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Updated: 10 मार्च, 2020 07:29 PM
आईचौक
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हां तो भइया सभी सवा सौ करोड़ देशवासियों को होली (Holi) की हार्दिक शुभकामनाएं और इनमें भी जो मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के लोग हैं. उनको और ज्यादा शुभकामनाएं. एक ऐसे वक़्त में जब पूरा देश कोरोनावायरस (Coronavirus) के कारण मची गफलत के चलते फिक्रमंद हो. मध्य प्रदेश वालों की टेंशन का लेवल ही अलग है. एमपी में ज़बरदस्त सियासी घमासान मचा है. ज्योतिरादित्य सिंधिया (jyotiraditya Scindia) बागी 3 (Baaghi 3) के रॉनी बन गए हैं. अमित शाह (Amit Shah) से मिलने के बाद उनकी जिंदगी का एक ही मकसद है, मध्य प्रदेश में भाजपा (BJP) के अच्छे दिन लाना. मध्य प्रदेश भाजपा से जुड़े नेता और कार्यकर्ता बड़ी उम्मीद के साथ उनकी तरफ़ टकटकी लगाए देख रहे हैं. भाजपा खेमे को पूरा यकीन है कि होली के कारण सुबह गुझिया खाई थी. सब सही रहा तो शाम को इसी भाई की बदौलत मटन और मटर पुलाव खाने का मजा दोगुना हो जाएगा. बता दें कि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस (Congress) से इस्तीफा दे दिया. कहीं कोई चूक न हो जाए इसलिए उन्होंने इस्तीफ़े की कॉपी ट्विटर (Twitter) पर डाल दी है. सिंधिया जानते हैं कि राहुल गांधी (Rahul Gandhi) कहीं हों न हों ट्विटर पर होंगे और देख लेंगे.

अच्छा इस्तीफ़े को लेकर दिलचस्प बात ये है कि इसमें तारीख 9 मार्च दर्ज है. यानी ज्योतिरादित्य फैसला पहले ही कर चुके थे कि, 'अगर जिंदा हो तो जिंदा नज़र आना ज़रूरी है.'

मध्य प्रदेश में मैटर सीरियस है तो आलोचना और प्रतिक्रिया का आना भी स्वाभाविक है. सिंधिया के फैसले पर मध्य प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अरुण यादव ने सिंधिया पर तंज कसा है. यादव ने स्वतंत्रता संग्राम का जिक्र करते हुए कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के समय उनके खानदान ने अंग्रेजों का साथ दिया था.

अरुण यादव जानते हैं कि सिंधिया के जाने से उनकी राह का रोड़ा हट गया है. उनके बुरे दिन अच्छे दिनों में तब्दील हो गए हैं तो अब जितना लिखो फायदा ही है. राहुल गांधी की नज़रों में आ सकें इसलिए यादव ने ये तक लिख दिया कि ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा अपनाए गए चरित्र को लेकर मुझे ज़रा भी अफसोस नहीं है. सिंधिया खानदान ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भी जिस अंग्रेज हुकूमत और उनका साथ देने वाली विचारधारा की पंक्ति में खड़े होकर उनकी मदद की थी

ध्यान रहे कि मध्यप्रदेश का ये सियासी नाटक होली पर हुआ है. होली मिलन का त्योहार है. जैसे इस त्योहार पर सिंधिया ने कमलनाथ और कांग्रेस पार्टी से अपना पिंड छुड़ाया है. साफ़ हो गया है कि सिंधिया भी इस बात को जानते थे कि यूं भी सरकार पांच साल नहीं टिकनी. एक न एक दिन गिर जाएगी तो पहले ही कुछ तूफानी कर लो. साथी बाग़ी विधायकों को लेकर निकल गए बैंगलोर इधर कमलनाथ और राहुल गांधी दोनों की गुझिया में पड़े खोये में कंकड़ आ गया.

एमपी की पॉलिटिक्स सिर्फ एमपी तक सीमित नहीं है. पूरा देश इसपर टकटकी लगाए देख रहा है. कहा तो ये तक जा रहा है कि ज्योतिरादित्य इसके लिए कोई और दिन भी चुन सकते थे मगर उन्होंने होली का दिन सिर्फ इसलिए चुना क्योंकि इस दिन कोई बुरा नहीं मानता. राहुल गांधी और सोनिया गांधी भी नहीं मानेंगे.

राहुल गांधी संत आदमी है कर्नाटक में उन्होंने संतोष कर लिया था एमपी में भी कर लेंगे. रही बात सोनिया गांधी की तो वो बेचारी क्या ही करें. वो कहावत है न बोया पेड़ बबूल का... जो हो गया सो गया. यूं भी होनी को कौन टाल सकता है.

एमपी की राजनीति का ये नाटक ट्विटर पर भी लोगों की जुबान पर है. देश के अन्य राज्यों के भाजपा समर्थक मामले को लेकर इतना ज्यादा उत्साहित हैं कि यही कहते पाए जा रहे हैं कि ये सब कलयुग के चाणक्य अमित शाह कि कूटनीति की बदौलत हुआ है. आम लोग तो यहां तक कह रहे हैं कि होली पर ये सब इसलिए हुआ क्योंकि शाह को होली रंगों से नहीं बल्कि सरकारों से खेलनी थी.

ट्विटर पर ऐसे लोगों की भी एक बड़ी संख्या है जिनका मानना है कि आज जाकर इंसाफ हुआ. लम्बे समय से कांग्रेस पार्टी ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को न उनके हक से महरूम रखा.

ट्विटर पर एक से एक कलाकार लोग हैं जो मौका कोई भी हो अपना मनोरंजन नहीं छोड़ते. लोगों ने ट्वीट करने कहना शुरू कर दिया है कि इसके बाद अगला नंबर राजस्थान में अशोक गहलोत का है. ध्यान रहे कि राजस्थान में भी अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच कोल्ड वर चल रही है और वहां के हालात भी मध्य प्रदेश से मिलते जुलते हैं.

कहावत है कि एक तस्वीर हज़ार शब्दों के बराबर होती है. तस्वीर देख लीजिये बात समझने में आसानी होगी.

एमपी कांग्रेस कि जो हालत हुई है उसका जिम्मेदार राहुल गांधी को माना जा रहा है. कहा जा रहा है कि अगर राहुल गांधी सूझ बूझ से काम लेते तो आज स्थिति दूसरी होती.

बहरहाल, अब जबकि ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस छोड़कर भाजपा के खेमे में जा चुके हैं तो कहा यही जा सकता है कि शायद मध्यप्रदेश में दिग्विजय सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमलनाथ के बीच इस बात की होड़ थी कि होली पर राहुल गांधी के मुंह पर काला रंग पहले कौन पोतेगा? ज्योतिरादित्य, एमपी के किसी आम भाजपा समर्थक के लिए बाबा भारती. दिग्विजय सिंह और कमलनाथ के लिए खड़ग सिंह... आए और घोड़ा खोलकर चले गए.

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