजपा का विजयी रथ एक और जंग जीत जाएगा.

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