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Updated: 26 मार्च, 2015 12:41 PM
मधुरेन्द्र सिन्हा
मधुरेन्द्र सिन्हा
  @madhurendra.sinha
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आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव नाखुश हैं. बिहार के बारे में उन्होंने जो योजनाएं बनाई थीं, अपनी बेटी के बारे में जो सपने देखे थे और पार्टी को मजबूत करने के बारे में जो सोचा था उन सब पर फिर से पानी फिरता दिख रहा है. लगभग दो महीनों की कवायद के बाद अब लालू यादव यह कहने को मजबूर हो गए कि जीतन राम मांझी बिहार के मुख्य मंत्री बने रहेंगे. उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें हटाए जाने की अटकलों में कोई दम नहीं है.

ज़ाहिर है कि अब उन्हें यह बात समझ में आ गई है कि बिहार में सत्ता परिवर्तन करवाना उतना आसान नहीं है. जनता परिवार महाविलय का मामला भी खटाई में पड़ता दिख रहा है. दरअसल जनता परिवार के फिर से मिलन और विलय का मामला भी लालू के तेज दिमाग की उपज थी जिसके जरिये वह बिहार में अपने को मजबूत करना चाहते थे. लेकिन मुलायम सिंह यादव को यह विचार बहुत पसंद नहीं आया. पहले तो वह इसमें दिलचस्पी दिखा रहे थे लेकिन बाद में वह पीछे हट गए. ऐसा लगता है कि उन्हें लगा कि इससे उनकी ताकत राज्य में घटेगी क्योंकि उस जनता दल के कई नेता हो जाएंगे जो वहां के काम काज में हस्तक्षेप कर सकते हैं और उन्हें दूसरे राज्यों में कुछ मिलना भी नहीं है. अभी वह अपनी पार्टी के सर्वेसर्वा हैं और जो चाहते हैं करते हैं लेकिन विलय के बाद कई तरह की अड़चनें आ सकती हैं. शायद यह सोचकर ही वह थोड़े सुस्त हो गए हैं.

बिहार के पूर्व सीएम नीतीश कुमार के लिए भी यह सोचने का विषय था कि अगर वह अपनी पार्टी का विलय कर देंगे तो उनके पास क्या रहेगा. उन्होंने क्या सोचा यह नहीं कहा जा सकता लेकिन इतना जरूर है कि वह अब पहले जैसा उतावलापन नहीं दिखा रहे हैं. नीतीश कुमार के लिए यह बहुत बड़ा कदम होने जा रहा था जिसमें वह अपना सब कुछ दांव पर लगाने जा रहे थे. लेकिन फिलहाल वह थम से गए दिखते हैं. नरेन्द्र मोदी के प्रति व्यक्तिगत ईर्ष्या से वह उन लोगों के हाथ थामने को उतावले हो बैठे जिनसे लड़कर वह यहां तक पहुंचे. लेकिन इससे भी ज्यादा परेशानी उन्हें जीतन राम मांझी से हुई जिन्हें उन्होंने सीएम बनाया था. मांझी के तथाकथित विद्रोह ने उनके बढ़ते कदम रोक दिए. अब कोई भी बदलाव करना उनके लिए आसान नहीं है और इसके नकारात्मक परिणाम होंगे. ज़ाहिर है लालू यादव का यह पहला बड़ा प्रयास विफल हो गया. बिहार की राजनीति में फिर से वापसी के अपने सपने को वह फिर कैसे पूरा करेंगे, यह देखना बाकी है. आगे का रास्ता और भी उबड़ खाबड़ है. 

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