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Updated: 22 जनवरी, 2023 11:08 PM
गोविंद पाटीदार
  @govindpatidarjournalist
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दुनियां के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के सबसे बड़े त्योहार यानि 2024 लोकसभा चुनाव का आगाज़ हो चुका है. जहां प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में अतिविश्वासी होकर चुनाव लडने को चेताया तो वहीं विपक्ष के अलग अलग मोर्चे अपने अपने विश्वास के दम पर ताल ठोकने लगे हैं. भाजपा को हराने के लिए एकीकृत विपक्ष का होना बेहद आवश्यक है. लेकिन विपक्ष भाजपा को अतिविश्वसी बनने पर मजबूर कर रहा है. जहां एक तरफ़ राहुल गांधी ने अपनी भारत जोड़ो यात्रा के जरिए संदेश दिया कि देश की जनता कांग्रेस के साथ है. 

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वहीं अखिलेश, केसीआर यानि चंद्रशेखर राव और अरविंद केजरीवाल मिलकर सरकार बनाने का सपना बुन रहे हैं. इधर ममता बनर्जी और नीतीश कुमार अलग अलग रणनीति बना रहे हैं. लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या भाजपा के खिलाफ इस तरह से जीत पाएगा विपक्ष? जो कि असली विपक्ष है ही नहीं. विपक्ष के जितने मोर्चे बनेंगे उससे भाजपा को कम और भाजपा के विरोधी दलों को ज्यादा नुकसान होगा. इधर लोकसभा चुनाव से पहले लगभग सभी पार्टियों को अपनी योग्यता सिद्ध करनी होगी. चंद्रशेखर राव 2024 के सिंहासन के सपने देख रहे हैं, लेकिन तेलांगना के विधानसभा चुनाव उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती है. अगर तेलंगाना में जीत नहीं मिली तो किस मुंह से देश का नेतृत्व मांगेंगे?

ऐसा ही हाल कांग्रेस का भी है, कांग्रेस के लिए छत्तीसगढ़ और राजस्थान बचाना बेहद ज़रूरी हो जाता है, तब जब विपक्ष का भरोसा कांग्रेस से उठने की कगार पर हो. नीतीश कुमार इस जुगलबंदी में हैं कि किसी तरह विपक्ष एक हो जाए और भाजपा को हटाया जाए. लेकिन यहां भी नीतीश ने कुर्सी को लेकर अपनी मंशा स्पष्ट नहीं की है.

कुछ दिनों पहले चंद्रशेखर राव ने विपक्ष की एक बड़ी रैली की जिसमें अरविंद केजरीवाल, अखिलेश यादव और डी राजा शामिल हुए. अखिलेश ने कहा कि जो प्रोग्रेसिव सोच रखता है, ऐसा विपक्ष साथ आ रहा है, तो क्या राहुल गांधी, नीतीश कुमार, ममता बनर्जी प्रोग्रेसिव सोच नहीं रखते? राहुल गांधी ने भी इशारों ही इशारों में कह दिया कि कांग्रेस ही असली विपक्ष है.

समाजवादी पार्टी के संदर्भ में राहुल पहले ही कह चुके हैं कि समाजवादी पार्टी एक क्षेत्रीय पार्टी है, यह राष्ट्रीय पार्टी जैसे केंद्र में नहीं रह सकती. ऐसे में राहुल का यह संदेश सभी क्षेत्रीय पार्टियों के लिए हो गया. कुल मिलाकर विपक्ष के कई मोर्चे हो चुके हैं, अगर यह साथ नहीं आते हैं तो 2024 के लिए बात बनना मुश्किल होगी. वहीं भाजपा को अपना लक्ष्य पता है,उसकी तैयारियां उसके अनुरूप हैं. 

लेखक

गोविंद पाटीदार @govindpatidarjournalist

गोविंद पाटीदार पत्रकारिता के छात्र हैं. इसके साथ ही एक लेखक, विचारक और स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं. राजनीतिक और समाजिक मुद्दों पर अब तक कई लेख लिख चुके हैं।

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