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Updated: 08 अप्रिल, 2016 03:35 PM
राहुल मिश्र
राहुल मिश्र
  @rmisra
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भारत और वेस्टइंडीज के बीच टी-20 विश्वकप का सेमीफाइनल मुकाबला हुआ. इस मैच के नतीजे पर एनआईटी श्रीनगर में कश्मीरी और गैर-कश्मीरी छात्रों के बीच भी मुकाबला हुआ. दोनों ही मुकाबलों में नतीजा एक जैसा रहा- टीम इंडिया के गेंदबाजों की वेस्टइंडीज के बल्लेबाजों ने जमकर पिटाई की और गैर-कश्मीरी छात्रों की कैंपस के अंदर कश्मीरी छात्रों और पुलिस द्वारा जमकर पिटाई की गई.

बीते तीन दशकों से जम्मू-कश्मीर की यही राजनीति रही है. इसी राजनीति के तहत कश्मीरी पंडितों को वहां से पलायन करना पड़ा. जो इस राजनीति के सामने अड़े रहे तो उन्हें आतंकवादियों की एक-47 और हैंड ग्रेनेड ने पीछे ढकेल दिया. अब एक बार फिर जम्मू-कश्मीर की यही राजनीति रंग ला रही है और इस बार उनके निशाने पर गैर-कश्मीरी छात्र हैं.

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एनआईटी श्रीनगर

गौरतलब है कि श्रीनगर स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलोजी में बड़ी संख्या में अन्य राज्यों के छात्र इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के लिए पहुंचते हैं. आमतौर पर बाहर से आने वाले छात्र अपने लोकतांत्रिक अधिकारों को भुलाकर जल्द से जल्द यहां से अपनी पढ़ाई पूरी करने की कोशिश में रहते हैं. क्योंकि पाकिस्तान के पक्ष में नारा श्रीनगर में कहीं भी सुनाई दे सकता है. पाकिस्तान का झंडा किसी भी छत पर लहरता दिखाई देना आम बात है. ऐसे में भारत के तिरंगे को लहराना, भारत माता की जय बोलना या फिर पाकिस्तान मुर्दाबाद का नारा लगाना यकीनन आपको मुश्किल में डाल सकता है.

भारत और वेस्टइंडीज मुकाबले के दिन 31 मार्च को एनआईटी श्रीनगर के कैंपस में भी कुछ ऐसे ही आम नजारे देखने को मिले. भारत को वेस्टइंडीज के हाथों करारी हार का सामना करना पड़ा था लिहाजा कैंपस में खुशी और जश्न का माहौल था. पटाखे फोड़े गए, लाल चौक से बिरयानी मंगाई गई और पाकिस्तान के झंडे को जश्न मनाती भीड़ ने बुलंद किया. इस खुशी में कश्मीरी छात्रों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया.

इस बीच इसी कैंपस में जम्मू-कश्मीर के अलावा अन्य राज्यों से लगभग 1500 छात्र इस जश्न को देखकर स्तब्ध रह गए. उन्होंने इंस्टीट्यूट के सुरक्षा गार्डों के सामने ऐसे जश्न पर आपत्ति‍ दर्ज कराई. उनकी यह आपत्ति‍ इस एनआईटी या फिर श्रीनगर के किसी अन्य कॉलेज या युनीवर्सिटी के लिए आम बात नहीं थी. नतीजा यह हुआ कि पूरा कैंपस दो गुटों में बट गया- कश्मीरी और गैर-कश्मीरी. भारत की हार पर जश्न के बाद कश्मीरी गुट के छात्रों ने अन्य राज्यों से आए कुछ छात्रों को महज इसलिए पीट दिया कि वे भारत की हार के जश्न में शरीक नहीं हुए और उसपर आपत्ति दर्ज करा दी.

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एनआईटी श्रीनगर

अगले दिन 1 मार्च को जश्न और विरोध का सिलसिला जारी रहा. कश्मीरी छात्र जश्न मनाते रहे और गैर-कश्मीरी छात्रों ने प्रतिशोध में भारत माता की जय का नारा बुलंद किया और राष्ट्रीय तिरंगे को फहराने की कोशिश की. इस कैंपस में पाकिस्तान मुर्दाबाद और भारत जिंदाबाद का नारा बुलंद हुआ. इसके साथ ही दोनों गुटों में टकरार गहरा गई, कश्मीरी छात्रों को कैंपस के बाहर से मदद मिलने लगी और जम्मू-कश्मीर पुलिस को कैंपस में घुसकर लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले दागने पड़े. माहौल बेकाबू होता देख प्रशाषन ने कैंपस को बंद करने का आदेश दे दिया लेकिन गैर-कश्मीरी छात्रों के लिए स्थिति जस की तस बनी रही. डर के इस माहौल के बीच बड़ी संख्या में छात्रों ने अपने-अपने गृह राज्य लौटने की तैयारी कर ली. उन्हें पहले तो प्रशाषन ने समझाने की तमाम कोशिश की लेकिन फिर भी वे नहीं माने तो एक बार फिर पुलिस और सुरक्षाकर्मियों ने लाठीचार्ज का सहारा लेते हुए कैंपस में रहने के लिए मजबूर कर दिया.

स्थिति को बेकाबू होते देख केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने नव नियुक्त मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती से संपर्क साधा. कैंपस में गैर-कश्मीरी छात्रों को सुरक्षित महसूस कराने के लिए केन्द्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स लगाई जा चुकी है. गौरतलब है कि महज दो दिनों पहले पीडीपी को समर्थन देकर कर बीजेपी ने राज्य में साक्षा सरकार बनवाई है. लिहाजा, हाल में दिल्ली के जेएनयू विश्वविद्यालय में कन्हैया कुमार मामले की तर्ज पर इस मामले में पार्टी अपना स्टैंड नहीं ले पा रही है. जबकि मामला जेएनयू से कई गुना बड़ा है क्योंकि यहां देशद्रोही नारा लगाने और गतिविधियों में लिप्त लोगों की संख्या विरोध करने वालों से अधिक है. वहीं राज्य की नई पीडीपी-बीजेपी सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती है कि इस डर, आतंक और देशद्रोह के खुले प्रदर्शन के बीच कहीं गैर-कश्मीरी छात्र भी कश्मीरी पंडितों की तरह राज्य से हमेशा के लिए न चले जाएं.

लेखक

राहुल मिश्र राहुल मिश्र @rmisra

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में असिस्‍टेंट एड‍िटर हैं

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