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Updated: 14 सितम्बर, 2016 07:04 PM
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ट्विटर पर खासे सक्रिय अमिताभ बच्चन को एक हजार से ज्यादा पोस्टकार्ड भेजे गये हैं. टैगलाइन है - 'बदबू गुजरात की'. बतौर गुजरात पर्यटन के ब्रांड अंबेसडर अमिताभ बच्चन एक विज्ञापन में कहते रहे हैं - '...कुछ दिन तो गुजारिये गुजरात में.' ऊना में दलितों की पिटाई के बाद जिग्नेश मेवाणी की अगुवाई में राज्य में आंदोलन चल रहा है.

मेवाणी का सपना

ऊना दलित अत्याचार संघर्ष समिति के प्रमुख जिग्नेश मेवाणी ने अपनी फेसबुक पोस्ट में लिखा है, "मुझे सपना आया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा में टेबल उछाले जाएंगे."

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मेवाणी का पोस्ट बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की उस सभा की ओर इशारा कर रहा है जिसमें कुछ पाटीदार नौजवानों ने घुस कर खूब बवाल किया. इतना हंगामा हुआ कि अमित शाह को बहुत ही कम वक्त में अपना कार्यक्रम खत्म कर वापस होना पड़ा. दिलचस्प बात ये रही कि ये वाकया तब हुआ जब मंच पर गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी सहित तमाम दिग्गज मौजूद थे.

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दलितों का जमावड़ा...

जिग्नेश का कहना है कि गुजरात पुलिस ने फिर वही किया. बीजेपी और संघ परिवार ने जहां सामाजिक समरसता कार्यक्रम किया वहां हमें इजाजत नहीं मिली. अब जो भी हो देखा जाएगा.

अपनी पोस्ट में मेवाणी आगे लिखते हैं, "...भाई सपना तो सपना है आ भी सकता है."

बदबू गुजरात की

ऊना में जश्ने आजादी के दौरान जिग्नेश मेवाणी ने करीब दस हजार दलितों को शपथ दिलाई थी कि वे मरे हुए जानवरों को न उठाएं. उन्होंने दलितों के लिए पांच एकड़ जमीन और रोजगार के वैकल्पिक उपाय की मांग रखी थी. उसी दिन संघर्ष समिति की ओर से सरकार को एक महीने का अल्टीमेटम भी दिया गया था.

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जुग जियो मेरे लाल...

15 सितंबर को इसकी डेडलाइन खत्म हो रही है - और उसके अगले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अहमदाबाद पहुंच रहे हैं जहां राज भवन में रात्रि विश्राम करेंगे. 17 सितंबर को अपने जन्म दिन पर मोदी अपनी मां से आशीर्वाद लेने जाएंगे - और शाम को नवसारी में दिव्यांगों को किट भेंट करेंगे. प्रशासन 11 हजार दिव्यांगों को जुटाने की कोशिश में है ताकि गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में इवेंट दर्ज हो सके.

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जिग्नेश ने अमित शाह की तरह मोदी के कार्यक्रम के विरोध के भी संकेत दिये हैं. समिति ने कह रखा है कि अगर मांगें पूरी नहीं हुईं तो रेल रोको आंदोलन चलाया जाएगा.

दलितों की ओर से भेजे गये पोस्टकार्ड पर उन्होंने ने लिखा है - 'मोदी जी के कहने पर आपने खुशबू गुजरात की देखी. अब हमने मृत पशुओं की खाल निकालने का काम छोड़ दिया है. इसलिए कुछ दिन तो गुजारिए गुजरात में और देखिए बदबू गुजरात की.'

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