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Updated: 26 मार्च, 2017 05:23 PM
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पंजाब और गोवा के बाद अरविंद केजरीवाल की नजर गुजरात पर होनी थी और है भी. गोवा तो नहीं लेकिन पंजाब में केजरीवाल की पार्टी ने मौजूदगी तो दर्ज करा ही दी है. गुजरात में केजरीवाल की एंट्री के लिए पंजाब को आधार नहीं बनाया जा सकता क्योंकि उसी के चलते आप को 2014 में लोक सभा में दाखिला मिला था.

गुजरात में चुनाव साल के आखिर में हैं - और दिल्ली में एमसीडी चुनाव 23 अप्रैल को होने जा रहे हैं जिसके नतीजे भी 26 को आ जाएंगे. केजरीवाल ने काफी सोच समझ कर एमसीडी चुनाव के लिए बहुत बड़ी चाल चली है.

सबसे बड़ी चाल

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एमसीडी चुनाव में वोट बटोरने के हिसाब से बड़ी चाल चली है. बिजली हाफ और पानी माफ जैसे चुनावी हथियारों के बूते दिल्ली विधानसभा से कांग्रेस को पूरी तरह बेदखल और बीजेपी को महज तीन सीटों पर सिमटा देने वाले केजरीवाल ने इस बार भी वैसा ही दांव खेला है.

एमसीडी के हिसाब से चुनावी ब्रह्मास्त्र छोड़ते हुए केजरीवाल ने कहा, ‘अगर दिल्ली के नगर निगम चुनाव में आम आदमी पार्टी की सरकार बनती है तो रिहायशी घरों पर हाउस टैक्स खत्म कर दिया जाएगा. साथ ही, बकाया हाउस टैक्स को भी सरकार माफ कर देगी.’

kejriwal-delhi_650_032617051911.jpgकेजरीवाल ने चलाया ब्रह्मास्त्र...

केजरीवाल का ये तीर अब लौटकर नहीं आने वाला - और विरोधियों में खलबली मचाने के लिए काफी है. इसीलिए विरोधी बीजेपी और कांग्रेस अब केजरीवाल को घेरने के लिए उसी भ्रष्टाचार और वादाखिलाफी को आधार बना रहे हैं जिनके बूते वो राजनीति में अब तक का सफर पूरा कर पाये हैं.

इल्जाम और दलील

बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह तो केजरीवाल सरकार को भ्रष्टाचार के नाम पर ही घेर रहे हैं. शाह याद दिलाते हैं - आप के कार्यकाल में जल बोर्ड में घोटाला हुआ, एक मंत्री फर्जी डिग्री मामले में आरोपी बने तो दूसरे पर बलात्कार का आरोप लगा. शाह केजरीवाल के सबसे सीनियर अफसर के सीबीआई जांच में फंसे होने की बात भी याद दिलाना नहीं भूलते. कांग्रेस के दिल्ली प्रमुख अजय माकन भी मुफ्त वाई फाई सहित केजरीवाल की घोषणाओं का जिक्र करते हुए उन पर वादाखिलाफी के आरोप लगाते हैं.

लेकिन इन बातों से केजरीवाल को फर्क नहीं पड़ता. केजरीवाल का दावा है कि एमसीडी पर काबिज होते ही वो साल भर में ही उसे कमाऊ निकाय में तब्दील कर देंगे. केजरीवाल का आरोप है कि निगमों में खूब भ्रष्टाचार है और पार्षद इसके जरिये खूब पैसा बनाते हैं.

केजरीवाल की दलील है कि टैक्स से जो रकम मिलती है उसे भ्रष्ट लोग हड़प लेते हैं और अगर वो बंद हो जाय तो उसी से मैनेज करके लोगों को सुविधाएं दी जा सकती हैं.

बीजेपी और कांग्रेस केजरीवाल की इस चाल में उलझ चुके हैं इसलिए ऐसे दावों पर भी सवाल उठा रहे हैं. केजरीवाल का तर्क है कि कई ऐसे प्रोजेक्ट हैं जो देर और भ्रष्टाचार के चलते महंगे पड़ते थे, लेकिन उनकी सरकार ऐसे प्रोजेक्ट को भ्रष्टाचार मुक्त और कम समय में पूरा कर पैसे बचाने में सफल हो रही है - और उसी बचत से वो लोगों को हाउस टैक्स माफ करने पर होने वाले नुकसान की भरपाई कर सकते हैं.

विधानसभा चुनावों में मिली कामयाबी के बाद बीजेपी जोश से भरपूर है, तो गोवा और पंजाब की हार से आप में मायूसी और उस पर दबाव है. एमसीडी में दस साल से काबिज बीजेपी पर एंटी इनकम्बेंसी की चपेट में है तो केजरीवाल सरकार पर भी उसी फैक्टर का कुछ न कुछ असर होना तय माना जाना चाहिये. कहने को तो कांग्रेस भी जी जान से जुटी है - और उसके पास दोनों पार्टियों से नाराज लोगों का रुख हो सकता है - लेकिन उसमें उतना दमखम नहीं बचा नजर आ रहा है.

एक बात तो साफ है - दिल्ली के हालात यूपी से बिलकुल अलग हैं. दिल्ली में न तो कसाब और कब्रिस्तान का असर होने वाला है न ही किसी सोशल इंजीनियरिंग फॉर्मूले का. यही वजह है कि केजरीवाल यूपी नहीं जाते, कहते भी हैं - यूपी में हमारे पास बैंडविथ नहीं है. बीजेपी भी अगर यूपी स्टाइल में ही दिल्ली में भी जीत हासिल करना चाहती है तो उसे विधानसभा के नतीजे नहीं भूलने चाहिये. केजरीवाल को भी समझना होगा गुजरात भी दिल्ली नहीं है.

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