New

होम -> सियासत

 |  5-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 28 मार्च, 2016 02:17 PM
पीयूष द्विवेदी
पीयूष द्विवेदी
  @piyush.dwiwedi
  • Total Shares

बेल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स जहां यूरोपीय संघ का मुख्यालय भी स्थित है, में विगत दिनों हुआ आतंकी हमला दुखद तो है ही, चिंताजनक और भयकारक भी है. दरअसल भारत में जब होली का मौसम था, उसी समय ब्रसेल्स में यह आतंकी हमला हुआ और वहां मातम का माहौल पसर गया. ब्रसेल्स के हवाई अड्डे और मेट्रो स्टेशन पर आत्मघाती धमाकों के रूप में हुए इस आतंकी हमले में 30 से ज्यादा लोगों ने अपनी जानें गंवाई हैं तथा सैकड़ों की संख्या में लोग घायल भी हुए हैं.

स्थिति इतनी कठिन हो गई है कि इस हमले के बाद ब्रसेल्स में फंसे लगभग ढाई सौ भारतीयों को भारत सरकार द्वारा जेट एयरवेज के जरिए एयरलिफ्ट करवाना पड़ा. ब्रसेल्स में हुए इस आतंकी हमले की यूरोप समेत दुनिया भर में निंदा हो रही है. दुनिया के तमाम राष्ट्राध्यक्षों ने इसकी कड़ी निंदा कर आतंक के विरुद्ध लड़ाई में एकजुटता की बात कही है. इसी बीच आईएसआईएस द्वारा अपनी न्यूज़ एजेंसी एमाक के जरिये बयान जारी कर इस आतंकी हमले की जिम्मेदारी भी ले ली गई है. बेल्जियम में इस हमले के छः संदिग्धों की गिरफ्तारी भी हुई है.

दरअसल अभी अधिक समय नहीं हुआ जब फ़्रांस की राजधानी पेरिस में बड़ा आतंकी हमला हुआ था. अभी तो यूरोप उस हमले से ही ठीक से उबर नहीं पाया था कि फिर एक और हमला! यह दिखाता है कि आतंकियों की ताकत कितनी अधिक बढ़ गई है. खासकर फिलहाल दुनिया के सबसे खतरनाक और ताकतवर आतंकी संगठन के रूप कुख्यात आईएसआईएसएस की ताकत और पहुंच का तो शायद कोई अनुमान ही नहीं लगाया जा सकता. आईएसआईएस कितना मजबूत और ताकतवर है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उसके खिलाफ अमेरिका, रूस, फ़्रांस, ब्रिटेन जैसे दुनिया के सभी महाशक्ति देश लगातार लड़ रहे हैं और अपनी ताकत लगाए हुए हैं, उसके ठिकानों पर निरंतर हमले हो रहे और उसके लोगों को मारा जा रहा है लेकिन बावजूद इसके वो खत्म होने की बजाय दुनिया के इन देशों में एक के बाद एक आतंकी वारदातों को अंजाम देता जा रहा है.

पेरिस और अब ब्रसल्स का आतंकी हमला इसी का उदाहरण है. सवाल यह है कि दुनिया के इन महाशक्ति देशों द्वारा उसका खात्मा करने के लिए पुरजोर ताकत लगाने और उसके प्रति सचेत रहने के बावजूद वो पेरिस, ब्रसेल्स जैसी अति-सुरक्षित जगहों पर हमला कैसे कर पा रहा है? इस सवाल का जवाब यही है कि उसने कहीं न कहीं आतंकी हमला करने की एक नई प्रणाली विकसित कर ली है, जो ये है कि जहां जिस देश में हमला करना हो, वहां अपने लोगों को भेजने की बजाय वहीं के लोगों को आईएसआईएस से जोड़ा जाए और इस काम में उसके लिए सोशल मीडिया सर्वाधिक सहयोगी भूमिका निभा रहा है.

 इसी संदर्भ में उल्लेखनीय होगा कि आईएसआईएस आतंकी हमला करने के बाद अपनी न्यूज़ एजेंसी के जरिए उसकी जिम्मेदारी भी ले रहा है. हालांकि आतंकी संगठन द्वारा हमले की जिम्मेदारी लेने की यह प्रथा कोई नई नहीं है क्योंकि, यह शुरू से होता रहा है कि आतंकी संगठन हमला करने के बाद उसकी जिम्मेदारी लेकर संबधित राष्ट्र को अपनी ताकत का परिचय और चुनौती देते हैं. ओसामा बिन लादेन भी अपने समय में यह करता था और अब लश्कर आदि आतंकी संगठन भी करते हैं. हालांकि अधिकाधिक आतंकी संगठन वीडियो जारी कर यह जिम्मेदारी लेते हैं मगर, आईएस ने एमाक नाम की खुद की न्यूज एजेंसी ही खोल रखी है, जिसके जरिये वो इस तरह की सूचनाएं प्रसारित करवाने से लेकर अपनी विचारधारा के प्रचार-प्रसार तक तमाम काम करवाता है.

खबरों के अनुसार एमाक नामक यह न्यूज एजेंसी 24/7 घंटे आईएसआईएस के लिए काम करती है. इसी एजेंसी के जरिये सोशल मीडिया आदि पर अपनी  विचारधारा का प्रसार करने के लिए आईएसआईएस ने हर जगह लोग तैनात किए हैं और फेसबुक, ट्विटर आदि पर भिन्न-भिन्न नामों से. उसके तमाम एकाउंट्स चल रहे हैं. वो भी इस तरह कि किसी को खबर न हो और वे अपना काम भी करते रहें. इन माध्यमों के जरिये दूर-दूर बैठे समुदाय विशेष के लोगों से संपर्क कर उन्हें आईएसआईएस की विचारधारा से जोड़कर आईएसआईएस के लिए काम करने को प्रेरित किया जाता है.

जन्नत के कपोल-कल्पित आनंद के अलावा आईएसआईएस में शामिल होने पर तरह-तरह की सुख-सुविधाएं मिलने का झूठा प्रलोभन भी दिया जाता है. इस तरह के प्रलोभनों में फंसकर आईएसआईएस में शामिल होने और फिर उसकी पीड़ादायक व क्रूर जीवन-शैली को देख किसी तरह जान बचाकर भागे लोगों द्वारा उपर्युक्त विवरण के विषय में बताया जाता रहा है. अब ये कुछ लोग तो उससे प्रभावित न हुए हो लेकिन, समझा जा सकता है कि अनेक लोग सोशल मीडिया के जरिये ही आईएसआईएस से जुड़कर व उसकी विचारधारा से प्रभावित होकर उसके लिए काम भी करने लगते होंगे. ऐसे में, समझना मुश्किल नहीं है कि आईएसआईएस की सैन्य शक्ति से मुकाबला जितना आवश्यक है, उतना ही आवश्यक है कि साइबर संसार में भी उसे समाप्त किया  जाय. दुनिया के जो महाशक्ति देश आज उसके खिलाफ लड़ रहे हैं, उनके लिए ये करना कत्तई कठिन नहीं है लेकिन, जरूरत यह है कि वे इस दिशा में गंभीर हों.

ऐसा नहीं कह रहे कि आईएसआईएस के ठिकानों पर बमवर्षा करने जैसी कोशिशों से वो कमजोर नहीं हो रहा लेकिन, उसे यदि पूरी तरह से ख़त्म करना है तो उसके सोशल मीडिया नेटवर्क की पहचान कर उसे भी ध्वस्त करना होगा. इसके लिए अगर दुनिया के देश चाहें तो अपने-अपने यहां अलग से एक निगरानी तंत्र का निर्माण कर सकते हैं. अब विगत वर्ष ब्रिटेन से मिली खबर के आधार पर भारत में आईएसआईएस का ट्विटर चलाने वाला पकड़ा गया. वो कई वर्षों से ये कर रहा था, पर किसीको खबर नहीं थी. तो बात यही है कि ऐसे जाने कितने हैंडलर और होंगे जो जहां-तहां सक्रिय हो आईएसआईएस से लोगों को जोड़ रहे होंगे, उनको ध्वस्त करके ही आईएसआईएस का अंत किया जा सकता है.

सीधे शब्दों में कहें तो आईएसआईएस को जमीन पर खत्म करना जितना आवश्यक है, उतना ही आवश्यक है कि उसके साइबर संसार से भी समाप्त किया जाय. इन्ही माध्यमों के जरिये तो वो इराक और सीरिया में बैठे-बैठे हजारों मील दूर देश में अपने आदमी तैयार कर हमला करवाने में सक्षम हो पा रहा है. लिहाजा, अगर उसके सोशल मीडिया नेटवर्क को ध्वस्त कर दिया गया तो उसका दायरा स्वतः ही सीमित हो जाएगा और फिर वो सीरिया-ईराक में बैठकर ब्रसेल्स, फ़्रांस या अन्य किसी भी देश में कभी कोई आतंकी हमला नहीं कर पाएगा.

लेखक

पीयूष द्विवेदी पीयूष द्विवेदी @piyush.dwiwedi

लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय