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Updated: 27 नवम्बर, 2016 03:20 PM
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आज फिर से नाभा जेलब्रेक की घटना ने पूरे देश को चौंक दिया. यह कोई पहला वाकया नहीं है, जिसमें कैदी जेल से फरार हुए हैं.  पंजाब में अतिसुरक्षित माने जाने वाले नाभा जेल पर बड़ा हमला हुआ है. 10 हथियारबंद अपराधियों ने जेल पर हमला कर खलिस्तान लिबरेशन फोर्स के 1 आतंकी समेत 6 अपराधियों को रिहा करवाया है. फरार आतंकी का नाम हरमिंदर सिंह मिंटू है. खबरों के मुताबिक रविवार सुबह पुलिस की वर्दी में आए हथियारबंद अपराधियों ने नाभा जेल में करीब 100 राउंड फायरिंग की. बदमाशों ने सुबह करीब 10 बजे जेल पर हमला किया.

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हरमिंदर को IGI एयरपोर्ट से 2014 में पंजाब पुलिस ने गिरफ्तार किया था. मिंटू 2008 में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम, और हलवाड़ा एयरफोर्स स्टेशन पर हमले समेत कई आतंकी घटनाओं में शामिल रहा है. पंजाब पुलिस के अनुसार हरमिंदर 2010 में यूरोप भी जा चुका है. 2013 में उसने पाकिस्तान छोड़ा था. यूरोप दौरे में उसने इटली, बेल्जियम, जर्मनी और फ्रांस की यात्रा की थी. खलिस्तान लिबरेशन फोर्स फंड जुटाने के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल करने में आगे रहा है.

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 सांकेतिक फोटो

पंजाब सरकार के तमाम मंत्री और खुद डिप्टी सीएम सुखबीर सिंह बादल ने माना कि पंजाब से जुड़े विदेशों में बैठे खालिस्तान समर्थक रैडिकल ग्रुप पाकिस्तान की मदद से पंजाब का माहौल बिगाड़कर पंजाब में आतंकवाद को खड़ा करना चाहते हैं. जेलब्रेक की घटना के बाद पूरे पंजाब में हाई अलर्ट की घोषणा कर दी गई है.

इससे पहले,

अक्टूबर 30 - 31  , 2016 मध्यप्रदेश की भोपाल सेंट्रल जेल से सिमी के आठ खतरनाक कैदी फरार हो गए थे. रात हुई जेलब्रेक की घटना के बाद पुलिस ने सिमी के आठ आतंकियों को एनकाउंटर में मार गिराया. इस मामले पर अब राजनीति भी शुरू हो गई . जिस जेल से आतंकी फरार हुए, उसे प्रदेश की सबसे अच्छी जेल माना जाता है. सफाई और खुलेपन को लेकर जेल को ISO सर्टिफिकेट भी मिल चुका है.

अक्टूबर 2013 में भी खंडवा जेल से सात आतंकी फरार हुए थे. ऐसे में एमपी पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था पर अब सवाल खड़े हो गए हैं. अक्टूबर 2013 में खंडवा स्थित जेल से भागे सिमी के सात कार्यकर्ताओं में से चार को तीन साल तक छिपे रहने के बाद मुश्किल से पकड़ा गया था.

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- नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की मानें तो कैदियों के भागने के मामले में मप्र की जेलों का देशभर में दूसरा नंबर है. पहले नंबर पर राजस्थान की जेले हैं, जहां पर कैदी अधिक भागते हैं. - रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2001 से 2015 के बीच मप्र की जेलों से कैदियों के भागने की 28 घटनाएं और राजस्थान में इस अवधि के दौरान 43 घटनाएं हो चुकी हैं.- वहीं, रिपोर्ट यह भी दर्शाती है कि दिल्ली, उत्तराखंड की जेलों से वर्ष 2001 से अब तक कोई कैदी फरार नहीं हुआ है.

अगर हम तथ्यों पर ध्यान दें तो भारत में कुल जेलों की संख्या 1401 है, और उनमें 3 लाख 66 हज़ार के आसपास कैदियों की रखने की कुल क्षमता है, पर करीब  4 लाख 20 हज़ार कैदी रह रहे हैं , तो तय है कि भारतीय जेलों के ऊपर काफी बोझ बढ़ हुआ है. इस जालों में खूंखार आतंकवादी और पेशेवर अपराधियों का बड़ा भाग है, और लगातार जेलब्रेक की बढ़ती घटनाएं पूरे देश और समाज के लिए सतत चिंता का सबब बनती जा रही हैं.

ऐसे में सरकार को चौकन्ना हो जाना चाहिए और कम से कम अपरधियों के जेलब्रेक की घटनाओं पर केंद्र सरकार कुछ बड़ी पहल करे, साथ ही विपक्ष भी इसे राजनितिक मुद्दा न बनाए, ताकि समाज के शांति व्यवस्था पर कई आघात न हो. अगर अब भी सचेत नहीं हुए तो ये बड़ी घटनाएं हो सकती हैं.

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लेखक

जगत सिंह जगत सिंह @jagat.singh.9210

लेखक आज तक में पत्रकार हैं.

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