New

होम -> सियासत

 |  4-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 09 अक्टूबर, 2017 01:30 PM
ऑनलाइन एडिक्ट
ऑनलाइन एडिक्ट
 
  • Total Shares

गोधरा कांड के दोषियों के मामले में बड़ा फैसला सुनाते हुए गुजरात हाईकोर्ट ने 11 दोषियों की फांसी को उम्र कैद में बदल दिया है. यानी अब इस केस में किसी भी मुल्जिम काे फांसी नहीं दी जाएगी. हाईकोर्ट ने इसी के साथ राज्‍य सरकार से कहा है कि वे मारे गए 59 लोगों के परिवारों को 10-10 लाख रुपए का मुआवजा दे. गोधरा कांड का फैसला इस समय इसलिए भी बहुत जरूरी लगता है क्योंकि गुजरात में इलेक्शन आने वाले हैं और ये फैसला उसपर असर डाल सकता है.

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में राज्‍य सरकार और रेलवे की खिंचाई की है और उन्‍हें कानून और व्यवस्था को ठीक से न चला पाने का दोषी माना है. जैसी ही कोच की आग लगने की बात फैली थी, दंगे फैल गए थे और करीब 1000 लोगों की मौत हो गई थी.

क्या हुआ था...

27 फरवरी 2002 को साबरमती एक्सप्रेस का कोच S6 जला दिया गया था. इसमें 59 लोगों की मौत हो गई थी. सभी हिंदू थे और उनमें से कई कारसेवक थे जो अयोध्या से वापस लौट रहे थे.

गुजरात, गोधरा, नरेंद्र मोदी, इलेक्शन

इस कांड के बाद हिंदू मुस्लिम दंगे हो गए थे जिसमें 790 मुस्लिम और 254 हिंदुओं की मृत्यु हो गई थी. ये सिर्फ आधिकारिक आंकड़े हैं और असलियत इससे भी भयानक हो सकती है. इन दंगों के कारण 1 लाख मुस्लिम और 40 हजार हिंदू बेघर हो गए थे. 130 तो अभी तक लापता हैं.

नरसंहार की जांच...

इस नरसंहार की जांच के लिए नानावती कमीशन को जिम्मेदारी दी गई. इसपर बात सामने आई कि कोच को आग लगाई गई थी और वो किसी एक्सिडेंट के कारण नहीं जला था. संघ का कहना था कि हिंदुओं को मारने के लिए ऐसा किया गया था.

गांधीनगर फॉरेंसिक स्टडीज लैबोरेटरी (FSL) की रिपोर्ट में सामने आया कि कोच में आग किसी ऐसे इंसान ने लगाई थी जो सीट नंबर 72 के पास खड़ा था और उसके पास ज्वलनशील पदार्थ था, वो भी 60 लीटर.

गुजरात, गोधरा, नरेंद्र मोदी, इलेक्शन

1 मार्च 2011 को 31 लोगों को इस मामले में सजा हुई और 63 लोगों को बरी कर दिया गया. इनमें से 11 को फांसी की सजा हुई थी और 20 को आजीवन कारावास.

मोदी और दंगे...

ये किसी से छुपा नहीं हुआ है कि नरेंद्र मोदी का नाम गुजरात दंगों में जोड़ा जाता है. खास SIT कोर्ट ने कई नेताओं का नाम इस मामले में जोड़ा था और उनमें से एक नरेंद्र मोदी भी थे. मोदी और बाकी नेताओं को क्लीन चिट 8 फरवरी 2012 को मिली थी.

मोदी को 2002 में ही तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने एक चिट्ठी लिखी थी. ये चिट्ठी 1 जून 2002 को लिखी गई थी और वाजपेई जी ने मोदी के सामने राज्य को लेकर चिंता जताई थी. ये चिट्ठी गोधरा कांड और गुजरात दंगों के तीन महीने बाद लिखी गई थी और प्रधानमंत्री के गुजरात दौरे के दो महीने बाद. आपको बता दूं कि गुजरात दंगों के बाद अटल बिहारी वाजपेई ने गुजरात का दौरा किया था और मोदी को राज धर्म का पालन करने को कहा था.

अटल जी का मोदी को संदेश...

इस संदेश को वाजपेई का गुस्सा माना गया था जो राज्य में हो रहे दंगों को लेकर था. उस समय तक ये बात जगजाहिर हो चुकी थी कि नरेंद्र मोदी का नाम गुजरात दंगे फैलाने के लिए लिया जा रहा है.

उस समय मोदी कैबिनेट की महिला एवं बाल विकास मंत्री माया कोदनानी को अहमदाबाद के नारोदा पाटिया इलाके में दंगे फैलाने के आरोप में आजीवन कारावास की सजा मिली थी. माया को 2014 में बेल मिली.

गुजरात इलेक्‍शन का कनेक्‍शन :

गुजरात दंगों को लेकर जो भी बात चल रही है वो यकीनन गुजरात इलेक्शन पर असर डाल सकती है. मोदी के दामन पर लगा एकलौता बड़ा दाग है गुजरात दंगे. वो दंगे जिसने राज्य की दिशा और दशा ही बदल दी. ये गलत नहीं है कि नरेंद्र मोदी ने विकास किया. गुजरात में 2002 के बाद से जो विकास किया गया, उसी के कारण मोदी प्रधानमंत्री बन पाए, लेकिन फिर भी विकास का नारा उस दाग पूरी तरह से नहीं मिटा पाया है. अब देखना ये है कि इस फैसले से गुजरात इलेक्शन पर क्या कोई असर पड़ेगा?

ये भी पढ़ें-

सरकारें हमेशा खुद से हारती हैं, अगर हारी तो मोदी सरकार भी खुद से हारेगी!

दिवाली का तो नहीं मालूम, मोदी-राहुल के भाषणों से ये जरूर लगा चुनाव आ गया

लेखक

ऑनलाइन एडिक्ट ऑनलाइन एडिक्ट

इंटरनेट पर होने वाली हर गतिविधि पर पैनी नजर.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय