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Updated: 18 दिसम्बर, 2018 05:37 PM
आलोक रंजन
आलोक रंजन
  @alok.ranjan.92754
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जम्मू कश्मीर की वादियां इन दिनों संकट से गुजर रही हैं. आतंकी घाटी में हालात बिगड़ने का कोई भी मौका नहीं जाने देना चाहते हैं. कुछ दिन पहले ही तीन आतंकियों के एनकाउंटर के साथ-साथ पत्थरबाजों की मौत पर कश्मीर में स्थिति खराब हुई है. पुलवामा के कई इलाकों में कर्फ्यू है. इंटरनेट सेवाएं बंद हैं, सड़कों पर सैनिक गश्त लगाते हुए दिख रहे हैं. इन सबके बीच पाकिस्तान में बैठे आतकियों के आका हाफिज सईद भी कश्मीर में माहौल बिगड़ने के लिए नौजवानों को उकसाने वाले वीडियो जारी कर रहा है. कश्मीर के दुश्मन कभी भी घाटी में अमन-शांति नहीं देखना चाहते हैं.

kashmir stone peltingतीन आतंकियों के एनकाउंटर और पत्थरबाजों की मौत पर कश्मीर में माहौल खराब

15 दिसंबर को सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच हुए एनकाउंटर के बाद से पुलवामा में तनाव का माहौल है. सुरक्षाबलों और स्थानीय लोगों के बीच हुए संघर्ष में सात स्थानीय लोगों की मौत हो गई थी. पुलवामा में सुरक्षाबलों ने आतंकियों को घेर लिया था. दोनों ओर से हुई फायरिंग में सुरक्षाबलों ने हिज्बुल कमांडर जहूर ठोकर को उसके दो साथियों के साथ मार गिराया गया. इस दौरान एक जवान शहीद हो गया. इस ऑपरेशन के दौरान ही सुरक्षाबलों और स्थानीय लोगों के बीच संघर्ष और पत्थरबाजी हुई. सुरक्षाबलों की ओर से अपने बचाव में की गई कार्रवाई के दौरान सात पत्थरबाज मारे गए. इन पत्थरबाजों की मौत के बाद कश्मीर में राजनीति करने वाली पार्टियां सक्रीय हो गईं. पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने इसे नरसंहार तक कह दिया है, तो महबूबा मुफ्ती ये नसीहत देती फिर रही हैं कि अपने लोगों को मारकर युद्ध नहीं जीता जा सकता.

17 दिसंबर को कश्मीर में अलगाववादियों ने विरोध जताने के लिए विरोध मार्च करने का प्लान बनाया था लेकिन पाबंदियों की वजह से सेना के चिनार कॉर्प्स मुख्यालय तक होने वाला अलगाववादियों का विरोध मार्च विफल रहा. प्रशासन ने श्रीनगर में प्रतिबंध लगा दिया था और साथ ही जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के अध्यक्ष यासीन मलिक को हिरासत में भी ले लिया गया था.

राज्य सरकार के अनुसार 2018 में करीब 759 केस पथरबाजों के खिलाफ दर्ज कराया जा चुका हैं. 2017 में कुल 1261 पथरबाजी की घटनाएं हुई थीं तो 2016 और 2015 में क्रमशः 2808 और 730 घटनाएं रिकॉर्ड की गयी थीं.

kashmir stone peltingपत्थरबाज आतंकियों को बचाने के लिए सुरक्षाबलों पर पथराव करते हैं

कई लोगों के मन में ये सवाल जरूर उठता है कि क्या ये पत्थरबाज निर्दोष नागरिक हैं या फिर इन्हें भी आतंकी के श्रेणी में रखना चाहिए. अगर हाल के वर्षो में देखें या कहें कि 2016 में हिज़्बुल कमांडर बुरहान वानी के मौत के बाद, ये पत्थरबाज आतंकियों को बचाने के लिए सुरक्षाबलों पर पथराव करने के साथ ही उनके सुरक्षा घेरे को तोड़ने की कोशिश करते हैं. कई घटनाओं में उन्होंने जवानों के हथियार छीनने की भी कोशिश की है. लाठीचार्ज, आंसू गैस और पैलेट गन के इस्तेमाल के बाद भी जब बात नहीं बनती तब अंतिम अस्त्र के रूप में गोली चलानी पड़ती है.

किसी से ये बात नहीं छुपी है कि घाटी में पत्थरबाजी एक धंधा बन गया है, जिसे अलगाववादी और पाकिस्तान में बैठे शीर्ष आका अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करते हैं. हमें इसपर भी गौर करना चाहिए कि धीरे-धीरे ये आतंकियों को बचाने का हिंसक तरीका अख्तियार कर चुका है. राष्ट्रीय सुरक्षा से कभी समझौता नहीं किया जा सकता और जो इन पथरबाजों से सहानुभूति रखते हैं उन्हें इस गंभीर स्थिति पर जरूर ध्यान देना चाहिए.

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लेखक

आलोक रंजन आलोक रंजन @alok.ranjan.92754

लेखक आज तक में सीनियर प्रोड्यूसर हैं.

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