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Updated: 09 जुलाई, 2015 07:25 PM
लालू प्रसाद यादव
लालू प्रसाद यादव
  @laluprasadrjd
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जातीय जनगणना के आंकड़े सावर्जनिक होने पर ही लोकनायक जयप्रकाश का संपूर्ण क्रांति का सपना पूरा होगा. जब तक वंचित वर्गों के लोग मुख्यधारा में नहीं आयेंगे तो किसका विकास? यह तभी संभव है जब जातीय जनगणना के सही आंकड़ों का खुलासा होगा. जातीय सर्वेक्षण की सच्चाई देख भाजपा की घबराहट बढ़ गई है. पिछड़े वर्गों के लिए नौकरियों में जब मंडल कमीशन की अनुसंशा लागू हुई थी तो उसका सबसे जोरदार विरोध इन जातिवादी भाजपाईयों ने ही किया था. अब ये जानते हैं कि पिछड़े वर्ग संख्या में ज्यादा है तो ये उन आंकड़ों को घबराकर छिपाए बैठे रहना चाहते है पर हम उनको ऐसा नहीं करने देंगे. भाजपा का असली जातिवादी चेहरा सामने आ गया है.

1931 के बाद पहली बार 2010 में जातिगत जनगणना करवाने के लिए हम सभी ने अपनी दमदार उपस्थिति के दम पर तत्कालीन यूपीए सरकार को बाध्य किया. 1931 के बाद पहली बार जातियों की गणना हुई. अब जब जातियों की संख्या सामने आ गयी है, तो केंद्र सरकार इसका खुलासा करने से भाग रही है. क्योंकि भाजपा जनसंख्या के अनुसार बजट प्रावधान करने से बचना चाह रही है. आजादी के बाद केंद्र का जो बजट बनता रहा है, उसमें किसके लिए कितना व कहां पर बजट है, यह जानकारी जनता को नहीं मिल रही है. जाति जनगणना की रिपोर्ट जारी नहीं की तो अब नागपुर की मनमानी नहीं चलने दी जायेगी. मंडल कमीशन की लड़ाई सिर्फ सरकारी नौकरियों में आरक्षण देने तक नहीं सिमट कर रह गयी है. मंडल की लड़ाई अभी शेष है.

भाजपा के ओबीसी, दलित एवं एनडीए के छुटभैये नेताओं को भी जाति आधारित जनगणना को लेकर अपनी स्थिति साफ करनी पड़ेगी. आखिर उनका नजरिया भी जनता को मालूम होना चाहिए. अब दिल्ली की सरकार गरीबों की हकमारी नहीं कर सकती. सभी जातियों की जनगणना हो गयी तो रिपोर्ट जारी क्यों नहीं कर रहे हैं. आखिर देश में 51 फीसदी मजदूर परिवार कौन लोग हैं. भारत का हर तीसरा व्यक्ति भूमिहीन कौन है? देश की 6.8 करोड़ भीख मांगने वाले कौन लोग हैं? देश के किन लोगों के 75 घरों की मासिक आमदनी पांच हजार रुपये हैं. यह वही दलित, पिछड़े, अति पिछड़े, वंचित और अल्पसंख्यक वर्ग के लोग हैं, जिनके लिए केंद्र सरकार बजट में कोई प्रावधान नहीं करती है. अब जाति आधारित जनगणना में सभी जातियों की संख्या सामने आयेगी. आजादी के बाद से भारत की असली तसवीर अब सामने आयी है. अभी तक अंधेरे में तीर चलाया जाता था. भाजपा के घड़ियाली आंसू बहाने से कुछ नहीं होगा. भाजपा की डेंटिंग-पेंटिंग अब नहीं चलने वाली है. अब आपका "सबका साथ, सबका विकास" कहाँ गया? सच तो यह है कि इन्होंने किया है सब गरीबों के साथ भीतरघात. रिपोर्ट जारी करो नहीं तो गद्दी छोड़ो. गरीबों के आंकड़े जारी करो नहीं तो नागपुर पहुंचा देंगे.

मैं सभी प्रगतिशील लोगों, ओबीसी, दलित, वंचित एवं उपेक्षित वर्गों के सभी चिंतकों, बुद्धिजीवियों से आग्रह करता हूं कि वो मेरी इस मुहीम में साथ दे ताकि ये लोग आंकड़ों के साथ कोई खिलवाड़ न कर पाये.

(बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव की फेसबुक वॉल से साभार.)

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लेखक

लालू प्रसाद यादव लालू प्रसाद यादव @laluprasadrjd

लेखक बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष हैं.

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