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Updated: 30 नवम्बर, 2020 10:20 PM
मशाहिद अब्बास
मशाहिद अब्बास
  @masahid.abbas
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Hyderabad Election 2020 : हैदराबाद का स्थानीय निकाय चुनाव है. आमतौर पर किसी भी निकाय चुनाव पर उसी राज्य के लोग नज़र रखते हैं. लेकिन हैदराबाद में हो रहे निकाय चुनाव पर पूरे भारत की नज़रें जा पहुंची है. चुनाव दिलचस्प होता जा रहा है औऱ इसकी वजह है केन्द्र की सत्ता पर विराजमान भारतीय जनता पार्टी (Bhartriya Janata Party). भारतीय जनता पार्टी के सभी बड़े नेता अपने उम्मीदवारों के प्रचार के लिए चुनावी मैदान में कूद पड़े हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) को छोड़ दिया जाए तो पार्टी के शीर्ष के नेता अमित शाह (Amit Shah), जेपी नडडा (JP Nadda), स्मृति ईरानी (Smriti Irani), योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath), देवेन्द्र फडनवीस समेत सभी दिग्गज लोग हैदराबाद तक पहुंच चुके हैं. आमतौर पर कम ही देखा जाता है कि निकाय चुनाव में शीर्ष स्तर के नेता रैली करने पहुंचे हों. निकाय चुनावों में तो प्रदेश का अध्यक्ष ही रैली करने पहुंच जाए तो बड़ी बात होती है लेकिन भाजपा ने निकाय चुनाव में अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष तक को उतार दिया है ऐसे में सवाल तो उठेगा ही कि आखिर भाजपा की दिलचस्पी निकाय चुनावों में क्यों है?

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सबसे पहले उस निगम की बात कर लेते हैं जहां चुनाव है. ग्रेटर हैदराबाद का नगर निगम चुनाव है. कुल 150 पार्षद चुने जाने हैं. जैसे उत्तर प्रदेश को केंद्र में सरकार की कुंजी कहा जाता है वैसे ही हैदराबाद के नगर निगम को तेंलगाना राज्य की कुंजी कहा जा सकता है. राज्य की 119 विधानसभा सीटों में से 24 विधानसभा सीटों का दायरा इस नगर निगम में आता है. राज्य की जीडीपी का एक बड़ा हिस्सा इसी निगम के ज़रिए आता है. यानी इस निगम की कुर्सी पर बैठने वाला मेयर राज्य की सरकार में सीधे तौर पर अपनी मौजूदगी दर्ज कराता है.

भाजपा ने हाल ही में राज्य की सत्ता पर काबिज टीआरएस की गढ़ वाली सीट उपचुनाव में अपने नाम की है, इसी से भाजपा के हौसले बुलंद हैं और वह तेलंगाना में अपनी ज़मीन तैयार करना चाहती है. तेलंगाना में विधानसभा चुनाव वर्ष 2018 के आखिर में हुआ था जिसमें राज्य की 119 सीटों में से 88 सीटें टीआरएस के पास, 19 सीट कांग्रेस के पास, 7 सीटें एआईएमआईएम के पास और महज 1 सीट भाजपा के खाते में आयी थी.

हाल ही में उपचुनाव की 1 सीट औऱ भाजपा ने टीआरएस को हरा कर छीन ली है. मौजूदा वक्त में भाजपा के पास महज दो विधायक हैं. ये तो हुए विधानसभा के आंकड़ें, अब एक नज़र इसी निकाय चुनाव पर भी डालते हैं. इस नगर निगम में आखिरी निकाय चुनाव वर्ष 2016 में हुआ था. जिसमें निगम की 150 सीट में से 99 टीआएएस, एआईएमआईएम 44, भाजपा 4 और कांग्रेस 2 सीटों पर सिमटी थी. तेलंगाना राज्य में भाजपा की हालिया स्थिति के बारे में आप ऐसे समझ लें कि राज्य की 119 विधानसभा सीट में से उसके पास 2 विधायक हैं और राज्य की 17 लोकसभा सीट पर केवल 4 सांसद हैं.

इन आंकड़ों से समझा जा सकता है कि तेलंगाना में भाजपा की मौजूदा स्थिति न के बराबर है. अब बात करते हैं भाजपा ने इस निकाय चुनाव में अपनी पूरी ताकत क्यों झोंक रखी है. हैदराबाद के निगम क्षेत्र में रह रहे लोगों की आबादी लगभग 83 लाख लोगों की है. सालाना बजट भी निगम का साढ़े पांच हज़ार करोड़ का है. इस निगम क्षेत्र में दो दर्जन से अधिक विधानसभा सीटें हैं, भाजपा इस चुनाव के बहाने राज्य में अपना जाल बिछाना चाह रही है जो उसे 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले पहले तक मजबूती के साथ पूरे तेंलगाना में फैलाना है.

तेलंगाना की लोकल पार्टी टीआरएस और एआईएम भाजपा के आने से चिंतित हैं तो कांग्रेस फीकी फीकी सी नज़र आ रही है. निगम का चुनाव सीधे सीधे टीआरएस और भाजपा के बीच तीखे बोल के साथ हो रहा है. आमतौर पर निगम के चुनावों में मुद्दा बिजली, सड़क, पानी, कूड़ा, सरकारी स्कूल, स्ट्रीट लाइट, साफ-सफाई और स्वास्थ्य जैसे मामले होते हैं लेकिन हैदराबाद के निगम का चुनाव पूरी तरीके से राष्ट्रीय मुद्दों पर लड़ा जा रहा है.

इसमें सर्जिकल स्ट्राइक, रोहंग्या मुसलमान, पाकिस्तान, नस्लवाद, राष्ट्रवाद जैसे मुद्दे छाए हुए हैं. इससे पहले स्थानीय मुद्दों पर ही हैदराबाद का निकाय चुनाव भी हुआ करता था लेकिन इस बार भाजपा ने राष्ट्रीय मुद्दों को हवा दी है जिसका उसे अभी तक तो फायदा ही मिल रहा है. भाजपा अपने अंदाज़ में मुद्दों को जन्म दे रही है और ओवैसी व टीआरएस उसपर सफाई पेश कर रहे हैं.

यानी भाजपा जिन मुद्दों पर चुनाव चाहती है ठीक वैसा ही होता नज़र आ रहा है. यह भाजपा की पहली जीत है. भाजपा की दूसरी जीत कांग्रेस है. जिस कांग्रेस पार्टी का वहां मजबूत संगठन हो उस कांग्रेस की इस पूरे चुनाव में चर्चा तक नहीं हो रही है.

कांग्रेस पार्टी स्थानीय समस्याओं को उछालना चाह रही है जिसमें वह खुद ही जान नहीं फूंक पा रही है. भाजपा ने तेलंगाना में जो ज़मीन तैयार की है उसका भले इस निकाय चुनाव में उसे शत प्रतिशत फायदा न मिले लेकिन राज्य में होने वाले 2023 के विधानसभा चुनावों के लिए भाजपा ने बिगुल फूंक दिया है औऱ एक बड़ा सियासी फेरबदल होने की संभावनाएं भी पूरी तरीके से जन्म ले रही हैं.

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लेखक

मशाहिद अब्बास मशाहिद अब्बास @masahid.abbas

लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं और समसामयिक मुद्दों पर लिखते हैं

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