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Updated: 27 मई, 2021 04:58 PM
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भारत में कोरोना की दूसरी लहर के बीच तौक्ते तूफान ने बर्बादी मचाई और अब यास तूफान तबाही मचा रहा है. इन सबके बीच केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप में विवादों का तूफान सामने आया है. अपनी प्राकृतिक सुंदरता और शांति के लिए जाना जाने वाला लक्षद्वीप इस समय एक राजनीतिक विवाद को लेकर चर्चा में है. केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासक प्रफुल्ल खोड़ा पटेल को हटाने की मांग करने वाले #SaveLakshadweep हैशटैग वाले सैकड़ों पोस्ट से सोशल मीडिया भरा पड़ा है. स्थानीय स्तर पर भी राजनीतिक लोगों से लेकर निवासी भी प्रशासन के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं. दरअसल, प्रफुल्ल खोड़ा पटेल को लक्षद्वीप में कोरोना संक्रमण मामलों में आए उछाल के लिए दोषी ठहराया जा रहा है. उन पर भारत के सबसे छोटे केंद्र शासित प्रदेश में सामाजिक तनाव पैदा करने का भी आरोप है. आइए जानते हैं वो 10 वजहें जिनकी वजह से लक्षद्वीप में ये विवादों का सियासी तूफान आया है.

प्रफुल्ल खोड़ा पटेल पर भारत के सबसे छोटे केंद्र शासित प्रदेश में सामाजिक तनाव पैदा करने का भी आरोप है.प्रफुल्ल खोड़ा पटेल पर भारत के सबसे छोटे केंद्र शासित प्रदेश में सामाजिक तनाव पैदा करने का भी आरोप है.

कोरोना का हॉट स्पॉट बना लक्षद्वीप

भारत में कोरोना महामारी की पहली लहर के दौरान लक्षद्वीप कोविड-19 के ग्रीन जोन में था. प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि प्रशासक प्रफुल्ल खोड़ा पटेल द्वारा क्वारंटीन और यात्रा नियमों में ढील की वजह से लक्षद्वीप को कोविड-19 के लिए 'हाइएस्ट पॉजिटिविटी' वाली जगह बना दिया है. लक्षद्वीप में कोविड-19 के 7,000 से अधिक मामले हैं. लक्षद्वीप ने इस साल 18 जनवरी को अपने पहले कोविड-19 मामलों की जानकारी दी, जब 14 व्यक्तियों की कोरोना वायरस संक्रमण की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी. 2011 की जनगणना के अनुसार लक्षद्वीप की जनसंख्या 65,000 से भी कम है. लक्षद्वीप में कोरोना का पॉजिटिविटी रेट ज्यादातर 10 से कम रहा है. हालांकि, कभी-कभी यह कुछ दिनों के में 20 फीसदी को पार कर जाता है.

पूर्व प्रशासक दिवंगत दिनेश्वर शर्मा के प्रशासनकाल में क्वारंटीन के नियमों का सख्ती से पालन किया गया था. वहीं, अब यात्रियों को लक्षद्वीप पहुंचने के लिए केवल कोरोना वायरस की निगेटिव रिपोर्ट की जरूरत होती है. इस पर प्रफुल्ल खोड़ा पटेल का कहना है कि लक्षद्वीप की अर्थव्यवस्था के मुख्य आधार पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए यह बदलाव लाए गए थे.

लक्षद्वीप पशु संरक्षण नियम 2021

प्रफुल्ल खोड़ा पटेल ने लक्षद्वीप पशु संरक्षण नियम 2021 प्रावधान प्रस्तावित किया है. जिसके अंतर्गत गाय, सांड और बैल की हत्या पर प्रतिबंध लग जाएगा. इस प्रस्ताव का जमकर विरोध किया जा रहा है और प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि प्रफुल्ल खोड़ा पटेल आरएसएस के बीफ बैन के एजेंडे को लागू कर रहे हैं. हालांकि, भारत में बीफ में ज्यादातर भैंस का मांस होता है.

लक्षद्वीप की आबादी में लगभग 97 फीसदी मुसलमान हैं और इनमें अधिकतर अनुसूचित जनजाति के हैं. लक्षद्वीप की जनजातीय आबादी लगभग 95 फीसदी है. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि बीफ उनके नियमित आहार का हिस्सा है. प्रफुल्ल खोड़ा पटेल का समर्थन करने वाले राज्य को गोहत्या पर प्रतिबंध लगाने वाले संवैधानिक प्रावधान का हवाला देते हैं.

मिड-डे मील से मांसाहार को हटाना

प्रफुल्ल खोड़ा पटेल ने लक्षद्वीप के स्कूलों में मध्याह्न भोजन यानी मिड-डे मील से मांसाहारी भोजन को हटा दिया है. इस निर्णय का भी जमकर विरोध हो रहा है. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि बच्चों के खाने से मांसाहार को नही हटाना चाहिए. 

शराब की बिक्री और बार की अनुमति

प्रफुल्ल खोड़ा पटेल ने केंद्र शासित प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने के तरीके के तौर पर लक्षद्वीप में बार की अनुमति देने का प्रस्ताव रखा है. गुजरात की तरह ही लक्षद्वीप में भी शराब की बिक्री और खपत पर प्रतिबंध लगाने वाला एक निषेध कानून है. दिलचस्प बात यह है कि संविधान भारत में शराबबंदी का प्रावधान करता है. इस कदम का स्थानीय निवासियों और राजनीतिक नेताओं द्वारा जोरदार विरोध किया जा रहा है. यहां शराब का विरोध चौंकाने वाला है, क्योंकि लक्षद्वीप की अधिकांश आबादी मलयालम भाषी है और देश में सबसे अधिक शराब खपत करने वाले राज्यों में सामिल केरल के साथ गहरे संबंध रखती है.

असामाजिक गतिविधि विनियमन विधेयक

विवादों के इस तूफान में लक्षद्वीप प्रशासन द्वारा प्रस्तावित असामाजिक गतिविधि विनियमन विधेयक भा अहम है. प्रस्तावित कानून में किसी संदिग्ध को हिरासत में लेने के लिए कोर्ट द्वारा जारी वारंट की जरूरत नही होगी. प्रदर्शनकारियों ने इसे 'गुंडा एक्ट' करार दिया और विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि लक्षद्वीप में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार देश की सबसे कम अपराध दर है. प्रफुल्ल खोड़ा पटेल का तर्क है कि लक्षद्वीप में ड्रग्स से संबंधित अपराधों में बढ़ोत्तरी देखी गई है.

कर्नाटक को कार्गो का डायवर्जन

प्रफुल्ल खोड़ा पटेल के नेतृत्व पर ये भी आरोप लगाए जा रहे हैं कि वह केरल के साथ लक्षद्वीप के संबंधों को बाधित कर रहे हैं. साथ ही भाजपा शासित राज्य कर्नाटक को फायदा पहुंचा रहे हैं. दरअसल, पहले लक्षद्वीप के लिए आने वाले कार्गो को केरल के बेपोर बंदरगाह पर डॉक किया जाता था. केरल के साथ द्वीप के निवासियों के मजबूत सांस्कृतिक संबंध हैं. प्रफुल्ल खोड़ा पटेल पर आरोप है कि उन्होंने भाजपा शासित राज्य को लाभ पहुंचाने और केरल के साथ लक्षद्वीप के संबंधों को बाधित करने के लिए कार्गो को कर्नाटक के मैंगलोर बंदरगाह पर भेजा.

लक्षद्वीप विकास प्राधिकरण

इन सभी मुद्दों में सबसे विवादास्पद लक्षद्वीप विकास प्राधिकरण विनियमन 2021 है, जिसे प्रफुल्ल खोड़ा पटेल द्वारा प्रस्तावित किया गया है. अगर इसे लागू किया जाता है, तो यह प्रशासक के तौर पर सरकार को मजबूत करेगा. दरअसल, इसके अंतर्गत लक्षद्वीप में 'खराब लेआउट या पुराने' बुनियादी ढांचे के रूप में पहचाने जाने वाले किसी भी क्षेत्र के विकास के लिए विकास प्राधिकरणों का गठन करने की प्रशासक को शक्ति मिलती है. केवल छावनी क्षेत्रों को ही इस नियम के दायरे से बाहर रखा गया है. प्रदर्शनकारियों द्वारा इस विधेयक का विरोध किया जा रहा है. प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया है कि इस कानून का उद्देश्य 'रियल इस्टेट हितों' को साधना और अनुसूचित जनजाति के लोगों की छोटी जमीनों को हड़पना है.

केंद्र शासित प्रदेश में लक्षद्वीप पंचायत कर्मचारी नियम प्रस्तावित किया गया है.केंद्र शासित प्रदेश में लक्षद्वीप पंचायत कर्मचारी नियम प्रस्तावित किया गया है.

लक्षद्वीप पंचायत कर्मचारी नियम

केंद्र शासित प्रदेश में लक्षद्वीप पंचायत कर्मचारी नियम प्रस्तावित किया गया है. इस नियम के अनुसार, दो से अधिक बच्चों वाले लोगों को पंचायत चुनाव लड़ने का अधिकार नहीं होगा. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि लक्षद्वीप की कुल प्रजनन दर 1.6 है. यह कानून कई प्रमुख नेताओं को अयोग्य घोषित करने के लिए लाया गया है.

संविदा नौकरियों को खत्म करना

प्रदर्शनकारियों का ये भी आरोप है कि लक्षद्वीप में विभिन्न विभागों में संविदा कर्मचारी के तौर पर काम करने वाले लोगों को भी हटाया जा रहा है. प्रफुल्ल खोड़ा पटेल पर आरोप है कि पर्यटन विभाग, आंगनवाड़ी, शिक्षण संस्थानों समेत कई विभागों से लोगों को बड़ी संख्या में बर्खास्त किया जा रहा है.

सड़कों का चौड़ीकरण

प्रफुल्ल खोड़ा पटेल ने लक्षद्वीप में सड़कों के चौड़ीकरण और हाइवे निर्माण के आदेश भी दिए हैं. प्रदर्शनकारी और नेता इसका भी विरोध कर रहे हैं. दरअसल, लक्षद्वीप में सबसे बड़ा बसा हुआ द्वीप एंड्रोथ केवल 4.9 वर्ग किमी में फैला है. जिसका घनत्व 2,312 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी है. सबसे कम घने द्वीप बितरा में 271 लोग 0.10 वर्ग किमी क्षेत्र में रहते हैं. प्रदर्शनकारी का कहना है कि इतनी छोटी जमीन पर किस तरह से हाइवे या मेगा इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट बनाए जा सकते हैं.

कौन हैं प्रफुल्ल खोड़ा पटेल?

प्रफुल्ल खोड़ा पटेल केंद्र शासित प्रदेश दादरा और नगर हवेली, दमन और दीव के प्रशासक हैं. लक्षद्वीप के तत्कालीन प्रशासक दिनेश्वर शर्मा के निधन के बाद दिसंबर 2020 में उन्हें लक्षद्वीप का अतिरिक्त प्रभार दिया गया था. प्रफुल्ल खोड़ा पटेल ने गुजरात में नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्रित्व काल में दो साल तक गृह राज्य मंत्री के तौर पर काम किया था. उनके पिता खोड़ाभाई पटेल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के नेता थे. पीएम नरेंद्र मोदी के शुरुआती राजनीतिक दिनों में उनके घनिष्ठ संबंध थे.

लक्षद्वीप के प्रशासक के रूप में प्रफुल्ल खोड़ा पटेल की नियुक्ति का विरोध किया गया था. द्वीप के नेताओं ने आरोप लगाया था कि वह आरएसएस के सांप्रदायिक एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं. कहा जाता है कि वह लक्षद्वीप के प्रशासक के रूप में नियुक्त होने वाले एकमात्र राजनेता हैं. इस पद पर पहले भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारियों का कब्जा रहा है.

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