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Updated: 04 जुलाई, 2020 09:16 PM
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दिन 2-3 जुलाई. स्थान- उत्तर प्रदेश स्थित कानपुर के बिठूर इलाके का बिकरू गांव. विकास दुबे नामक हिस्ट्रीशीटर और शातिर अपराधी को पुलिस मर्डर के एक आरोप में गिरफ्तार करने पहुंचती है. गांव में घुसते ही पुलिस बलों को बीच सड़क पर एक जेसीबी रास्ते रोके खड़ी दिखती है. पुलिस जब तक इस माजरे को समझ पाती, तब तक ऊपर छतों से विकास दुबे के गुर्गे अंधाधुंध फायरिंग करने लगते हैं. इस घटना में सीओ देवेंद्र कुमार मिश्रा, एसओ महेश यादव, चौकी इंचार्ज अनूप कुमार, सब इंस्पेक्टर नेबुलाल और कॉन्स्टेबल सुल्तान सिंह, राहुल, जितेंद्र और बल्लू शहीद हो जाते हैं. अपराधी इन पुलिसकर्मियों से एके-47 राइफल, इंसास राइफल और पिस्टल समेत गोलियां भी छीनकर ले जाते हैं.

सुबह हाते ही राजनीति अपना रंग दिखाने लगती है. कानपुर एनकाउंटर की घटना को लेकर योगी सरकार को ‘रोगी सरकार’ और उत्तर प्रदेश को ‘हत्या प्रदेश’ जैसे नाम दिए जाने लगते हैं. कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी समेत सभी विपक्षी दल प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी पर पिल पड़ते हैं. इन सबके बीच जानना जरूरी है कि मर्डर, अपहरण, फिरौती, लूटपाट के 60 से ज्यादा संगीन मामलों का आरोपी ये विकास दुबे है कौन और इसका क्या आपराधिक, सामाजिक और राजनीतिक इतिहास है? साथ ही इसे 30 वर्षों से राजनीतिक संरक्षण देने वाले नेता किस-किस पार्टी से हैं.

हत्या, अपहरण, लूटपाठ, अवैध कब्जे की दुनिया विकास दुबे की

आज जब उत्तर प्रदेश के कानपुर में 8 पुलिसकर्मियों की हत्या और कई अन्य पुलिसकर्मियों पर अंधाधुंध गोलियां बरसाकर घायल किए जाने की खबर आती है तो उसके साथ ही एक नाम भी उभरकर आता है, जिससे सेंट्रल यूपी स्थित कानपुर और उसके आसपास के जिलों के लोग खौफ खाते हैं और वह राजधानी लखनऊ स्थित प्रदेश के प्रधान नेताओं की नाक तले जुर्म का रक्तरंजित खेल खेलता रहता है. गुनाह और दरिंदगी की इसी पहचान का नाम है- विकास दुबे. बीते 30 वर्षों से ज्यादा समय से कानपुर और पास के जिलों में विकास दुबे का खौफ है और आए दिन रसूखदार लोगों की हत्या के पीछे विकास दुबे का ही नाम आता है. विकास दुबे कई बार जेल गया, लेकिन उसका खौफ इतना है कि कोई सबूत मजबूती से खड़ा ही नहीं हो पाया. न प्रशासन के लोग, न जनता और न ही किसी और ने डर के मारे विकास दुबे के बारे में कुछ बोला. यह सब काफी फिल्मी लगता है न? पर हकीकत है यह. आगे सुनिए कि विकास दुबे ने बीते 20 साल से ज्यादा समय में क्या-क्या किया और किस तरह वह कानपुर का ऐसा चेहरा बना, जिसके डर से पत्ते भी कांपते हैं.

बसपा के सरकार में फला-फूला और अब तक बढ़ रहा

विकास दुबे की सबसे खास बात ये है कि वह मायावती की बसपा सरकार के समय फला-फूला और आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देते हुए खूब पैसे भी बनाए. इसके बाद जब समाजवादी पार्टी की सरकार आई, तो उसमें भी वह किसी न किसी सत्ताधारी नेता के संपर्क में रहकर खुद को बचाता रहा. अब जबकि प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की बीजेपी की सरकार है तो वह इस सरकार के साथ भी मेलजोल बढ़ाने की कोशिश करता पाया गया है, लेकिन इन कोशिशों में वह सफल नहीं हो पाया है. राजनीतिक साठगांठ बनाने की कोशिशों के साथ ही वह कानपुर और आसपास के इलाकों में अपना बर्चस्व भी बढ़ाता रहा है. जमीन की खरीद-फरोख्त हो, अवैध कब्जा हो या छिनैती समेत पैसे के लिए किसी का मर्डर करना, हर काम वह आसानी से करता गया और सबूत के अभाव में बचता गया. लोग डर के मारे उसके खिलाफ बयान ही नहीं देते. उसके डर का आलम ऐसा है कि लोग अपने छोटे-बड़े झगड़े को सुलझाने के लिए पुलिस की बजाय विकास दुबे के पास जाना चाहते हैं. ऐसे में पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी रह जाती है.

क्या अपने रिश्तेदारों की हत्या का बदला लिया?

हाल में ही कानपुर में हुए एक मर्डर के आरोप विकास दुबे पर लगे थे और पुलिस में उसके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई थी. इसी सिलसिले में पुलिस विकास को अरेस्ट करने उसके गांव बिकरू गई थी. लेकिन वहां जिस तरह से विकास ने पुलिसकर्मियों को घेर कर मारा, उसके बाद प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार काफी सकते में है. इससे पहले विकास के दो करीबी रिश्तेदारों को बीते दिनों अलग-अलग पुलिसिया कार्रवाई में मार गिराया गया था, जिससे विकास बौखलाया हुआ था और इसी बौखलाहट में उसने 8 पुलिसकर्मियों की जान ले ली. पुलिसकर्मियों की हत्या कर विकास अपने गुर्गों संग फरार हो गया है. यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने तत्काल बैठक बुलाकर पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वह जल्द से जल्द विकास दुबे को धर दबोचे. लेकिन इन सबके बीच 8 पुलिसकर्मियों की शहादत ने योगी सरकार के शासन पर कलंक लगा दिया है. यूपी के डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी ने साफ कहा है कि किसी भी अपराधी को छोड़ा नहीं जाएगा.

साल 2000 के बाद का रक्तरंजित काल

साल 1990 का दशक था. विकास दुबे छोटी-मोटी आपराधिक घटनाओं को अंजाम देकर कानपुर के लोगों की नजर में आ रहा था. प्रदेश में मायावती की बसपा सरकार सत्तासीन थी. विकास दुबे कानपुर के कुछ विधायकों के संपर्क में आया और उनके लिए छिनैती, लूटपाट, अवैध कब्जा जैसे छोटे-मोटे आपराधिक वारदातों को अंजाम देकर खास बनता गया. प्रदेश में कल्याण सिंह की सरकार बनी तो बीजेपी विधायकों के संपर्क में भी आया और अपने डर का कारोबार करता रहा. दरअसल, विकास कुछ काम नेताओं के कर देता था और उनके करीब चला जाता था. फिर क्या, लखनऊ तक पहुंच बन जाती थी और कोई उसका बाल बांका नहीं कर पाता था. साल 2001 में विकास दुबे ने बड़ी वारदात को अंजाम दिया. विकास दुबे ने कानपुर से शिवली पुलिस थाना इलाके स्थित ताराचंद इंटर कॉलेज में असिस्टेंट मैनेजर पद पर तैनात सिद्धेश्वर पांडे की हत्या कर दी. इस घटना ने विकास दुबे को रातों-रात सबकी नजर में ला दिया. इसके बाद तो जैसे विकास कानपुर में अपराध की दुनिया का बेताज बादशाह बनने लगा. विकास ने उसी साल जेल में रहते हुए ही रामबाबू यादव नामक शख्स की हत्या करवा दी.

साल 2001 में थाने में घुसकर बीजेपी मंत्री का हत्या की

साल 2001 में जब प्रदेश में राजनाथ सिंह के नेतृत्व में बीजेपी सत्ता में थी तो विकास दुबे ने संतोष शुक्ला नामक मंत्री स्तर के एक बीजेपी नेता की थाने में घुसकर दिनदहाड़े हत्या कर दी. इस घटना में 2 पुलिसकर्मी भी शहीद हो गए थे. इस हत्याकांड के बाद विकास दुबे पूरे प्रदेश में छा गया और उसका खौफ इतना बढ़ा कि उसकी तूती बोलने लगी. इस हत्याकांड में विकास को गिरफ्तार तो किया गया, लेकिन किसी भी पुलिसकर्मी या अन्य लोगों ने उसके खिलाफ बयान नहीं दिया, जिसकी वजह से उसे रिहा कर दिया गया. मंत्री स्तर के बीजेपी नेता की हत्या के बाद भी जब किसी का कुछ न हो तो मनोबल बढ़ता ही है. इसके बाद विकास दुबे ने साल 2004 में कानपुर के केबल व्यवसायी दिनेश दुबे की हत्या करवा दी. प्रदेश में जिस भी पार्टी की सरकार हो, विकास दुबे के किसी न किसी बड़े नेता से संबंध रहे और इसकी वजह से वह हर कांड के बाद बचता गया. विकास दुबे ने बाद में बीएसपी से जुड़ पंचायत स्तरीय चुनाव लड़ा और लंबे समय से वह या उसकी फैमिली में से कोई पंचायत चुनाव जीतता आ रहा है.

विकास दुबे का होगा एनकाउंटर?

विकास दुबे ने 2 साल पहले जेल में रहते हुए अपने चचेरे भाई अनुराग पर जानलेवा हमला करवाया, जिसके बाद अनुराग ने पुलिस में एफआईआर दर्ज करवाई थी. विकास चाहे बाहर रहे या जेल में, हर तरह से वह आपराधिक वारदातों को अंजाम देता आ रहा है और उसे राजनीतिक संरक्षण मिलता रहा है. हर पार्टी ने उसे राजनीतिक संरक्षण दिया और इससे विकास का इतना मन बढ़ गया कि उसने आज 8 पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी. विकास के अपराधों का घड़ा बढ़ा है या नहीं, ये तो आने वाले समय में ही पता चलेगा. इस बीच यूपी को योगी सरकार ने अपने एनकाउंटर स्पेशलिस्टों को विकास के पीछे लगा दिया है. उम्मीद है कि विकास जैसे अपराधियों को उसके कृत्यों की सजा मिले और 8 पुलिसकर्मियों की शहादत व्यर्थ न जाए.

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