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Updated: 31 मार्च, 2019 06:17 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
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कांग्रेस के सामने पहली चुनौती तो यही है कि कैसे वो चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मुकाबला करे. दूसरी चुनौती ये कि कैसे वो चुनाव मोदी के खिलाफ विपक्ष की धुरी बनी रहे और बड़ी पार्टी का रूतबा भी बरकरार रखे. तीसरी और सबसे बड़ी चुनौती राहुल गांधी की दूसरी संसदीय सीट पर फैसला रहा - क्योंकि उसी से प्रियंका गांधी वाड्रा के चुनाव क्षेत्र को लेकर फैसला होना था.

बहरहाल, अब तो राहुल गांधी केरल की वायनाड लोक सभा सीट से भी चुनाव लड़ने के लिए तैयार हो गये हैं - इसलिए प्रियंका वाड्रा के लिए भी ग्रीन सिग्नल समझा जाना चाहिये. प्रियंका वाड्रा के बाद राहुल गांधी ने भी गोलमोल जवाब देकर भ्रम की स्थिति पैदा कर दी है. प्रियंका वाड्रा के एक छोटे से डायलॉग ने अलग ही धमाल मचा रखा है - 'वाराणसी से लड़ जाऊं क्या?'

वाराणसी को लेकर कांग्रेस में क्या चल रहा है?

अमेठी से रायबरेली पहुंचते-पहुंचते प्रियंका वाड्रा ने अपनी उम्मीदवारी को लेकर खूब हवा दे डाली. अमेठी और रायबरेली दोनों जगह प्रियंका वाड्रा से सवाल चुाव लड़ने की बाबत ही पूछे गये थे - लेकिन जवाब अलग अलग सुनने को मिले. अमेठी में तो प्रियंका वाड्रा ने सिर्फ इतना ही कि कांग्रेस चाहेगी तो वो चुनाव जरूर लड़ेंगी. रायबरेली पहुंचकर सियासी गुगली फेंक दी.

रायबरेली में प्रियंका वाड्रा कार्यकर्ताओं से बात कर रही थीं. जब जब एक कांग्रेस कार्यकर्ता ने प्रियंका गांधी रायबरेली से चुनाव लड़ने को कहा तो तपाक से बोलीं - वाराणसी से लड़ जाऊं क्या? प्रियंका का अंदाज तो हल्का-फुल्का ही रहा लेकिन बात बड़ी गंभीर कह दी थी. वाराणसी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संसदीय सीट है. 2014 में मोदी वाराणसी और वडोदरा दोनों सीटों से चुनाव जीते थे लेकिन बाद में वडोदरा छोड़ दी थी. तब मोदी के खिलाफ आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल चुनाव मैदान में कूदे थे - लेकिन हार गये. इस बार भीम आर्मी के नेता चंद्रशेखर आजाद रावण मोदी को चुनौती देने का ऐलान कर चुके हैं. प्रियंका वाड्रा ने अस्पताल जाकर चंद्रशेखर से मुलाकात भी की थी.

सवाल ये है कि प्रियंका ने वाराणसी से चुनाव लड़ने की बात यूं ही मजाकिया लहजे में कह डाली है - वाकई कांग्रेस में गंभीरता इस पर विचार विमर्श भी हो रहा है?

priyanka gandhi vadraप्रियंका ने यूं ही नहीं वाराणसी का जिक्र किया है...

इंडियन एक्सप्रेस के एक कॉलम में इस बात का खासतौर पर जिक्र आया है. बताते हैं कि कांग्रेस में एक विचार ये है कि प्रियंका वाड्रा को वाराणसी से चुनाव लड़ना ही चाहिए - लेकिन उसकी एक शर्त रखी गयी थी. शर्त ये थी कि अगर राहुल गांधी किसी दूसरी सीट से चुनाव लड़ते हैं तो प्रियंका वाड्रा को वाराणसी से जरूर चुनाव मैदान में उतरना चाहिये.

बेशक इसके लिए कांग्रेस की ओर से आधिकारिक घोषणा का इंतजार होगा, लेकिन घटनाक्रम जिस हिसाब से आगे बढ़ा है उससे तो यही लगता है कि कांग्रेस ने प्रियंका गांधी वाड्रा को वाराणसी से चुनाव मैदान में उतारने का फैसला कर लिया है. एक चर्चा ये भी है कि प्रियंका वाड्रा को वाराणसी से संयुक्त विपक्ष का उम्मीदवार बनाये जाने की कोशिश हो रही है

क्या प्रियंका के लिए वायनाड गये राहुल?

प्रियंका को वाराणसी से उतारने के पीछे बीजेपी के संभावित हमलों के खिलाफ सेफगार्ड रहा. कांग्रेस के रणनीतिकार मान कर चल रहे थे कि राहुल गांधी के दूसरी सीट से लड़ने की घोषणा होते ही बीजेपी हमलावर हो जाएगी और कहेगी कि हार के डर से भाग खड़े हुए. जैसी कांग्रेस को आशंका थी, वही दिखायी भी दे रहा है. बीजेपी ने राहुल गांधी के खिलाफ मुहिम शुरू कर दी है - जैसे वो मैदान छोड़ कर भाग चुके हों. बीजेपी नेता कहने लगे हैं कि अब अमेठी की जनता को फैसले के लिए सोचना नहीं पड़ेगा. 

राहुल गांधी के वायनाड से लड़ने की स्थिति में अगर प्रियंका वाड्रा वाराणसी में मोर्चा संभालती हैं तो कांग्रेस के लिए बीजेपी को काउंटर करना आसान होगा.

केरल में लोक सभा की सभी सीटों पर 23 अप्रैल को वोटिंग होनी है - और सीटों पर फैसला न होने की वजह से कांग्रेस का चुनाव अभियान भी नहीं शुरू हो पा रहा था. केरल कांग्रेस के कद्दावर नेता के. मुरलीधरन की उम्मीदवारी की घोषणा भी रुकी हुई थी. मुरलीधरन कांग्रेस नेता के. करुणाकरन के बेटे हैं और उनके वायनाड से चुनाव लड़ने की संभावना थी. राहुल गांधी के वायनाड से चुनाव लड़ने की स्थिति में वो वडकारा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं.

rahul gandhiवायनाड को लेकर रुका है वाराणसी सीट पर कांग्रेस का फैसला...

कांग्रेस कार्यकर्ता ये तो मान कर चल रहे हैं कि राहुल गांधी अमेठी को नहीं छोड़ने वाले - लेकिन केरल में कांग्रेस को मजबूत करने के मकसद से ये ऑफर दिया गया है. एक वजह बीजेपी की ओर से केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की अमेठी में चुनौती तो है ही. राहुल गांधी का कहना है कि बीते वक्त में कांग्रेस और दूसरी पार्टी के नेता भी एक से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ चुके हैं. 2014 में नरेंद्र मोदी भी वाराणसी के अलावा गुजरात की वडोदरा सीट से चुनाव लड़े थे. सोनिया गांधी भी यूपी के अलावा उसी समय कर्नाटक के बेल्लारी से चुनाव लड़ चुकी हैं.

राजनीति में किसी भी कदम की वजह सिर्फ एक नहीं होती. अमेठी के साथ साथ राहुल गांधी का वायनाड से चुनाव लड़ना एक एहतियाती उपाय तो है ही, जब कोई बड़ा नेता किसी इलाके में होता है तो आस पास की सीटों पर भी उसका असर देखा जाता है. राहुल गांधी के इस कदम को केरल में कांग्रेस को मजबूत करने के मकसद से भी जोड़ा जा सकता है. अभी अभी कांग्रेस ने टॉम वडक्कन जैसा नेता बीजेपी के हाथों गवां दिया है. हालांकि, राहुल गांधी ने ये मानने से इंकार किया था कि टॉम वडक्कन कांग्रेस के बड़े नेता रहे.

क्या ऐसा नहीं लगता कि राहुल गांधी ने प्रियंका वाड्रा के लिए राजनीतिक राह साफ किया है? ऐसा भी नहीं था कि प्रियंका के चुनाव लड़ने के लिए सीटों की कोई कमी थी - लेकिन अगर वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चैलेंज करती हैं, फिर उसकी तो बात ही और है.

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लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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