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Updated: 26 अगस्त, 2018 07:59 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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अब तक सारा देश गाय को मां के रूप में देखता था. मगर इस बार के रक्षाबंधन के बाद गौ मां उत्तर प्रदेश के लखनऊ से भाजपा के एमएलसी बुक्कल नवाब की बहन बन गई है. भाजपाई भाई ने कसम खाई है कि वो बहन को उसके अधिकार दिलाकर रहेगा और उसकी रक्षा करेगा. 2019 के आम चुनाव नजदीक हैं. हलचल तेज है और भागा दौड़ी जारी है. बात जब चुनावों की हो तो उत्तर प्रदेश और वहां की मुस्लिम आबादी को नकारा नहीं जा सकता. उत्तर प्रदेश में हिंदुत्व के एजेंडे पर कैसे काम हो रहा है और वहां कौन कितनी तेज भाग रहा है यदि इस बात को समझना हो तो हमें बुक्कल नवाब से ज़रूर मिलना चाहिए. बुक्कल पहले समाजवादी पार्टी में थे और मुलायम सिंह यादव और अखिलेश के करीबी माने जाते थे अब ये भाजपा में हैं और उसी की बदौलत एमएलसी हैं.

बुक्कल नवाब, भाजपा, गाय, रक्षाबंधन, राखी    रक्षाबंधन पर जो बुक्कल नवाब ने किया उसकी कड़ी आलोचना हो रही है

हिंदुत्व के एजेंडे की रेज में न सिर्फ बुक्कल सबसे तेज दौड़ रहे हैं बल्कि ये सबसे आगे भी हैं. उत्तर प्रदेश में भाजपा के एमएलसी बुक्कल नवाब ने रक्षाबंधन के त्योहार को विचित्र अंदाज में मनाने का फैसला किया है. एक तरफ जहां हिंदुस्तान की बड़ी आबादी गाय को मां कहती हैं बुक्कल नवाज ने गायों को अपनी बहन माना है और ऐलान किया है कि वह गौ रक्षाबंधन मनाएंगे, जिसके तहत मुस्लिम महिलाएं गाय को राखी बांधेगी.

एक ऐसे वक़्त में जब देश का मुसलमान भाजपा को लेकरपशो पेश की स्थिति में है. बुक्कल नवाब की इस पहल ने पता दिया है कि उनका उद्देश्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की गुड बुक्स में आना है. बुक्कल नवाब लखनऊ के शिया मुस्लिम समुदाय के बीच एक लोकप्रिय चेहरा और बड़ा नाम हैं. अब इसे बुक्कल के 'अच्छे दिन 'कहें या भाजपा के बैनर से मिली लोकप्रियता इन दिनों अपने बीजेपी प्रेम के चलते बुक्कल न सिर्फ शियों बल्कि तमाम मुस्लिम समुदाय के सामने आलोचना का पात्र बन रहे हैं. लोग इनकी कड़े शब्दों में निंदा कर रहे हैं और कह रहे हैं कि ये अपनी ऊल जलूल हरकतों से लगातार मुस्लिम धर्म को बदनाम करने का काम कर रहे हैं.

खैर, बुक्कल के ये हैरान करने वाले कारनामे कोई आज के नहीं हैं. बुक्कल ने उस वक़्त तब लोगों को हैरत में डाला था जब इन्होंने विधान परिषद सदस्य के पद की शपथ ली थी. शपथ लेने के फौरन बाद बुक्कल ने लखनऊ के हजरतगंज के हनुमान मंदिर में बड़ा सा घंटा चढ़ाया था साथ ही बुक्कल नवाब ने इसी साल जून में हनुमान मंदिर में भंडारा भी कराया था.

समाजवादी पार्टी से भाजपा में शामिल होने वाले बुक्कल नवाब का भाजपा प्रेम उनके अन्दर कितना उफान मार रहा है इसके लिए हमें बीते वर्ष जुलाई की एक घटना को जरूर याद कर लेना चाहिए. अयोध्या में राम मंदिर बनाने की जबरदस्त वकालत करते हुए बुक्कल ने कहा था कि यदि राम मंदिर बना तो वे मंदिर निर्माण के लिए 10 लाख रुपये चंदा देंगे साथ ही वो सोने का मुकुट भी भेंट करेंगे.

बुक्कल नवाब, भाजपा, गाय, रक्षाबंधन, राखी गायों को राखी बांधते भाजपा के एमएलसी बुक्कल नवाब

गौरतलब है कि सपा का दामन छोड़कर भाजपा के खेमे का रुख करने वाले बुक्कल नवाब ने पार्टी ज्वाइन करने से पहले अखिलेश यादव पर तमाम तरह के गंभीर आरोप लगाए थे और कहा था कि अखिलेश यादव सरकार ने केवल और केवल शिया समुदाय पर जुल्म किए. बुक्कल भाजपा में क्यों आ रहे हैं इसकी वजह गिनाते हुए उन्होंने कहा था कि अखिलेश यादव सरकार ने आम शिया मुसलमानों पर चुन-चुनकर मुकदमे किए, उनके धर्मगुरुओं  को लाठी-डंडों से पीटा. जिससे वो बहुत आहत हुए और उन्होंने भाजपा में आने की सोची और पार्टी का दामन थामा.

आपको बताते चलें कि आज गायों को अपनी बहन मानने वाले बुक्कल नवाब का शुमार उन नेताओं में हैं जिनपर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं. बुक्कल नवाब पर लखनऊ में रिवर फ्रंट मामले में अपने जमीन के एवज में गलत तरीके से 8 करोड़ रुपए लेने का आरोप लगा था. भाजपा में आने के बाद बुक्कल ने कहा था कि उन पर भ्रष्टाचार का एक पैसे का भी आरोप नहीं है और लगाए गए तमाम आरोप राजनीतिक साजिश का हिस्सा हैं.

बहरहाल, एमएलसी बनने के बाद बुक्कल का लखनऊ के हनुमान मंदिर में घंटा चढ़ाना. भंडारा लगवाना. अयोध्या में भव्य राम मंदिर की वकालत करना, उसके लिए 10 लाख रुपए चंदा और सोने का मुकुट देने की बात करना. शहर भर के मौलानाओं और मोलवियों को लेकर राष्ट्रीय शिया संघ बनाना और अब गायों को बहन मानते हुए उन्हें रखी बांधना. बुक्कल के इशारे साफ हैं. बुक्कल नवाब का यही प्रयास है कि वो इन चीजों से भाजपा के उस वर्ग को आकर्षित कर लें जिनका काम हिंदुत्व के एजेंडे से पार्टी को आगे ले जाना है.

अंत में बस इतना ही कि बुक्कल नवाब की इस पहल ने कहीं न कहीं मोहसिन रजा और वसीम रिज़वी समेत उन तमाम लोगों को मुश्किल में डाल दिया है जो अपनी तरफ से पूरा प्रयास कर रहे हैं कि कैसे वो कुछ ऐसा कर जाएं जिससे पार्टी आलाकमान की रहम भरी निगाह उन पर बनी रहे. चूंकि अपीजमेंट की इस रेस में फ़िलहाल बुक्कल सबसे आगे हैं तो हमारे लिए ये भी देखना दिलचस्प रहेगा कि भविष्य में वो कब तक इस मुकाम पर रहते हैं और इसके जरिये वो क्या और कितना बड़ा करते हैं.

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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