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Updated: 23 अक्टूबर, 2015 02:43 PM
मार्कंडेय काटजू
मार्कंडेय काटजू
  @justicekatju
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देश के लगभग सभी राजनेता गुंडा और गैंगस्टर हैं. उन्हें देखकर मुझे अमेरिकन माफिया की याद आती है, अंतर महज इतना है कि अपने नेताओं की अपेक्षा अमेरिका के माफिया छोटी मछली हैं.

अमेरिका के माफिया की तरह ही हमारे नेता भी चोरी-चकारी कर बड़ी मात्रा में धन बटोरने पर अमादा हैं और इसके लिए मेरी शुभकामनाएं उनके साथ है.

बहरहाल मैं अपने नेताओं को एक सलाह देना चाहता हूं. इस सलाह को मानने पर उनका फायदा ही होगा.

20वीं सदी की शुरुआत में शीर्ष अमेरिकी माफियाओं में आपसी कलह और झगड़ा होता था जिसके चलते उनके कारोबार (जैसे शराब बनाना और उसकी बिक्री करना, जिसे अमेरिका में कानून बनाकर प्रतिबंधित कर दिया गया था, जुआं खेलना और खिलाना, वेश्यावृत्ति, रैकेटबाजी, जो कारोबार में जो रोड़ा बने उसका कत्ल करना, ड्रग्स, इत्यादि) को भारी नुकसान पहुंच रहा था.

1931 में एक माफिया लीडर चार्ल्स लकी लूसियानो (गूगल करें) ने एक बेहद प्रभावशाली विचार रखा. उसने अन्य माफिया लीडर्स से कहा कि उनकी आपस की लड़ाई उनके कारोबार के लिए ठीक नहीं है. लूसियानो ने एक संस्था ‘कमीशन’ (गूगल करें) गठित करने का प्रस्ताव रखा जिसमें देश के शीर्ष माफिया परिवारों को जगह दी जाएगी और उनका काम आपसी विवादों को शांतिपूर्ण तरीके से हल करना होगा.

लिहाजा, मैं भी देश के नेताओं के लिए एक ऐसी ही संस्था गठित करने का प्रस्ताव रखता हूं.

मौजूदा समय में अपने नेताओं का अधिकांश समय अपसी लड़ाई में जाया हो रहा है. इससे उनके कारोबार (जैसे देश को लूटना, समाज को जाति और धर्म के आधार पर बांटना, इत्यादि) का नुकसान हो रहा है.

हमारे नेताओं को यह ‘कमीशन’ बना लेना चाहिए (इसकी मेंबरशिप और तौर-तरीकों पर काम मूल सहमति होने के बाद किया जा सकता है). इसके गठन के बाद आपसी विवाद को शांतिपूर्ण ढंग से और पूरी गोपनीयता के साथ आम अदमी की नजरों से दूर हल किया जा सकेगा. इस कमीशन के पास (अमेरिकी माफिया की तर्ज पर) उन असुविधाजनक नेताओं और अन्य सामाजिक व्यक्तियों(जैसे मैं..) जो ज्यादा तर्कसंगत बात करते हैं, को रास्ते से हटाने का अधिकार भी होना चाहिए.

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लेखक

मार्कंडेय काटजू मार्कंडेय काटजू @justicekatju

लेखक सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस एवं प्रेस कॉउन्सिल ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष हैं

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