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Updated: 15 फरवरी, 2020 10:15 PM
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अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) के शपथ ग्रहण को लेकर अधिसूचना जारी हो चुकी है. दिल्ली के मुख्यमंत्री पद पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अरविंद केजरीवाल की नियुक्ति भी कर दी है. बताते हैं अरविंद केजरीवाल के साथ साथ 6 विधायक भी मंत्री पद की शपथ लेंगे, जिनके नाम हैं - मनीष सिसोदिया, सत्येंद्र जैन, गोपाल राय, कैलाश गहलोत, इमरान हुसैन और राजेंद्र गौतम. आतिशी मार्लेना और राघव चड्ढा को भी मंत्री बनाये जाने की चर्चा शुरू हुई थी, लेकिन अब सुनने में आया है कि वे दोनों किसी और महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट के प्रभारी बनाये जा सकते हैं.

रामलीला मैदान में अरविंद केजरीवाल सरकार के शपथग्रहण की तैयारी तेजी से चल रही है. पहले तो शपथ-ग्रहण के न्योते की चर्चा रही, लेकिन अब एक सरकारी फरमान पर विवाद होने लगा है. शपथग्रहण के मौके पर दिल्ली के सरकारी स्कूल के टीचर भी बुलाये गये हैं. बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही ने दिल्ली के स्कूल टीचर को रामलीला मैदान बुलाये जाने के सरकारी फरमान को लेकर अरविंद केजरीवाल को निशाने पर लिया है. विपक्ष इसे भीड़ जुटाने का उपाय बताया है तो सफाई दी जा रही है कि इसका मकसद शिक्षकों को सम्मान देना है. चुनाव प्रचार के दौरान भी अमित शाह (Amit Shah) और अरविंद केजरीवाल में दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था को लेकर कई बार एक दूसरे को निशाना बनया था, लेकिन इस बार AAP की ही तरफ से बवाल को आमंत्रित किया गया है.

आम आदमी पार्टी ने अखबारों में विज्ञापन देकर सभी दिल्लीवालों को बुलाया है - और पार्टी को रामलीला मैदान में भारी भीड़ की अपेक्षा है. अब भीड़ को संभालने के लिए लोगों की जरूरत तो पड़ेगी ही. अगर दिल्ली पुलिस दिल्ली सरकार को रिपोर्ट करती फिर तो कोई बात ही नहीं होती, इसलिए लगता है अरविंद केजरीवाल और उनके साथियों ने शिक्षकों को ही ड्यूटी पर तैनात करने का फैसला किया है.

सरकारी स्कूल टीचर और उनकी ड्यूटी!

16 फरवरी को अरविंद केजरीवाल के शपथग्रहण समारोह में AAP को उम्मीद है कि एक लाख के करीब लोगों की भीड़ पहुंच सकती है. मैदान में ज्यादा से ज्यादा लोग जगह पा सकें इसलिए कुर्सियां सिर्फ 40 हजार ही रखी गयी हैं - और कार्यक्रम देखने में कोई दिक्कत न हो इसलिए जगह जगह स्क्रीन भी लगाये जा रहे हैं ताकि दूर होने की स्थिति में भी लोग सब कुछ लाइव देख सकें.

दिल्ली के सरकारी स्कूल शिक्षकों के एसोसिएशन के 40 हजार सदस्य हैं और कुर्सियां भी उतनी ही हैं. अब अगर सारे शिक्षक कुर्सी पर बैठते हैं तो बाकी सभी को खड़े ही रहना पड़ेगा और ये संभव तो है नहीं. साफ है शिक्षकों की ड्यूटी कारसेवा के लिए ही की गयी है. वैसे इसमें दिल्ली पुलिस के भी जवान होंगे और आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता भी, लेकिन अपेक्षित भीड़ को संभालने के लिए ज्यादा लोगों की जरूरत तो होगी ही. वैसे सरकारी फरमान में अधिकारियों के अलावा हर स्कूल से 20 टीचर ही बुलाए गये हैं.

कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी दिल्ली पुलिस की है, इसलिए अपनी तरफ से तो वो इंतजाम करेगी ही. अगर दिल्ली पुलिस भी दिल्ली सरकार को ही रिपोर्ट कर रही होती तो मनमर्जी से जवानों की ड्यूटी भी लगायी जा सकती थी - लेकिन मौजूदा व्यवस्था में ये तो संभव है नहीं, लिहाजा सरकारी शिक्षकों से ही काम चलाने की कोशिश लग रही है.

अरविंद केजरीवाल वैसे तो पुलिस वालों को अब भी 'ठुल्ला' ही समझते होंगे, जब भी मौका मिलता है, कहते जरूर हैं कि दिल्ली पुलिस को हमारे अंडर में दे दो सब ठीक कर देंगे. ठीक कैसे करेंगे इसके लिए मिसाल भी दिल्ली के सरकारी स्कूल के टीचर ही बनते हैं. दिल्ली चुनाव 2020 के दौरान कई टीवी शो में अरविंद केजरीवाल ने इस पर जोर देते हुए बात भी की. जब भी बात होती यही समझाते कि सरकारी स्कूल भी वही हैं और टीचर भी वहीं हैं, लेकिन सब कुछ बदल गया है - क्योंकि राजनीतिक इमानदारी है. राजनीतक इच्छाशक्ति है. लेकिन तब ये नहीं समझ आ रहा था कि सरकारी स्कूलों के टीचर को अब पुलिसवालों की तरह ड्यूटी लगने वाली है!

सम्मान देने के लिए हाजिरी कब से लगायी जाने लगी?

शपथग्रहण समारोह का न्योता तो अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी भेजा गया है और दिल्ली के सभी बीजेपी सांसदों को भी. साथ में, बीजेपी के टिकट पर जीत कर आये विधायकों को भी - लेकिन सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को जिस तरीके से बुलावा भेजा गया है वो न्योता तो किसी भी हिसाब से नहीं लगता.

दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय की केयर टेकिंग ब्रांच की तरफ से जो सर्कुलर जारी हुआ है, उसमें ये भी बताया गया है कि जब टीचर गेट पर पहुंचेंगे तो उनकी हाजिरी कौन लगाएगा.

भला, सम्मान देने के लिए भेजे गये न्योते में हाजिरी कब से लगायी जाने लगी?

arvind kejriwal, amit shahये है दिल्ली के सरकारी स्कूल शिक्षकों को सम्मान के लिए भेजा गया सर्कुलर

दिल्ली के सरकारी स्कूलों को मिले निर्देश के मुताबिक, बाकी लोगों के अलावा हर स्कूल से कम से कम 20 शिक्षक पहुंचें. ये गेस्ट टीचर ये रेग्युलर कोई भी हो सकते हैं. साथ ही, स्कूलों के प्रिंसिपल, स्कूल मैनेजमेंट कमेटी के कोऑर्डिनेटर, वाइस प्रिंसिपल, हैपीनेस क्लास के संयोजक और मेंटोर कमेटी के सदस्यों के अलावा SCERT के फैकल्टी मेंबर भी ड्यूटी पर लगाये गये हैं. सबको रामलीला मैदान के किसी न किसी गेट पर पहुंचने के लिए कहा गया है.

शपथ ग्रहण के लिए किसी को भी न्योता भेजने में बुराई नहीं है - लेकिन ये न्योता कहां से है, ये तो साफ साफ ड्यूटी का आदेश है. सभी को 10 बजे ड्यूटी पर हाजिर हो जाना है. चुनाव प्रचार के दौरान जब बीजेपी नेता अमित शाह दिल्ली के स्कूलों पर सवाल खड़े किये तो अरविंद केजरीवाल ने कहा कि वो स्कूलों के मुद्दे पर गंदी राजनीति न करें. मीडिया के जरिये केजरीवाल ने दिल्ली सरकार के स्कूल में पढ़ने वाले 16 लाख बच्चों और शिक्षकों से सवाल किया कि अमित शाह के दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था को खराब बताने वाले बयान सुन कर उनको कैसे लगा?

अरविंद केजरीवाल ने अमित शाह से ये भी कहा था कि शिक्षा पर राजनीति करनी है, तो आइए सकारात्मक राजनीति करते हैं. बोले थे, 'हम दिल्ली सरकार के स्कूलों में सुधार कर रहे हैं, आप उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली के नगर निगम के स्कूलों में सुधार कीजिए और फिर आप आकर कहिये कि केजरीवाल आओ मेरे एमसीडी के स्कूल देखो और अपने दिल्ली सरकार के स्कूल देखो.

उसके बाद अमित शाह ने ट्विटर पर एक वीडियो पोस्ट कर अरविंद केजरीवाल की सलाहियत और सवालों का जवाब दिया था.

दिल्ली चुनाव के दौरान भड़काऊ बयानों के लिए चुनाव आयोग की पाबंदी झेल चुके प्रवेश वर्मा ने भी दिल्ली सरकार के न्योता के इरादे पर सवाल उठाया है.

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