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Updated: 10 अगस्त, 2017 07:54 PM
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JDU में U का अर्थ यूनाइटेड है, लेकिन लगता नहीं कि अब इसका कोई मतलब रहने वाला है. बगावत पर उतर आये शरद यादव जेडीयू दो हिस्सों में बंटा हुआ बताने लगे हैं. शरद यादव की मानें तो जेडीयू में पहले ही दो टुकड़े हो चुके हैं जिनमें एक 'जनता दल सरकारी' है और दूसरा 'जनता दल यूनाइटेड'.

दिल्ली से लौटे शरद यादव फिलहाल तीन दिन के तूफानी बिहार दौरे पर हैं - और घूम घूम कर लोगों को समझा रहे हैं कि कैसे नीतीश कुमार ने सबको धोखा दे दिया.

जेडीयू के दो टुकड़े?

अब तक लालू प्रसाद ये तो दावा कर ही रहे थे कि शरद यादव उनके साथ होंगे, जब वो पटना पहुंचे तो आरजेडी के कार्यकर्ताओं ने उनका भरपूर स्वागत किया. शरद यादव ने अपने तीन दिन के कार्यक्रम का ऐलान पहले ही कर दिया था और नाम दिया - 'बिहार की जनता से सीधा संवाद कार्यक्रम'.

जब वो सोनपुर पहुंचे समर्थक पहले से ही जुटे हुए थे. आयोजन भी आरजेडी की तरफ से ही बताया गया. मंच पर पहले से ही ज्यादा समर्थक थे और शरद यादव के पहुंचते ही और पहुंच गये और मंच टूट गया.

sharad yadav'यूनाइटेड' हूं मैं, वो सरकारी...

टूटे हुए मंच से ही शरद यादव ने नीतीश पर धावा बोला, "बिहार के जनादेश का अपमान हुआ है. महज 8 घंटे के भीतर ही जनादेश को पलट दिया गया."

जोश से भरपूर नजर आ रहे समर्थकों को शरद यादव ने भरोसा भी दिलाया, "जनता का विश्वास को तोड़ा गया है, मैं सड़क पर लड़ूंगा."

फिर उन्होंने समझाया कि किस तरह जेडीयू के दो टुकड़े हो चुके हैं, "एक सरकारी जनता दल है, जिसे नीतीश कुमार चला रहे हैं और मैं जनता दल यूनाइटेड में हूं, जिसके साथ बिहार की जनता है."

तीन दिन की इस यात्रा के बाद शरद यादव दिल्ली में 17 अगस्त को ‘सहज विरासत बचाओ सम्मेलन’ करने जा रहे हैं. खास बात ये है कि ये सम्मेलन जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी से ठीक दो दिन पहले बुलाया गया है जिसमें विपक्ष के नेताओं के अलावा कुछ दलित और अल्पसंख्यक नेताओं के शामिल होने की भी संभावना जतायी जा रही है.

जेडीयू का एक्शन

शरद यादव की बिहार यात्रा और सम्मेलन पर जेडीयू को कड़ा ऐतराज है और पार्टी ने उसे आधिकारिक स्तर पर खारिज कर दिया है. जेडीयू के प्रवक्ता केसी त्यागी ने 'आज तक' से इस पर बातचीत में कहा कि शरद यादव को 19 तारीख तक संयम बरतना चाहिए और मर्यादा में रहना चाहिए. जेडीयू प्रवक्ता ने शरद यादव और लालू प्रसाद यादव के बीच साठ-गांठ का भी आरोप लगाया. त्यागी का कहना है कि शरद यादव जिस रास्ते पर चले हैं, उस अंधेरी राह में उन्हें लालटेन का साथ मिला हुआ है.

खबर तो यही आई थी कि जेडीयू शरद यादव को बाहर का रास्ता दिखा सकती है, लेकिन त्यागी ने इससे इंकार किया. उनका कहना था कि न तो ऐसा कोई विचार हुआ है और न ही पार्टी में कोई बंटवारा होने जा रहा है.

एक्शन के कारण

वैसे शरद यादव के रुख से ऐसा नहीं लगता कि वो पार्टी की बात मानने वाले हैं. फिर तो ये भी मान कर चलना चाहिये कि शरद यादव के खिलाफ जेडीयू का एक्शन तकरीबन तय ही है - और इसके मजबूत आधार भी हैं.

1. जेडीयू की इजाजत के बगैर शरद यादव बिहार यात्रा कर रहे हैं और दिल्ली में सम्मेलन बुलाया है.

2. शरद यादव ने पार्टी लाइन से अलग हट कर कांग्रेस नेता अहमद पटेल की राज्य सभा चुनाव में जीत पर बधाई दी है.

3. गुजरात के राज्यसभा चुनाव में अहमद पटेल के पक्ष में वोट डालने का दावा करने वाले जेडीयू के एकमात्र विधायक छोटूभाई वसावा का भी शरद यादव ने समर्थन किया था.

4. संसद मे जब कांग्रेस ने नोटों की छपाई को लेकर मोदी सरकार को घेरा तो शरद यादव विपक्षी खेमे में रहे.

एक बात जरूर सामने आई है कि जेडीयू में राज्य सभा में पार्टी का नया नेता चुनने पर विचार जरूर चल रहा है. अगर ऐसा कुछ होता है तो शरद यादव को राज्य सभा की सदस्यता से भी हाथ धोना पड़ सकता है. मुमकिन है ऐसा होने पर लालू प्रसाद उन्हें राज्य सभा में भेजने का वादा कर रखे हों जैसे उन्होंने मायावती को ऑफर किया था.

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